नैन गो अभ्यारण्य बना गोवंश की कब्रगाह, जंगली कुत्ते कर रहे शिकार
नैन गो-अभ्यारण्य में तीन गोवंश की मौत हो गई। गो सेवक जब यहां पहुंचे तो देखकर दंग रह गए। दस जंगली कुत्ते गोवंश को नोंच रहे थे।
पानीपत, जेएनएन। नैन गांव स्थित गो-अभ्यारण्य गोवंश के लिए कब्रगाह बनती जा रही है। आए दिन जंगली कुत्ते गोवंश का शिकार करते हैं। सुबह दस बजे भी जंगली कुत्ते एक गोवंश को बेदर्दी से नोच रहे थे। गोवंश को चारा-गुड़ खिलाने पहुंचे गो सेवक इस भयानक दृश्य को देखकर सहम गए। लाठी-डंडों की मदद से कुत्तों को खदेड़ा गया। इसके अलावा दो अन्य गोवंश ने भी बीमारी और कमजोरी के कारण दम तोड़ दिया।
रोटरी क्लब पानीपत मिड टाउन के सदस्य विनोद धमीजा ने बताया कि अन्य दिनों की तरह सोमवार को भी वे अन्य सदस्यों के साथ गोवंश को हरा चारा, दलिया, गुड़, खांड़ और आटा खिलाने पहुंचे। बीमार गोवंश को सुबह 7 बजे जब पानी पिलाने गए तो गोवंश बेदर्दी से कुत्ते नोंच रहे थे। इस गोवंश को जंगली कुत्तों ने रविवार की रात में शिकार बनाया। इसके अलावा भी दो अन्य गोवंश की बीमारी से मौत हो गई।
रात में घुस आते हैं जंगली कुत्ते
उधर, अभ्यारण्य की जिम्मेदारी संभाल रहे जिला गोशाला संघ के प्रधान राजरूप पानू ने बताया कि तारबंदी का कार्य पूरा नहीं हुआ है। आंधी में एक दीवार भी गिर गई थी। इस कारण जंगली कुत्ते रात को घुस आते हैं। पानू ने बताया कि धन की कमी के कारण अभ्यारण्य में सुविधाओं की कमी है। मंगलवार को कमेटी के सदस्य डीसी सुमेधा कटारिया से मिलकर सहयोग की अपील करेंगे।
धमीजा बोले छह की हुई मौत
राजरूप पानू ने सोमवार को तीन गोवंश की मौत होने की बात स्वीकारी है। उधर, विनोद धमीजा ने बताया कि जिस समय वे अभ्यारण्य में पहुंचे तो छह गोवंश मरे पड़े थे। अन्य साथियों की मदद से सभी को जमीन में दबाया गया।
पानी का हुआ स्थायी प्रबंध
गांव नैन की पंचायती जमीन में लगे ट्यूबवेल से कनेक्शन जोड़ कर पाइपलाइन अभ्यारण्य तक लाया गया है। सोमवार को ट्यूबवेल का पानी पहुंचने भी लगा। अब अभ्यारण्य के लिए टैंकरों से पानी नहीं मंगवाना पड़ेगा। डीसी के सहयोग से खरीदे गए तीन ट्रैक्टरों में से तीसरा ट्रैक्टर भी सोमवार को अभयारण्य में पहुंच गया। दो पहले ही आ चुके हैं।
मजदूरों के लिए बनेंगे आवास
राजरूप पानू ने बताया कि अभ्यारण्य में काम करने के लिए आसपास गांवों से मजदूर आते हैं। सुबह आठ बजे से शाम छह बजे तक रहते हैं। रात को एक चौकीदार रहता है। 24 घंटे रहने वाले कर्मचारियों को रखने के लिए यहां उनके लिए कमरे बनाए जाएंगे। मिट्टी का भराव करवा दिया है, ईंटें भी आ चुकी है।
अभ्यारण्य में अब हालात सामान्य होने लगे हैं। इतने अधिक गोवंश में दो-तीन की मृत्यु होना सामान्य मृत्यु दर मानी जाती है। अधिकांश गोवंश कमजोरी और देखरेख नहीं होने के कारण मर रहे हैं। बीमार गोवंश को पर्याप्त इलाज दिया जा रहा है।
डॉ. शुभम, पशु चिकित्सक
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