दलितों हितों को लेकर सचेत हुई हरियाणा सरकार, चार जिलों में बनेंगी विशेष अदालतें
हरियाणा के सर्वाधिक दलित उत्पीड़न वाले चार जिलों में विशेष अदालतें बनेंगी, ताकि पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय मिल सके।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के सर्वाधिक दलित उत्पीड़न वाले चार जिलों में विशेष अदालतें बनेंगी, ताकि पीड़ितों को जल्द से जल्द न्याय मिल सके। हिसार, भिवानी, कैथल और रेवाड़ी में हत्या और जानलेवा हमलों के वास्तविक कारणों का विश्लेषण करने की जिम्मेदारी पुलिस महकमे को दी गई है। उधर, दुष्कर्म, छेड़छाड़ और उत्पीड़न के 50 से अधिक मामले वाले छह जिलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने पर भी तेजी से काम चल रहा है। इसके लिए जरूरी स्टाफ की मंजूरी दे दी गई है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत गठित राज्यस्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक में यह निर्देश दिए। जेल मंत्री कृष्ण लाल पंवार और अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी भी साथ थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों को निपटाने के लिए विशेष अदालतों की स्थापना पर तेजी से काम किया जाए। अधिनियम के तहत अदालतों द्वारा दलित उत्पीड़न के मामलों का निपटारा दो माह में करना जरूरी है।
बैठक में बताया गया कि दलित उत्पीड़न के मामलों में त्वरित सुनवाई के लिए फिलहाल हर जिले में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश-1 की अदालत को विशेष अदालत का दर्जा दिया गया है। बैठक में बताया गया कि अनुसूचित जातियों के खिलाफ अपराध से निपटने के लिए पुलिस मुख्यालय पंचकूला में विशेष प्रकोष्ठ बनाया गया है। उत्पीड़न के शिकार अनुसूचित जाति के लोगों 8.25 लाख रुपये तक की मदद दी जाती है।
सीवर में उतरेंगे सिर्फ ट्रेंड सीवरमैन
सेप्टिक टैंक की सीवर लाइनों की सफाई के दौरान हादसों को रोकने के लिए केवल पंजीकृत व ट्रेंड सीवर मैन को ही सीवर में उतरने की अनुमति दी जाएगी। इनका दस लाख रुपये तक का बीमा होगा।