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एलिवेटेड हाईवे से पार्किंग में भरभराकर गिरा मलबा, एक गाड़ी का टूटा शीशा

होटल मिड टाउन के सामने एलिवेटेड हाईवे से मलबे का बड़ा पत्थर नीचे गिर गया। हाईवे में दो से ढाई फुट का गड्ढा हो गया। स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना एलएंडटी के अधिकारियों को दी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 15 May 2019 07:48 AM (IST)Updated: Wed, 15 May 2019 07:48 AM (IST)
एलिवेटेड हाईवे से पार्किंग में भरभराकर गिरा मलबा, एक गाड़ी का टूटा शीशा
एलिवेटेड हाईवे से पार्किंग में भरभराकर गिरा मलबा, एक गाड़ी का टूटा शीशा

जागरण संवाददाता, पानीपत : 450 करोड़ की लागत से जीटी रोड पर बने एलिवेटेड हाईवे के एक हिस्से का कुछ मलबा भरभराकर नीचे पार्किंग में गिर गया। नीचे खड़ी एक गाड़ी का शीशा टूट गया। गनीमत रही कि उस वक्त एलिवेटेड हाईवे पर कोई भारी वाहन नहीं था और न ही नीचे कोई व्यक्ति था। एलएंडटी की टीम ने करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद मरम्मत कार्य पूरा किया। स्थानीय लोगों ने इस तरह से मलबा गिरने को चिताजनक बताया है। हालांकि, एलएंडटी के स्थानीय अधिकारियों ने मलबा गिरने जैसी घटना से इनकार किया है। घटना मंगलवार दोपहर बाद करीब ढाई बजे ही है।

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प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार होटल मिड टाउन के सामने एलिवेटेड हाईवे से मलबे का बड़ा पत्थर नीचे गिर गया। हाईवे में दो से ढाई फुट का गड्ढा हो गया। स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना एलएंडटी के अधिकारियों को दी। तकनीकी टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर मामले की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को दी। अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर एलिवेटेड हाईवे के इससे हिस्से को बंद कर मरम्मत कार्य शुरू कर दिया। करीब दो घंटे तक मरम्मत का कार्य चलता रहा। इस दौरान एलिवेटेड हाईवे के वाहनों को दूसरी लेन से गुजारा गया। विदित है कि 450 करोड़ की लागत से बनाया एलिवेटेड हाईवे 2009 में शुरू किया था। जीटी रोड की सड़क धंस गई थी

जीटी रोड की करनाल को जाने वाली सड़क गोहाना रोड के नजदीक से गत महीने धंस गई थी। प्रशासन ने एलिवेटेड हाईवे की सुरक्षा को देखते हुए तकनीकी अधिकारियों की देखरेख में मरम्मत का काम कराया था। इसमें सामने आया था कि जन स्वास्थ्य विभाग की पुरानी बंद पड़ी सीवर लाइन धंस गई थी। इसी तरह पहले भी जीटी रोड की सड़क इसी हिस्से में से धंस गई थी। जन स्वास्थ्य विभाग ने हादसे के बाद सीवर लाइन को बंद कर दिया था। स्थानीय लोगों ने जताई चिता

सविता आर्य ने बताया कि 450 करोड़ रुपये की लागत से एलिवेटेड हाईवे बनाया था। स्थानीय लोगों को इससे सुविधा मिलने की उम्मीद भी, लेकिन इसने शहर को दो हिस्सों में बांटकर रख दिया। इस तरह से मलबा गिरना चिता का विषय है। प्रशासन को इस तरह की घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। स्थानीय लोगों से टोल का बोझ हटना चाहिए। इसकी जांच करानी चाहिए।

उद्यमी राजीव अग्रवाल ने बताया कि शहरवासी एलिवेटेड हाईवे के प्रयोग बिना 10 साल से टोल दे रहे हैं। स्थानीय लोगों के विरोध का कोई असर नहीं पड़ रहा। इस तरह से मलबा गिरना लोगों की जान व माल के लिए खतरा है। प्रशासन को इसमें सख्त कदम उठाना चाहिए।

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