बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएगा 'पुष्य नक्षत्र', आयुर्वेदिक पद्धति से ऐसे मिलेगा लाभ
आयुर्वेदिक पद्धति से बच्चों का इम्युनाइजेशन होगा। श्रीकृष्णा अस्पताल का बाल रोग विभाग इसकी शुरुआत करने जा रहा है। 21 जनवरी को 16 वर्ष की आयु तक के बच्चों कोदवा पिलाई जाएगी।
पानीपत/कुरुक्षेत्र [विनीश गौड]। अब बच्चों को रोगों से दूर रखने के लिए एक बार फिर आयुर्वेद अब नक्षत्रों की शरण लेगा। पुराने सिद्धांतों को अपनाते हुए बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए नक्षत्रों के हिसाब से इलाज शुरू करेगा। आयुर्वेद के हिसाब से पुष्य नक्षत्र में दवा का असर ज्यादा होता है। इसके पीछे के कारण के लिए पढि़ए दैनिक जागरण की ये रिपोर्ट।
देश का पहला श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय एवं अस्पताल अब आयुर्वेदिक पद्धति से बच्चों का इम्युनाइजेशन करने की तैयारी कर रहा है। अस्पताल के बाल रोग विभाग में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली स्वर्ण भस्म, ब्रह्मी और कई जड़ी बूटियों से बनी दवा की दो बूंद पिलाई जाएगी।
राजस्थान सहित कई राज्यों में हो चुकी इसकी शुरुआत
विशेषज्ञों का कहना है कि आयुर्वेद में बच्चों की इम्युनाइजेशन करने की यह पुरानी पद्धति है, जिसे लोग भूल गए थे। मगर स्वर्ण प्रासन किसी एक बीमारी की बजाय तमाम बीमारियों से बच्चे की इम्युनिटी को बढ़ाता है। इस पद्धति को राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में अभी भी प्रयोग किया जा रहा है। ऐसे में कुरुक्षेत्र में पहली बार 21 जनवरी को जन्म से 16 वर्ष तक कि आयु तक के बच्चों को यह दवा निशुल्क पिलाई जाएगी।
अति प्राचीन पद्धति : डॉ. कटारिया
श्रीकृष्णा राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं अस्पताल बाल रोग विशेषज्ञ के डॉ. शंभू दयाल शर्मा और डॉ. अमित कटारिया ने बताया कि यह पद्धति आयुर्वेद की अति प्राचीन पद्धति है। सर्वप्रथम कुरुक्षेत्र से इस कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है। हर माह बच्चों को पुष्य नक्षत्र में यह दवा निशुल्क पिलाई जाएगी। इस दवा में कई तरह की औषधियां हैं जो बच्चों की रोग शक्ति, स्मरण शक्ति और पाचन शक्ति को बढ़ाती है। इस दवा में स्वर्ण भस्म भी होती है जो बीमारियों से बचाने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। डाबर आयुर्वेदिक लिमिटेड के साथ मिलकर इस शिविर को शुरू किया जा रहा है। पहला शिविर 21 जनवरी को महाविद्यालय एवं अस्पताल में आयोजित होगा, जिसमें बच्चों को दवा पिलाई जाएगी।
पुष्य नक्षत्र में बढ़ जाता है इसका प्रभाव
बाल रोग चिकित्सक डॉ. अमित कटारिया ने बताया कि आयुर्वेद में हर चीज मौसम के मुताबिक करने के लिए बताया गया है। किस मौसम में क्या खाएं और कौन सी भोजन वर्जित है इस सबकी जानकारी आयुर्वेद में मिलती है। इस दवा को पीने का सही समय भी पुष्य नक्षत्र में ही है। पुष्य नक्षत्र में इसका सेवन करने से इसका प्रभाव बढ़ जाता है। इसलिए हर माह इसका शिविर पुष्य नक्षत्र में ही लगाया जाएगा।