पेड़-पौधों को बचाने के लिए काम कर रहे एसएल धीमान
पर्यावरण को बचाने के लिए पौधारोपण जरूरी है।
राजेश मलकानिया, पंचकूला : पर्यावरण को बचाने के लिए पौधारोपण जरूरी है। जिस तरह से जगह-जगह निर्माण कार्य के चलते पेड़ कट रहे हैं, उससे हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है और भविष्य में सास लेना भी मुश्किल हो जाएगा। इसलिए वरदान वेलफेयर सोसायटी द्वारा युवाओं, बुजुर्गो और बच्चों को इसके प्रति जागरूक करने का बीड़ा उठाया गया है। वरदान वेलफेयर सोसायटी पंचकूला के महासचिव एसएल धीमान ने बताया कि पिछले वर्ष की भाति 26 जुलाई से पौधे रोपने का काम शुरू किया और अब तक 1500 पौधे उन्होंने लगाए हैं। इनमें छायादार के अलावा 450 फलों के पौधे हैं। हमारा मकसद पेड़ लगाकर उसे बचाना है, इसलिए हम कोशिश करते हैं कि पेड़ ऐसी जगह लगाएं जहा पर पशु न जा सकते हों। हम आह्वान करत हैें कि हमें जगह बताएं, पेड़ हम लगाएंगे। घग्गर नदी के किनारे 1-2 किलोमीटर का एरिया पिलर तथा वायर लगाकर वरदान वेलफेयर सोसायटी को 2-3 वर्ष के लिए दे दें। हम इसे जंगल में बदल कर उन्हें वापस कर देंगे। वन्य जीवों के लिए जंगल जरूरी
एसएल धीमान मानते हैं कि जंगलों के अभाव में वन्यजीव जो हमारे पारिस्थितिक तंत्र में अहम भूमिका निभाते थे, आज संकट में हैं। वे भोजन-पानी की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। सच तो यह है कि पर्यावरण के खतरों के प्रति हम आज भी अनभिज्ञ हैं। गौरतलब है कि पर्यावरण चेतना प्राचीनकाल से हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। यदि हम हर क्षेत्र और वर्ग की परंपराओं का गहन अध्ययन करें तो पता चलता है कि हमारे पूर्वजों ने पर्यावरण चेतना को किस प्रकार धर्म के माध्यम से जनजीवन से प्रगाढ़ बंधन में बाध दिया था। हमारी परंपराएं संस्कृति की क्रियान्वित पक्ष का सूक्ष्म बिंदु हैं। हमारी संस्कृति वन प्रधान रही है। वन ही उपनिषदों की रचना के केन्द्र रहे, योगी मुनियों की तपस्थली रहे। बट, पीपल, खेजड़ी आदि वृक्षों को धर्म के माध्यम से संरक्षित कर पर्यावरण को अधिक-से-अधिक सुरक्षित रखने का प्रयास किया गया। बच्चों को विरासत लौटाएं
यदि बच्चे बचपन से ही प्रकृति के बारे में जागरूक होंगे तो वह जीवनभर पर्यावरण बचाव का काम करेंगे। इसी सोच के साथ धीमान बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक कर रहे हैं। बच्चों को बताया जाता है कि पौधा किस प्रकार से बोया जाता है। उसके बाद किस प्रकार से उसमें मिट्टी डालकर प्लास्टिक की थैलिया में तैयार किया जाता है। कितने दिनों के बाद एक छोटे पौधे और एक बड़े पेड़ को पानी देने की जरूरत होती है।