पुष्य नक्षत्र में बच्चों को पिलाई स्वर्ण भस्म युक्त दवा, ताकि प्रतिरोधक क्षमता बढ़े और शारीरिक विकास हो
स्वर्ण प्राशन आयुर्वेद की एक महत्वपूर्ण विधा है। इसमें तीन महीने से ग्यारह साल तक के बच्चों को पुष्य नक्षत्र के दिन इस दवाई की बूंदे पिलाई जाती हैं। दक्षिण भारत के अधिकतर राज्यों में इसका काफी चलन है।
जागरण संवाददाता, पानीपत: पुष्य नक्षत्र के योग पर गांव बबैल स्थित राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय में तीन माह से 11 साल तक की आयुवर्ग के 86 बच्चों को स्वर्ण प्राशन कराया गया। इसमें बच्चों को स्वर्ण भस्म सहित अन्य औषधि युक्त दवाई की बूंदे पिलाई गईं। इससे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी, शारीरिक विकास होगा।
औषधालय की वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी अंजू फोगाट ने बताया कि स्वर्ण प्राशन आयुर्वेद की एक महत्वपूर्ण विधा है। इसमें तीन महीने से ग्यारह साल तक के बच्चों को पुष्य नक्षत्र के दिन इस दवाई की बूंदे पिलाई जाती हैं। दक्षिण भारत के अधिकतर राज्यों में इसका काफी चलन है। आयुर्वेदिक कॉलेजों सहित प्राइवेट चिकित्सक इस विधा का खूब उपयोग कर रहे हैं। डॉ. फोगाट ने बताया कि क्षेत्र के बच्चे स्वस्थ रहें, इसके लिए निजी स्तर पर दवाई का वितरण किया गया। अगले पुष्य नक्षत्र पर भी इसी प्रकार का शिविर लगाया जाएगा। शुभ माना जाता है पुष्य नक्षत्र
सत्ताइस नक्षत्रों में आठवां नक्षत्र है पुष्य। इस नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र में किए जाने वाले शुभ कार्यों का अच्छा परिणाम प्राप्त होता है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति उदार, सहनशील और परोपकारी होते हैं। धर्म-कर्म में इनकी गहरी आस्था होती है। सामाजिक कार्यों में विशेष रुचि होती है।
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