स्वतंत्रता के सारथी: बिन पानी न हो सून, इसलिए पाला ये जुनून Panipat News
यमुनानगर सहित कैथल और पानीपत में पानी बचाने के लिए जो मुहिम शुरू हुई वह लोगों के लिए जुनून बन गई। यमुनानगर के खड़क सिंह ने दरवाजे-दरवाजे जाकर व्यर्थ हो रहे पानी के लिए जागरूक किया।
पानीपत, जेएनएन। पानी व्यर्थ न बहे, इसके लिए जो मुहिम शुरू की वो अब इनके लिए जुनून है। इसका असर भी देखने को मिला। लोगों में जागरूकता आई। गांव में तालाब बने। ग्राम पंचायतों में भूजल रिचार्ज सिस्टम बनाए गए। जल संरक्षण के लिए प्रशासन की तरफ से सम्मानित तक किया गया।
सीवन खंड के गांव रामदासपुरा की ग्राम पंचायत जल संरक्षण में अपना अहम योगदान दे रही है। ग्रामीणों में जागरूकता के चलते कभी भी यहां पानी व्यर्थ नहीं बहता है। वहीं इस गांव के लोग तालाब ओवरफ्लो होने पर पानी को खेतों में सिंचाई करने में मोटर से भेजते हैं। बारिश के पानी को भी संरक्षित करने के लिए ग्राम पंचायत ने भूजल रिचार्ज सिस्टम बनाए हैं। गांव को जल संरक्षण अभियान के लिए जिला प्रशासन ने पुरस्कार भी दिया है। जल संरक्षण अभियान के जिला सलाहकार दीपक शर्मा ने बताया कि इस गांव में जल बचाने के लिए ग्रामीण काफी जागरूक हैं। विभाग ने गांव में 600 एलपीएम का एक ट्यूबवेल लगाया है। जो एक मिनट में 600 लीटर पानी देता है। ग्रामीणों ने एक घंटे की सप्लाई को कम करवाया है। जिसके तहत प्रतिदिन 36 हजार लीटर पानी की बचत होती है।
पंचायत के खर्चें पर लगाए रिचार्जबल बोर
सरपंच सतनाम सिंह ने बताया कि गांव में बारिश के पानी को बचाने के लिए पंचायत के खर्चें पर चार रिचार्जबल बोर सिस्टम लगाए गए हैं। जो वर्षा के जल को संरक्षित करता है। इस तकनीक से वर्षा के पानी का दोहन न होकर इसे संचित किया जा रहा है। जिसे घरों या खेतों में कार्यों के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है।
खड़क सिंह दरवाजा खटखटा कर कहते... पानी की टंकी भर गई है
विकास नगर के खड़क सिंह। इन पर व्यर्थ बह रहे पानी को बचाने का जुनून सवार है। जहां भी खुला नल या पानी लीक देखते हैं, अपने बैग से औजार निकाल कर उसे कुछ मिनट में ठीक कर देते हैं। यहां तक की किसी घर की छत पर रखी ओवरफ्लो टंकी को देखते हैं तो उनका दरवाजा खटखटा कर कहते हैं, आपकी छत पर रखी टंकी भर गई है। उससे पानी भर गया है, मोटर को बंद कर दो। काम यहीं खत्म नहीं हो जाता। उन्हें व्यर्थ बह रहे पानी के नुकसान व पानी बचाने के फायदे भी बताते हैं।
पीडब्ल्यूडी से रिटायर्ड हैं खड़क सिंह
खड़क सिंह 2018 में पीडब्ल्यूडी से प्लंबर पद से रिटायर्ड हुए थे। सर्विस में रहते हुए इनका काम सरकारी भवनों में पानी की सप्लाई व लीकेज को दुरुस्त करना था। जब तक रहे यह काम ईमानदारी से किया। रिटायर्ड होने के बाद भी अपने साथ हमेशा प्लंबर के सामान की किट व नल की टैब रखते हैं। कहीं जाते हुए रास्ते में यदि किसी नल से पानी को व्यर्थ होता देखते हैं उसे तुरंत ठीक कर देते हैं। यदि कोई नल खुला होता है तो उस पर टैब लगा देते हैं। पानी बचाकर खड़क सिंह काम तो अच्छा कर रहे हैं लेकिन खुद उस विभाग के अधिकारी उनसे परेशान हैं जिन पर पानी बचाने का जिम्मा है। क्योंकि शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो जब वे जनस्वास्थ्य विभाग के टोल फ्री नंबर पर वेस्ट पानी की शिकायत न करते हों। टोल फ्री नंबर से जैसे ही शिकायत विभाग के अधिकारियों के पास आती है तो वे कहते हैं खड़क सिंह को कुछ ओर काम नहीं है। हर रोज शिकायतें करके परेशान कर दिया है। ये बात खुद खड़क सिंह कहते हैं।
गुजरात से मिली जल बचाने की प्रेरणा
खड़क सिंह ने बताया कि 26 जनवरी 2002 को जब गुजरात में भूकंप आया था तब सरकार ने उनकी ड्यूटी एक माह के लिए गुजरात में लगा दी थी। गुजरात में पानी की बहुत कमी है। वहां पांच रुपये में पानी की एक बाल्टी मिलती थी। कई दिन तक नहा भी नहीं पाते थे। तब पता चला कि पानी की कीमत क्या होती है। यमुनानगर में तो हम स्वर्ग में रहते हैं क्योंकि यहां पानी की कमी नहीं है। लेकिन इस पानी को लोग व्यर्थ बहा रहे हैं।
कुटानी गांव के तालाब से किसानों का जीवन हुआ खुशहाल
नालियों और तालाब का पानी कुटानी गांव के किसानों के लिए अभिशाप बन चुका था। 80 एकड़ जमीन बंजर हो गई थी। फसल न होने से किसानों को आर्थिक संकट हो गया था। उन्होंने पानी को खपाने के लिए कृषि विभाग के सहयोग से हार्वेस्टिंग सिस्टम भी चालू किया, लेकिन कारगर नहीं हो पाया। किसानों की दुर्दशा देख सरपंच मोनिका ने दो साल पहले तरकीब निकाली और तीन एकड़ के तालाब की खोदाई करवा दी। इसमें गांव का पानी और बारिश का पानी न सिर्फ खप गया, बल्कि हजारों लीटर पानी बर्बाद होने से भी बचा। जल का संचय हुआ और यह पशुओं के पीने व नहाने के लिए इस्तेमाल भी हो रहा है। अब किसानों के खेतों में फसल लहलहा रही है। आमदनी बढऩे से उनका जीवन भी खुशहाल हो गया है।
पानी ने जीवन नरक बना दिया था
किसान बिजेंद्र मलिक ने बताया कि पड़ोस के गांव बबैल, उसके गांव का पानी और तालाब का पानी ओवरफ्लो होकर खेतों में घुस जाता था। इससे 16 एकड़ में फसल नहीं हो पाती थी। यह सिलसिला 18 साल से चल रहा था। पानी ने जीवन नरक बना दिया था। तालाब की खोदाई के बाद से खेत में पानी जमाव से छुटकारा मिला है। फसल की पैदावार खूब हो रही है। इसी तरह से किसान रणबीर, जगबीर, सुभाष राजबीर, सुरेंद्र और कृष्ण के खेतों में भी गन्ने व धाना की फसल हो रही है। वे भी पहले खेतों में जल भराव से परेशान थे।
सेमिनार से मिला जल संचय का आइडिया, अब दिक्कत हो गई दूर
कुटानी की सरपंच मोनिका ने कहा कि वह दो साल पहले पानीपत में पति राकेश के साथ सेमिनार में गई थी। वहां बताया गया था कि तालाब की खोदाई करके जल संचय किया जा सकता है। इसके बाद पंचायत फंड से पांच लाख रुपये खर्च करके तालाब की खोदाई कराई। इससे गांव के पानी की निकासी की दिक्कत दूर हो गई है। यह पानी तालाब में जाता है। बारिश में तालाब ओवरफ्लो नहीं रहा है। इसका फायदा किसानों को मिला है।
पंचायत ध्यान दें तो पानी निकासी संकट हो सकता दूर हो जाएगा
कृषि विभाग के एसडीओ डॉ. सुनील मान ने बताया कि जिले के तकरीबन हर गांव में पानी निकासी की परेशानी है। गांवों में तालाब की खोदाई और रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम को लागू करके पानी निकासी के संकट को दूर किया जा सकता है। पानी की भी बचत होगी। कुटानी गांव का अन्य पंचायतें भी अनुशरण कर सकती हैं।
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