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सुनपेड़ प्रकरणः सीबीआइ ने अदालत में दायर की कैंसलेशन रिपोर्ट, आरोपितों को मिली क्लीन चिट

फरीदाबाद के सुनपेड़ गांव में दलित परिवार को जलाने के बहुचर्चित प्रकरण मेंं सीबीआइ ने जांच के बाद सभी आरोपितों को क्लीन चिट दे दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 08:54 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 08:54 PM (IST)
सुनपेड़ प्रकरणः सीबीआइ ने अदालत में दायर की कैंसलेशन रिपोर्ट, आरोपितों को मिली क्लीन चिट
सुनपेड़ प्रकरणः सीबीआइ ने अदालत में दायर की कैंसलेशन रिपोर्ट, आरोपितों को मिली क्लीन चिट

जेएनएन, पंचकूला। फरीदाबाद के सुनपेड़ गांव में दलित परिवार को जलाने के बहुचर्चित प्रकरण मेंं सीबीआइ ने जांच के बाद सभी आरोपितों को क्लीन चिट दे दी है। इस केस मेंं 12 अभियुक्त थे। उनमें से एक के नाबालिग होने के कारण उसका केस जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा था। वहां सीबीआइ पहले ही क्लोजर रिपोर्ट दायर कर चुकी है। अन्य 11 आरोपितों  को क्लीन चिट देते हुए जांच एजेंसी ने बुधवार को कैसिलेशन रिपोर्ट दाखिल कर दी है। सीबीआइ की विशेष अदालत ने अब  अगली सुनवाई की तारीख 31 जनवरी तय की है, उस दिन आरोपितों को आरोप मुक्त किया जा सकता है।

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यह घटना फरीदाबाद के थाना सदर क्षेत्र के सुनपेड़ गांव में 19 अक्टूबर 2015 को हुई थी। एफआइआर के अनुसार दलित समुदाय के जितेंद्र सिंह के घर के बाहर की खिड़की से पेट्रोल डालकर आग लगा दी गई थी। इससे जितेंद्र के तीन वर्षीय बेटे वैभव और 10 माह की बेटी दिव्या की जलकर मौत हो गई थी। जितेंद्र और उसकी पत्नी रेखा झुलस गए थे। जितेंद्र की तरफ से दर्ज कराई गई एफआइआर में गांव के ही बलमत, जगत, धर्म सिंह, ऐदल सिंह, नौनिहाल, जोगिंद्र, सूरज, आकाश, अमन, संजय और देशराज को नामजद किया था।

फोरेंसिक जांच में आया था कि आग अंदर से ही लगी थी

अभियोजन पक्ष के वकील एसपीएस परमार एवं अभिषेक सिंह राणा ने बताया कि फोरेंसिक जांच में यह बात स्पष्ट हुई थी कि ज्वलनशील पदार्थ कमरे के बाहर से नहीं बल्कि अंदर से ही डाला गया। आरोपित पक्ष की मांग पर प्रदेश सरकार ने इस केस की जांच सीबीआई को सौंपी थी। हमने  शिकायतकर्ताओं के  पॉलीग्र्राफ टेस्ट की मांग की थी, लेकिन जितेंद्र कुमार ने टेस्ट करवाने से इन्कार कर दिया था। जब सीबीआइ ने आरोपितों का टेस्ट कराने के लिए कहा तो हमने स्वीकार कर लिया था।

दोनों परिवारों में थी रंजिश

इस घटना से पहले जितेंद्र की गांव में ही परचून की दुकान हुआ करती थी। परिवार के लोग मोबाइल रिपेयरिंग का भी काम करते थे। 5 अक्तूबर 2014 को छिद्दन सिंह के परिवार का एक लड़का मोबाइल ठीक कराने के लिए दुकान पर गया था। मोबाइल देते समय वह नाले में गिर गया। इस पर जब लड़के ने मोबाइल देने के लिए कहा तो दलित परिवार ने नाले से मोबाइल निकालने से मना कर दिया। इसे लेकर दोनों पक्षों के बच्चों के बीच झगड़ा हो गया। दूसरे दिन इस झगड़े ने गंभीर रूप ले लिया।

आरोप है कि जितेंद्र के परिवार के लोगों ने चाकू से हमला कर दूसरे के 35 वर्षीय पप्पू उर्फ मोहनलाल, 38 वर्षीय पप्पी उर्फ इंदराज, 40 वर्षीय बालू उर्फ भरतपाल, करतार और नौनिहालों को घायल कर दिया था। इसमें पप्पू और पम्पी की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि बालू उर्फ भरतपाल की दस दिन बाद मौत हो गई। इस घटना में दलित वर्ग के वेद प्रकाश, वंशी, सरपंच जगमाल, दल्ले, अमित, पवन, सतेंदर, कल्लू, महिला लज्जा और संतोष के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया था।

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