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व्‍यापारियों को मिलेगी बड़ी राहत, जीएसटी को लेकर केंद्र और हरियाणा के अफसरों में नहीं पिसेंगे

हरियाणा के व्‍यापारियों को जीएसटी से जुड़ मामले पर बड़ी राहत मिली है। अब वे जीएसटी के मामलों में केंद्र और राज्‍य के अधिकारियों के बीच नहीें फंसेंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 12:59 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 12:59 PM (IST)
व्‍यापारियों को मिलेगी बड़ी राहत, जीएसटी को लेकर केंद्र और हरियाणा के अफसरों में नहीं पिसेंगे
व्‍यापारियों को मिलेगी बड़ी राहत, जीएसटी को लेकर केंद्र और हरियाणा के अफसरों में नहीं पिसेंगे

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) देने वाले व्यापारियों और उद्यमियों को अब केंद्र और हरियाणा के अफसरों के बीच नहीं पिसना पड़ेगा। विधानसभा में बुधवार को माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक पारित हो गया। इसके अलावा लोक निर्माण विभाग में वर्ष 2010 के बाद लगे प्रथम श्रेणी के अभियंताओं की चीफ इंजीनियर तक की पदोन्नति का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए हरियाणा अभियंता सेवा, ग्रुप-क, लोक निर्माण (भवन एवं सड़कें) विभाग (संशोधन) विधेयक पारित किया गया है।  

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पीडब्ल्यूडी में इलेक्ट्रिक विंग के प्रथम श्रेणी इंजीनियर भी बन सकेंगे चीफ इंजीनियर

हरियाणा विधानसभा के पहले सत्र के तीसरे और अंतिम दिन सर्वसम्मति से दोनों विधेयक पारित किए गए। इससे पहले प्रदेश सरकार ने हरियाणा माल और सेवा कर अधिनियम 2017 (अधिनियम) पारित किया था जिसमें  माल या सेवाओं या दोनों पर अंतरराज्यीय कर लगाने और संग्रह की व्यवस्था थी।

हरियाणा विधानसभा ने दो संशोधित बिल किए पास

संशोधित अधिनियम से करदाताओं, विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों को जीएसटी प्रणाली में होने वाली प्रमुख असुविधा रिटर्न भरने और कर का भुगतान करने की प्रक्रिया में राहत मिलेगी। पहले करदाताओं को रिफंड के लिए केंद्र और राज्य, दोनों के अधिकारियों से संपर्क करना होता था। नई रिटर्न फाइलिंग प्रणाली को लागू किया गया है जिसमें 50 लाख रुपये तक के सालाना लेन-देने वाले व्यापारियों और उद्यमियों को राहत मिलेगी।

20 लाख रुपये की उच्चतर अवसीमा छूट को 40 लाख रुपये तक बढ़ाया गया है। कर के त्रैमासिक और मासिक भुगतानों का विकल्प रहेगा। करदाता को डिजिटल भुगतान और इलक्ट्रॉनिक नकद खाते में किसी राशि अंतरण की सुविधा मिलेगी। ऐसे मामलों, जहां कर का भुगतान अधिनियम की धारा 73 या 74 के अधीन किन्हीं कार्यवाहियों के शुरू होने के बाद किया जाता है, के सिवाय केवल शुद्ध नकद कर दायित्व पर ही ब्याज प्रभारित करने की व्यवस्था की गई है।

वहीं, पीडब्ल्यूडी के सिविल, विद्युत, यांत्रिक एवं बागवानी संवर्ग में प्रथम श्रेणी इंजीनियरों को पदोन्नति के अवसर मिलेंगे। अभी तक प्रमुख अभियंता का पद केवल सिविल अभियंता संवर्ग के द्वारा भरा जाता था। वर्ष 2013 में रोहताश सिंह सहरावत व अन्य ने इसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। 12 जनवरी 2018 को हाई कोर्ट ने फैसला सुना दिया, जिसके खिलाफ सरकार ने 28 सितंबर 2018 को याचिका लगाई, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे निरस्त कर दिया।

अब सरकार ने नियमों में संशोधन कर दिया है जो 4 नवंबर 2010 से लागू होगा। प्रमुख अभियंता के पद पर पदोन्नति के लिए सामान्य संवर्ग होगा, परंतु इलेक्ट्रिकल संवर्ग के लिए मुख्य अभियंता (इलेक्ट्रिकल) का अलग पद होगा। कमेटी द्वारा इन पदों को ज्येष्ठता-सह-योग्यता के आधार पर भरा जाएगा। ज्येष्ठता उनके अपने-अपने संवर्ग में अधीक्षण अभियंता के पद पर सेवाकाल के द्वारा अवधारित की जाएगी। 


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