जातीय हिंसा की होगी न्यायिक जांच, सरकार नहीं रही विफल : मनोहर
हरियणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधानसभा मं कहा कि जाट आंदोलन के दौरान हुई जातीय हिंसा व लूटपाट की न्यायिक जांच होगी। इसकी जांच रिटायर्ड जज करेंगे। इसके साथ की उन्होेंने आंदोलन व हिंसा रोकने में सरकार की विफलता के आरोपों को खारिज किया।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा की भाजपा सरकार जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान राज्य में हुई हिंसा, लूटपाट और आगजनी की न्यायिक जांच के लिए तैयार हो गई है। यह जांच रिटायर्ड जज से कराई जाएगी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हिंसा के दौरान अपनी सरकार की विफलता को मानने से इनकार किया है। उन्होंने इस तरह के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में 'काम रोको प्रस्ताव' पर चर्चा के बाद अपने जवाब में जातीय हिंसा की न्यायिक जांच का एेलान किया।
पुलिस व आर्मी की गोली से मारे गए लोगों के परिजनों को नहीं मिलेगी आर्थिक सहायता व सरकारी नौकरी
मुख्यमंत्री ने सदन में स्पष्ट कर दिया कि सेना और पुलिस की गोली से मारे जाने वाले दंगाइयों के परिजनों को कोई आर्थिक मदद नहीं दी जाएगी। विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला, परमिंदर सिंह ढुल और जाकिर हुसैन ने सभी प्रभावित व्यक्तियों को राहत दिए जाने की मांग सरकार से की। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि हिंसा में मारे गए निर्दोष लोगों के परिजनों को ही 10-10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के एक-एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी।
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विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला जातीय हिंसा पर 'काम रोको प्रस्ताव' लेकर आए थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कलायत के आजाद विधायक जय प्रकाश जेपी का भी इस पर प्रस्ताव था। स्पीकर कंवरपाल गुर्जर ने प्रश्नकाल के बाद विधानसभा के सभी विधायी कार्यों को रोक कर जाट आरक्षण आंदोलन और जातीय हिंसा पर चर्चा शुरू करवाई।
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कांग्रेस विधायकाें की गैरमौजूदगी में भाजपा व इनेलो विधायकों ने प्रदेश में हुए आंदोलन व हिंसा के लिए कांग्रेस तथा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को दोषी ठहराया। काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भाजपा सरकार के जाट व गैर-जाट मंत्री भी आपस में बंटे हुए दिखाई पड़े।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों की आंदोलन में भूमिका की जांच के लिए उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी जांच कर रही है। आंदोलन के लिए जिम्मेदार या इसमें शामिल किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा।
35 हजार करोड़ नहीं 850 करोड़ का हुआ नुकसान
मुख्यमंत्री ने हिंसा, आगजनी व लूटपाट में 35 हजार करोड़ के नुकसान के आंकड़े को खारिज करते हुए कहा कि अभी तक करीब 850 करोड़ का नुकसान का आकलन हुआ है। इसमें 650 करोड़ रुपये की प्राइवेट व सरकारी संपत्तियां शामिल हैं। रेलवे के नुकसान का अभी मूल्यांकन नहीं हुआ है। यह आंकड़ा 200 करोड़ रुपये तक हो सकता है। छोटे दुकानदारों एवं व्यापारियों के नुकसान की भरपाई पहले से ही की जा रही है। अभी 30 लाख तक के नुकसान का मूल्यांकन चल रहा है। एक करोड़ तक के नुकसान के मूल्यांकन के लिए कमेटियां बनाई गई हैं।
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आंदोलन तो पहले भी हुए हमने चार दिन में कंट्रोल किया
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जाट आरक्षण आंदोलन व जातीय हिंसा से निपटने में राज्य सरकार के विफल होने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि कि जाट आरक्षण पर बातचीत करने से लेकर आंदोलन होने तक सरकार पूरी तरह से सजग रही। उन्होंने कहा कि आंदोलन तो पहले भी हुए लेकिन हमने चार दिन में स्थिति को कंट्रोल कर लिया।
'काम रोको प्रस्ताव' पर चर्चा के बाद जवाब देते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि हिंसा में कुल 30 लोगों की जानें गई हैं। 449 जगहों पर जाम लगाया गया था। 2087 एफआइआर दर्ज की गई हैं और अभी तक 444 अभियुक्त गिरफ्तार हो चुके हैं। यदि सरकार संयम से काम नहीं लेती तो मारे गए लोगों की संख्या अधिक हो सकती थी।
मनोहर लाल ने कहा कि लापरवाही करने के मामले में रोहतक के आईजी सहित दो डीएसपी को सस्पेंड किया जा चुका है। एक पुलिस अधिकारी को बर्खास्त किया गया है। राज्य में अर्द्ध सैनिक बलों की 62 कंपनियां अभी भी तैनात हैं। इन्हें रोहतक, सोनीपत, झज्जर, हिसार, भिवानी सहित उन जगहों पर तैनात किया गया है, जहां सबसे अधिक हिंसा हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मंडल आयोग के समय तीन महीने तक आंदोलन चला और हरियाणा में उस समय 28 लोगों की मौत हुई। 1984 के दंगों के बाद चार दिन तक राज्य में दंगे हुए। मडियाली कांड का आंदोलन सवा महीने तक चला। कादमा कांड का आंदोलन भी 20 दिन तक चला और कंडेला में भी किसानों का 10 दिन तक आंदोलन चला। इसलिए यह कहना गलत है कि सरकार जाट आरक्षण आंदोलन को समय से कंट्रोल नहीं कर पाई।