गांवों में पंचायतों की मर्जी के बिना नहीं खुलेंगे शराब ठेके, 31 तक जतानी होगी आपत्ति
गांवों में शराब ठेकों का विरोध करती रही महिलाओं और पंचायतों को प्रदेश सरकार ने 31 दिसंबर तक का मौका दिया है।
चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। गांवों में शराब ठेकों का विरोध करती रही महिलाओं और पंचायतों को प्रदेश सरकार ने 31 दिसंबर तक का मौका दिया है। इस दौरान पंचायतों को प्रस्ताव पास कर आबकारी एवं कराधान विभाग को लिखित में अर्जी देनी पड़ेगी कि उनके गांव में शराब का ठेका नहीं खोला जाए। हालांकि इसके लिए शर्त रहेगी कि संबंधित गांव अवैध खुर्दे और शराब की तस्करी से मुक्त होना चाहिए और पूरे साल गांव में अवैध बिक्री का कोई मामला दर्ज न हुआ हो।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देश पर आबकारी एवं कराधान विभाग ने शराब ठेकों का विरोध कर रहीं पंचायतों से आवेदन मांगे हैं। शर्तें पूरी करने वाली पंचायतों में पहली अप्रैल से शराब के ठेके दिखाई नहीं देंगे। सरकार के फैसले से उन पंचायतों को राहत मिलेगी जो लंबे समय से ठेकों को बंद कराना चाह रहे थे। नियमानुसार एक हजार से कम घरों वाले गांव की पंचायत यदि शराब ठेका खोलने के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर भेजती है तो उस गांव में ठेका नहीं खोला जाता।
बता दें, साल 500 ग्राम पंचायतों ने सरकार को लिखित अर्जी देकर शराब ठेके नहीं खोलने की फरियाद लगाई थी जिनमें से 198 पंचायतों की दरख्वास्त मंजूर हुई। उससे पिछले साल 650 गांवों ने ठेके नहीं खोलने का अनुरोध किया था जिनमें से 185 पंचायतों का प्रस्ताव सरकार ने मान लिया। अन्य पंचायतों की शराब ठेका खोलने की मांग इसलिए पूरी नहीं हो पाई क्योंकि वह शर्तों पर खरी नहीं उतरीं। इनमें काफी संख्या में पंचायतें ऐसी थीं जिन्होंने शराब ठेकों के खिलाफ प्रस्ताव तो पास कर सरकार के पास भेजा, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। एक बार ठेका अलॉट होने के बाद इसे रद नहीं किया जा सकता।