151 महिलाओं ने निकाली मंगल कलश शोभायात्रा
हनुमान जयंती पर कुटानी रोड स्थित अवध धाम मंदिर का वार्षिकोत्सव शुरू हुआ। तीसरे पहर 3 बजे 151 महिलाओं ने मंगल कलश शोभायात्रा निकाली। बजरंग बली के जयकारों से शहर गूंज उठा। मंदिर पर छह अप्रैल तक भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, पानीपत : हनुमान जयंती पर कुटानी रोड स्थित अवध धाम मंदिर का वार्षिकोत्सव शुरू हुआ। तीसरे पहर 3 बजे 151 महिलाओं ने मंगल कलश शोभायात्रा निकाली। बजरंग बली के जयकारों से शहर गूंज उठा। मंदिर पर छह अप्रैल तक भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा।
अवध धाम सेवा समिति की तरफ से मंदिर का वार्षिकोत्सव मनाया जा रहा है। लाल पीले पोशाक में सजी 151 महिलाएं सिर पर कलश लेकर शोभायात्रा में शामिल हुई। भक्तिमय माहौल में मुख्य सड़कों पर भ्रमण करने के बाद शोभयात्रा मंदिर परिसर में समाप्त हुई। विधायक रोहिता रेवड़ी, अर्चना गुप्ता व उद्योगपति अविनाश पालीवाल आदि ने भगवा ध्वज फहराया।
कथा व्यास पं. राधे-राधे महाराज ने श्रीमछ्वागवत सप्ताह के प्रथम दिवस पर भक्तों को महापुराण व कथा का महत्व समझाते हुए बताया कि कलियुग में भागवत कथा साक्षात हरि का रूप है। इसे सुनने के लिए देवी-देवता भी तरसते हैं। कथा सुनकर मानव सांसारिक मोह माया से छुटकारा पा सकता है। वर्तमान दौर में बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए कथा का अभ्यास कराना बहुत जरूरी है। पंडित दाऊजी ने भक्तों को आशीर्वाद दिया।
पं. निरंजन पाराशर ने बताया कि प्रभु प्राप्ति के लिए गृहस्थ जीवन का त्याग करना ही जरूरी नहीं है। इस अवसर पर समिति चेयरमैन डॉ. रमेश चुघ, निरंजन पाराशर, दाऊ महाराज, शशि भाटिया, ओमप्रकाश, सत्यनारायण गर्ग, वेद बांगा, विनोद लीखा, मोहनलाल, रमेश सैनी, हरज्ञान आदि मौजूद रहे।
भक्तों के लिए दौड़े आते हैं हनुमान : रोहिता
मुख्य अतिथि विधायक रोहिता रेवड़ी ने कहा कि अवधधाम सेवा समिति समाज में धर्म का प्रचार कर रही है। वह पिछले कई वर्षो से इस कार्यक्रम में हिस्सा लेती आ रही हैं। भगवान हनुमान अपने भक्तों को हर प्रकार के रोग, दोष व भय से मुक्ति दिलाते हैं। हनुमान चालीसा का पाठ करने मात्र से ही हृदय को सुकून पहुंचता है। जहां भी हनुमान का सच्चे मन से ¨चतन किया जाता है। वहां वे जरूर विद्यमान रहते हैं।
राम भक्त हनुमान को प्रिय : डॉ. अर्चना गुप्ता
डॉ. अर्चना गुप्ता ने कहा कि भगवान हनुमान के ¨चतन मात्र से ही उनके भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं। वे अपने भक्तों पर हमेशा कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। हमें दुख की घड़ी में ही नहीं अपितु सुख में भी प्रभु का स्मरण करना चाहिए।