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निर्यात पर प्रतिबंध से हरियाणा की मंडियों में 200 रुपये क्विंटल गिर गए गेहूं के भाव, फिर भी एमएसपी से अधिक

Wheat Price in Haryana केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद हरियाणा की मंडियों में इसके भाव में कमी आई है। राज्‍य की मंडियों में गेहूं के भाव में प्रति क्विंटल 200 रुपये की कमी आई है। इसका भाव एमएसपी से है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 08:27 AM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 08:27 AM (IST)
निर्यात पर प्रतिबंध से हरियाणा की मंडियों में 200 रुपये क्विंटल गिर गए गेहूं के भाव, फिर भी एमएसपी से अधिक
हरियाणा की मंडियों मेंं गेहूं के भाव में कमी आई है। (फाइल फोटो)

बिजेंद्र बंसल, नई दिल्ली। Wheat Price in Haryana: केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद हरियाणा की मंडियों में इसके भाव में गिरावट आई है। राज्‍य में एमएसपी से अधिक दर पर बिक रहे गेहूं के भाव में 200 प्रति क्विंटल की कमी आई है। इसके बावजूद इसका भाव एमएसपी स‍े अधिक है।   

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व्यापारी मंडियों में 2015 रुपये की तय एमएसपी से ज्यादा 2300 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर खरीद रहे थे गेहूं

दरअसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से करीब तीन सौ रुपये प्रति क्विंटल महंगे हो चुके गेहूं के भाव नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने 14 मई को इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। इसका हरियाणा में तुरंत असर हुआ और गेहूं के दाम करीब दो सौ रुपये तक गिर गए हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय गेहूं की मांग बढ़ने से देश में गेहूं के दाम उछल गए थे, जिसका प्रभाव देश के उपभोक्ताओं पर पड़ रहा था।

सरकार ने इस बार गेहूं की खरीद के लिए एमएसपी की दर 2015 रुपये प्रति क्विंटल तय की थी। एमएसपी पर सिर्फ एक से 16 अप्रैल तक ही सरकारी एजेंसियों ने गेहूं की खरीद की। इसके बाद निर्यातकों को गेहूं बेचकर अतिरिक्त आय के लोभ में व्यापारियों ने मंडियों में 2300 रुपये प्रति क्विंटल तक गेहूं खरीद लिया था। कारण यह था कि गुजरात के कांडला पोर्ट पर निर्यातक कंपनियां उनका गेहूं 215 रुपये प्रति क्विंटल के भाड़े के साथ 2700 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर खरीद रही थीं।

मोटी कमाई के चक्कर में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के व्यापारियों ने अपने क्षेत्रों से गेहूं खरीदकर कांडला पोर्ट की रवाना करना आरंभ कर दिया। सभी प्रदेशों की मंडियों से कम से कम दो से पांच व्यापारी ऐसा करने लगे तो किसान उन्हें अपना गेहूं देने के लिए उमड़ पड़े। इससे सरकार की तरफ से एमएसपी पर की जाने वाली खरीद ठप हो गई।

उधर, भाव बढ़ते देख समृद्ध किसानों ने भी अपने गेहूं का भंडारण कर लिया और एमएसपी पर बेचने से परहेज किया। यद्यपि सरकार को ऐसे किसानों की चिंता है और गेहूं के निर्यात के पर प्रतिबंध लगने के बाद जब गेहूं के भाव गिर रहे हैं, तो सरकार ने उन्हें राहत दी है। व्यापारियों से मिले लालच के चक्कर में जिन किसानों ने अपने गेहूं का भंडारण कर लिया और सरकारी एजेंसियों को एमएसपी नहीं बेचा, वे अब सरकारी एजेंसियों को 31 मई तक एमएसपी पर गेहूं बेच सकते हैं। इसके लिए एजेंसियां मंडियों में पहुंच चुकी हैं।

बता दें कि हरियाणा में इस वर्ष 85 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जाना था, लेकिन व्यापारियों की तरफ से ऊंचे भाव पर खरीद के कारण अभी तक सिर्फ 45 लाख मीट्रिक टन ही गेहूं खरीदा जा सका है। राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी एमएसपी पर गेहूं की खरीद कम हुई है।

अभी और सस्ता हो सकता है गेहूं

प्रतिबंध के बाद निर्यात के खेल में लगे व्यापारियों का गेहूं कांडला पोर्ट पर फंस गया है। निर्यातकों के जो दलाल पहले व्यापारियों से मौखिक सौदा करके गेहूं के ट्रकों के साथ कांडला पोर्ट बुला रहे थे, वे अब गायब हो गए हैं। ऐसे में कांडला पोर्ट में फंसे व्यापारी गांधीधाम के आसपास किराये के गोदामों में अपना गेहूं रखवा रहे हैं। कुछ व्यापारी गेहूं वापस लाने की सोच रहे हैं।

इन व्यापारियों का कहना है कि यदि केंद्र सरकार ने एक-दो माह तक लगातार निर्यात पर प्रतिबंध लगाए रखा तो मंडियों में गेहूं का भाव एमएसपी से भी सस्ता पहुंच सकता है, क्योंकि सरकार तो 31 मई तक ही एमएसपी पर गेहूं खरीदेगी। इसके बाद जिसके पास गेहूं रहेगा, वह एमएसपी से भी सस्ती दर पर गेहूं बेचने का मजबूर होगा।


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