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एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में हुड्डा और वोरा पर कसा घेरा, कोर्ट ने दिया यह अादेश

एजेएल के प्‍लॉट आवंटन मामले में भूपेंद्र सि‍ंह हुड्डा और मोतीलाल वोरा पर घेरा कस गया है। विशेष सीबीआइ अदालत ने दोनों काे 3 जनवरी को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 06 Dec 2018 11:53 AM (IST)Updated: Thu, 06 Dec 2018 09:00 PM (IST)
एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में हुड्डा और वोरा पर कसा घेरा, कोर्ट ने दिया यह अादेश

पंचकूला, जेएनएन। नेशनल हेराल्‍ड के स्‍वामित्‍व वाली कंपनी एजेएल के प्‍लॉट आवंटन मामले में पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सि‍ंह हुड्डा और व‍रिष्‍ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा पर घेरा कस गया है। विशेष सीबीआइ अदालत ने  हुड्डा औरवोरा को 3 जनवरी को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में इसी महीने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एजेएल को अावंटित प्‍लाॅट को अटैच कर‍ दिया था।

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दोनों नेताओं को विशेष सीबीआइ अदालत ने 3 जनवरी को पेश होेने को कहा है

हुड्डा पर आरोप है कि उनकी सरकार के दौरान नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) को सन् 2005 में नियमों के विपरीत भूखंड आवंटित किया गया। इससे सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ। यह प्लाट पंचकूला के सेक्टर 6 में सी-17 है।

यह प्लाट 24 अगस्त 1982 को आवंटित किया गया था। तब चौधरी भजनलाल मख्‍ययमंत्री थे। उस समय इसे नेशनल हेराल्ड के हिंदी संस्करण नवजीवन को दिया गया था। कंपनी को इस पर 6 माह में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था। कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई।

30 अक्टूबर 1992 को हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (अब हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया था। इसके बाद इसे हुड्डा सरकार के दौरान 2005 में फिर से 1982 की मूल दरों पर आवंटित कर दिया गया, जबकि इसे 2005 की दरों पर जारी किया जाना चाहिए था।

इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेरॉल्ड के स्वामित्व वाली कंपनी एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) को प्लाट आवंटन करने के मामले में बड़ी कार्रवाई की थी। ईडी ने कंपनी के पंचकूला सेक्टर 6 स्थित प्लाट सी 17 को अटैच कर दिया। अब ईडी द्वारा इस प्लाट को अटैच कर दिए जाने से इस पर कोई काम नहीं हो सकेगा।

बता दें, प्लॉट आवंटन मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत में दो दिन पूर्व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा , एजेएल के तत्कालीन चेयरमैन कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एजेएल के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी। अब इनके खिलाफ विशेष सीबीआइ कोर्ट में ट्रायल चलेगा।

हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने हाल ही में सीबीआइ को पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी दी थी। हुड्डा विशेष सीबीआइ अदालत में पहले से ही मानेसर जमीन घोटाले में ट्रायल झेल रहे हैं। पंचकूला में गलत तरीके से प्लाट आवंटन के केस में उन पर आरोप है कि सन् 2005 में उनकी सरकार के दौरान एजेएल को गलत तरीके से जमीन आवंटित की गई थी। वर्ष 2005 में 1982 की दरों पर पंचकूला के सेक्टर 6 में प्लॉट नंबर (सी-17) आवंटित कर दिया गया था, जिसके चलते सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ।

नियमों की हुई अनदेखी

24 अगस्त 1982 को पंचकूला सेक्टर 6 में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट नंबर सी -17 तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल ने एजेएल प्रकाशन समूह के हिंदी अखबार नवजीवन को अलॉट किया था। कंपनी को इस पर 6 माह में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई। 30 अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को वापस ले लिया।

14 मार्च 1998 को एजेएल की ओर से आबिद हुसैन ने चेयरमैन हुडा को प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली के लिए अपील की। 14 मई 2005 को हुडा के चेयरमैन ने अफसरों को एजेएल कंपनी के प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली की संभावनाएं तलाशने को कहा, लेकिन कानून विभाग ने अलॉटमेंट बहाली के लिए साफ तौर पर इन्कार कर दिया।

18 अगस्त 1995 को नए आवंटन के लिए आवेदन मांगे गए। इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई। 28 अगस्त 2005 को हुड्डा ने एजेएल को ही 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट कर दिया। साथ ही कंपनी को 6 माह में निर्माण शुरू करके 1 साल में काम पूरा करने को भी कहा। एजेएल अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज अखबारों का प्रकाशक रहा हैै।

हुडा के अध्यक्ष के नाते लपेटे में आए हुड्डा

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया। चूंकि मुख्यमंत्री हुडा के पदेन अध्यक्ष होते हैं और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। सतर्कता ब्यूरो ने 5 मई 2016 को धारा 409, 420 एव 120बी के तहत केस दर्ज किया था। 5 अप्रैल 2017 को राज्य सरकार ने मामला सीबीआइ को सौंप दिया। सीबीआइ ने हुड्डा के खिलाफ 120बी, 420 एवं सेक्टर 13 (2) आर/डब्ल्यू 13 (1) डी के तहत चार्जशीट दाखिल की है।

2005 में 1982 की दरों पर अलाट किया प्लाट

24 अगस्त 1982 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल ने नेशनल हेराल्ड को प्लाट आवंटित किया था। कंपनी को इस पर 6 माह में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई। 30 अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया। 26 जुलाई 1995 को मुख्य प्रशासक हुडा ने एस्टेट ऑफिसर के आदेश के खिलाफ कंपनी की अपील खारिज कर दी। 14 मार्च 1998 को कंपनी की ओर से आबिद हुसैन ने चेयरमैन हुडा को प्लॉट का अलॉटमेंट बहाली के लिए अपील की।

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14 मई 2005 को हुडा के चेयरमैन ने अफसरों को एजेएल कंपनी के प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली की संभावनाएं तलाशने को कहा, लेकिन, कानून विभाग ने अलॉटमेंट बहाली के लिए साफ तौर पर इंकार कर दिया। 18 अगस्त 1995 को नए आवंटन के लिए आवेदन मांगे गए। इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई। 28 अगस्त 2005 को हुड्डा ने एजेएल को ही 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन कर लिए। साथ ही कंपनी को 6 माह में निर्माण शुरू करके एक साल में काम पूरा करने को भी कहा गया। सीए हुडा ने भी पुरानी रेट पर प्लॉट अलॉट करने के आदेश दिए।

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हमने जुर्माना राशि वसूलकर दिया था प्लाट

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि हमने नियमों के अनुसार प्लाट का रि-अलाटमेंट किया था। इस प्लाट की अलाटमेंट के लिए संबंधित लोगों से जुर्माने की राशि हुडा ने वसूल की। प्लाट की वास्तविक कीमत दो लाख रुपये के आसपास थी, लेकिन 60 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना वसूला गया है। यह हुडा के नियमों में है। इसलिए पूरा मामला जानबूझकर राजनीतिक बनाया गया है। इसमें कहीं कुछ गलत नहीं हुआ है। राजनीतिक हमलों का जवाब समय से जनता देगी।

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