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परिवहन विभाग ने निकाले 365 रोडवेज कर्मचारी; टकराव बढ़ा, फिर हड़ताल की धमकी

परिवहन निदेशालय ने वर्ष 2016 में अनुबंध आधार पर लगे 365 चालकों को तत्काल प्रभाव से हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 02 Dec 2018 12:56 PM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2018 08:56 PM (IST)
परिवहन विभाग ने निकाले 365 रोडवेज कर्मचारी; टकराव बढ़ा, फिर हड़ताल की धमकी

जेएनएन, चंडीगढ़। चालक-परिचालकों का ओवरटाइम बंद करने से बुरी तरह चरमराई परिवहन व्यवस्था अब और बिगड़ेगी। परिवहन निदेशालय ने वर्ष 2016 में अनुबंध आधार पर लगे 365 चालकों को तत्काल प्रभाव से हटाने के आदेश जारी कर दिए हैं। सरकार की कार्रवाई से भड़की रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी ने मामले की शिकायत हाई कोर्ट में करने की तैयारी कर ली है। साथ ही कच्चे कर्मचारियों को हटाने के आदेश वापस नहीं होने की स्थिति में आंदोलन छेड़ने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।

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इससे पहले विगत मई माह में भी परिवहन विभाग ने आउटसोर्सिंग पॉलिसी-2 के तहत लगे कर्मचारियों को निकालने के आदेश दिए थे, लेकिन कर्मचारी संगठनों के विरोध के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। दो दिन पहले वाणिज्यिक अधिकारियों की बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह ने सभी डिपो में स्टाफ पूरा बताते हुए सभी 365 कच्चे कर्मचारियों को बाहर निकालने के आदेश दे दिया। इस पर सबसे पहले फरीदाबाद के रोडवेज महाप्रबंधक ने 37 कर्मचारियों का अनुबंध खत्म करने का आदेश दिया। सभी चालकों को  बकायदा उनकी सेवाएं खत्म करने की चिट्ठी भी पकड़ा दी गई।

आंदोलन के लिए उकसा रहे अफसर : तालमेल कमेटी

कच्चे कर्मचारियों को निकालने के विरोध में रोडवेज कर्मचारी तालमेल कमेटी ने आक्रामक रुख अपनाते हुए सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कमेटी पदाधिकारियों दलबीर किरमारा, वीरेंद्र सिंह धनखड़, हरी नारायण शर्मा, शरबत सिंह पूनिया, पहल सिंह तंवर व बलवान सिंह दोदवा ने कहा कि परिवहन अधिकारी उन्हें फिर से आंदोलन के लिए उकसा रहे हैं। हमने हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए 18 दिन चली हड़ताल खत्म कर दी, लेकिन विभाग के अफसर हर दिन नए तुगलकी फरमान जारी कर रहे हैं। स्टाफ की कमी के बावजूद पहले ओवरटाइम बंद किया और फिर गांवों में बसों का रात्रि ठहराव भी बंद कर दिया।

सरकार और कर्मचारियों की लड़ाई में पिस रहे यात्री

सरकार और कर्मचारियों की लड़ाई में यात्री बुरी तरह पिस रहे हैं। बसों के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। चालक-परिचालकों का ओवरटाइम बंद करने से करीब एक तिहाई स्टाफ को घर बैठना पड़ रहा है जिससे बड़ी संख्या में बसें डिपुओं से नहीं निकल रहीं। हालांकि रोडवेज कर्मचारी यूनियनों ने 45 दिन तक बगैर ओवरटाइम लिए बसों को चलाने के लिए सरकार को चिट्ठी लिखी, लेकिन परिवहन निदेशक ने पूरा स्टाफ बताते हुए अतिरिक्त कार्य लेने से इंकार कर दिया।

स्थिति यह है कि सभी डिपो में चंडीगढ़ सहित दूसरे राज्यों के लंबे रूटों पर जाने वाले चालक-परिचालकों से सप्ताह में तीन-चार दिन बसें चलवाकर बाकी दिन के लिए आराम पर भेज दिया जा रहा है। नतीजन जो बसें पहले हर दिन 500-600 किलोमीटर या 16 घंटे चलती थीं, अब 200-250 किलोमीटर या फिर आठ घंटे चल रही हैं। यही वजह है कि हर शहर-गांव में बसों के इंतजार में यात्री दो से तीन घंटे धक्के खाते फिर रहे हैं।

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