कोर्ट ने नहीं लिए महिला मैनेजर के बयान, कहा : पहले दिए वही स्टैंड करेंगे
छेड़छाड़ मामले की पीड़िता महिला मैनेजर बयान दर्ज करवाने जिला अदालत पहुंची।
राजेश मलकानियां, पंचकूला : मनसा देवी कांप्लेक्स थाने के तत्कालीन प्रभारी रविकांत शर्मा और होमगार्ड जश्नपाल के खिलाफ शनिवार को उगाही और छेड़छाड़ मामले की पीड़िता महिला मैनेजर बयान दर्ज करवाने जिला अदालत पहुंची। मनसा देवी थाना प्रभारी दीपक कुमार महिला पुलिस के साथ महिला मैनेजर को लेकर शाम लगभग चार बजे जिला अदालत पहुंचे, जहां पर महिला कोर्ट में जज के समक्ष पेश हुई। महिला मैनेजर ने कहा कि वह उगाही और छेड़छाड़ मामले में अपने बयान सीआरपीसी 164 के तहत द्वारा दर्ज करवाना चाहती है। महिला ने दबाव होने के चलते पहले बयान से मुकरने की बात जज के समक्ष कही। लेकिन अदालत की ओर से स्पष्ट कर दिया गया कि जो बयान पहले हो चुके हैं, वही स्टैंड करेंगे। जिसके बाद महिला मैनेजर कोर्ट से बाहर आ गई, इस दौरान महिला मैनेजर मीडिया के सवालों से बचती नजर आई। उसे कुछ सवाल पूछे गए लेकिन वह कुछ भी नहीं बोली। उसने एक बात जरूर मानी कि दबाव के चलते उसने शिकायत के दौरान दिए गए बयानों को कोर्ट में बदल दिया था। पहले भी मेरे साथ करता था छेड़छाड़
कोर्ट की ओर से जब महिला मैनेजर के बयान दर्ज करने से इन्कार कर दिया गया तो पुलिस उसे एमडीसी थाना ले गई। जहां पर महिला की स्टेटमेंट रिकॉर्ड कर ली गई है। महिला ने पुलिस को बताया कि जश्नपाल उससे मंथली लेने आता था और छेड़छाड़ भी करता था। यह एक बार नहीं कई बार हो चुका था। अब उसकी हरकतें काफी बढ़ चुकी थी। 23 नवंबर को उसने छेड़छाड़ की। बाल पकड़ कर खींचे, हाथ पकड़ा। जश्नपाल की पत्नी मेरे पास आकर रोने लगी थी
पीड़िता ने बताया कि इसके बाद सैलून मालिक पंकज शर्मा और मैंने जश्नपाल और रविकांत शर्मा के खिलाफ शिकायत देने की ठान ली थी। शिकायत के बाद जश्नपाल और रविकांत शर्मा सैलून के नीचे आए थे। इन दोनों ने मुझे धमकाया था। जश्नपाल की पत्नी मेरे पास आई थी, रोने लगी थी। जिसके बाद मैं इमोशनल हो गई और डर भी गई थी। इन दोनों ने मेरे परिवार को खत्म करने की भी धमकी दी थी। जिसके बाद मैंने शिकायत के बाद कोर्ट में अपने बयान मजबूरी में बदल दिए थे। अब मैं अपने स्टेटमेंट पर कायम हूं। हाई कोर्ट का हो सकता है रुख
जिला अदालत के इन्कार करने के बाद पीड़िता पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का रुख कर सकती है। महिला वहां पर अपनी दलील रख सकती है। सीआरपीसी 161 में गवाह से पूछताछ के दौरान पुलिस द्वारा उसका बयान दर्ज करती है। मामले में गवाह से पूछताछ के दौरान पुलिस यह बयान दर्ज करती है। बयान पर गवाह के साइन होने जरूरी नहीं। इस बयान को कई बार दर्ज करवाया जा सकता है। एक बार ही दर्ज होते हैं बयान
गवाह को मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराने के लिए पुलिस संबंधित कोर्ट में अर्जी दायर करती है जो उसे लिक मजिस्ट्रेट के पास भेज देता है। बयान दर्ज करते वक्त मजिस्ट्रेट और गवाह के अलावा अन्य कोई भी व्यक्ति, अधिकारी या वकील वहां नहीं होता। इस बयान पर गवाह के साइन जरूरी हैं और कोर्ट में इस बयान की अहमियत सबसे ज्यादा है। यह बयान एक ही बार दर्ज होता है। जज पूछता है दबाव के बारे में
धारा 164 के तहत बयान दर्ज करते समय मजिस्ट्रेट गवाह से पूछता है कि उस पर कोई दबाव तो नहीं है। गवाह जब बताता है कि वह अपनी मर्जी से बयान दे रहा है तब मजिस्ट्रेट उसे कलमबद्ध करता है। कई बार ट्रायल के दौरान गवाह आरोप लगाता है कि पुलिस ने जबरन बयान दर्ज किया है और उसने उक्त बयान नहीं दिए थे लेकिन मजिस्ट्रेट के सामने दिए बयान से उसके लिए मुकरना आसान नहीं होता। आरोपितों को मिलेगा फायदा
महिला मैनेजर के बयान दोबारा कोर्ट में दर्ज न होने से एसएचओ रविकांत शर्मा और जश्नपाल को केस के ट्रायल फायदा मिलेगा क्योंकि वह अदालत में यह साबित करने की कोशिश करेंगे कि महिला मैनेजर बार-बार बयान बदलती रही। जश्नपाल यह साबित करने की कोशिश करेगा कि उसका महिला से पारिवारिक संबंध था और वह अकसर पैसों का लेन-देन करते थे लेकिन फंसाने की साजिश से महिला ने उसकी सीसीटीवी की रिकॉर्किंग निकलवा ली। महिला को कोर्ट में सीआरपीसी के 164 के बयान दर्ज करवाने के लिए लेकर गए थे। मगर तकनीकि कारणों से अदालत ने दोबारा बयान दर्ज करने से इन्कार कर दिया है। पुलिस ने महिला की दोबारा स्टेटमेंट रिकॉर्ड कर ली है क्योंकि उसने पुलिस कमिश्नर को शुक्रवार को शिकायत दी थी। -कमलदीप गोयल, डीसीपी, पंचकूला