एक विवाह ऐसा भी, निमंत्रण पत्र से लेकर व्यंजन तक देववाणी संस्कृत में Panipat News
यमुनानगर में एक शिक्षक ने देववाणी संस्कृत को सहेजने के लिए अपनी बेटी की शादी का निमंत्रण इसी भाषा में छपवाए हैं।
पानीपत यमुनानगर, जेएनएन। आमतौर पर शादी के कार्ड हिंदी या अंग्रेजी में देखने को मिलते हैं, लेकिन संस्कृत शिक्षक नरेश चंद्र ने बेटी की शादी का अनोखा कार्ड भेजा है। यह कार्ड संस्कृत भाषा में है। इसमें समय से लेकर शादी समारोह के सभी आयोजन संस्कृत में लिखे हुए हैं। अपनी तरह का यह पहला कार्ड हैं। नरेश शास्त्री का कहना है कि आज के समय लोग देववाणी संस्कृत को भूलते जा रहे हैं। यह एक प्रयास है, ताकि लोग इस भाषा को अधिक से अधिक जाने और इसे सीखें।
मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के गांव पीपली निवासी नरेश चंद्र यहां फर्कपुर के राजकीय विद्यालय में संस्कृत पढ़ाते हैं। शुक्रवार को उनकी बेटी निधि की शादी छछरौली रोड पर निजी पैलेस में हुई। इस शादी में बनाए गए व्यंजनों के नाम भी संस्कृत में लिखे हुए हैं। स्वागत गेट से लेकर अंदर समारोह स्थल तक सभी जगह संस्कृत भाषा में लिखा गया है।
संस्कृत को बचाना होगा
56 वर्षीय शिक्षक नरेश पहले बूडिय़ा के सरकारी स्कूल में थे। बाद में उनका तबादला फर्कपुर में हुआ। नरेश चंद्र बताते हैं कि उन्होंने जब बेटी की शादी तय की तो तैयारियों के दौरान विचार आया कि क्यों न शादी के जरिए देववाणी के बारे में भी लोगों को जागरूक किया जाए। फिर संस्कृत भारती के अन्य सदस्यों के सामने इस विचार को रखा। शुरुआत शादी के कार्ड से हुई। इसमें आयोजन से लेकर हर एक शब्द संस्कृत में लिखा गया। संस्कृत को बचाने के लिए भी इस तरह के प्रयोग करने होंगे।
कैबिनेट मंत्री भी बने साक्षी
शादी में गणमान्य लोगों को भी आमंत्रित किया गया है। इस शादी में विशेष तौर पर कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह अच्छा प्रयास है। आज के समय संस्कृत को युवा पीढ़ी भूलती जा रही है। वहीं संस्कृत भारती के जिला संयोजक गिरीश का कहना है कि शिक्षक नरेश चंद्र का अच्छा प्रयास है। अन्य लोग भी इससे प्रेरित होंगे।