हरियाणा में स्थानीय निकायों के सीधे निर्वाचित अध्यक्ष को हटाना नहीं आसान, तीन-चौथाई पार्षदों का बहुमत आवश्यक
हरियाणा में नगर परिषदों व पालिकाओं के प्रधान प्रत्यक्ष मतदान द्वारा चुने गए हैं। इन्हें हटाना आसान नहीं है। अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाने के लिए सदन में तीन-चौथाई पार्षदों का बहुमत आवश्यक है जबकि उपाध्यक्ष को हटाने के लिए केवल दो- तिहाई सदस्यों की संख्या पर्याप्त है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा की 46 नगर परिषदों और पालिकाओं में प्रत्यक्ष मतदान से चुने गए चेयरमैनों को हटाना पार्षदों के लिए आसान नहीं होगा। स्थानीय निकायों में प्रत्यक्ष मतदान से चुने अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए कम से कम आधे पार्षदों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।
तीन-चौथाई बहुमत से ही अविश्वास प्रस्ताव पारित हो सकता है। अगर अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं हो पाता तो अगले छह माह तक पार्षदों द्वारा नया अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा।पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि धारा 21 के अनुसार नगर निकाय उपाध्यक्ष को उसके पद से दो-तिहाई निर्वाचित सदस्यों के बहुमत से हटाया जा सकता है, नगर निकाय अध्यक्ष को नहीं।
चूंकि दो दर्जन नगर पालिकाओं बराड़ा, रादौर, इंद्री , नीलोखेड़ी, पुंडरी, कलायत, कलानौर, खरखौदा, बेरी, सिवानी, लोहारू, बवानी खेड़ा, हथीन, तावडू, हेली मंडी, पटौदी, फारुखनगर, कनीना, अटेली मंडी, नारनौंद, जाखल मंडी, जुलाना के अध्यक्ष का चुनाव सितंबर 2019 से पूर्व अप्रत्यक्ष मतदान के जरिये हुआ था, इसलिए उन पर मौजूदा अविश्वास प्रस्ताव हेतु तीन-चौथाई वाला कानूनी प्रावधान अर्थात हरियाणा म्यूनिसिपल कानून, 1973 की धारा 17 ए लागू नहीं होती है। यह धारा केवल सीधे (प्रत्यक्ष ) रूप से निर्वाचित नगर निकाय अध्यक्ष के संबंध में ही है।
भतीजे और नाती तक को नहीं जिता पाए उदयभान : सुदेश कटारिया
हरियाणा में स्थानीय निकायाें के चुनाव परिणामों को लेकर आरोप-प्रत्यारोपों का दौर जारी है। हरियाणा कांग्रेस के प्रधान उदयनभान जहां सीएम सिटी करनाल सहित उपमुख्यमंत्री और मंत्रियों व भाजपा-जजपा विधायकों से जुड़े स्थानीय निकायों में गठबंधन प्रत्याशियों की हार को मुद्दा बना रहे हैं, वहीं भाजपा ने भी पलटवार किया है।
कांग्रेस पर स्थानीय निकाय के चुनाव में मैदान छोड़ने का आरोप लगाते हुए भाजपा प्रवक्ता सुदेश कटारिया ने कहा कि उदयभान खुद अपने भतीजे को जीत नहीं दिला पाए, जहां से पिछली बार उनका बेटा पार्षद था। इसी तरह अपनी बेटी के बेटे को भी वह जिताने में विफल रहे। वह भी तब, जबकि उन्होंने झोली पसारते हुए दलित कार्ड खेलने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
उदयभान के कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष होने के बावजूद उनका प्रत्याशी कच्चा तालाब में भी हार गया जो उनका खुद का क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ के कुशल नेतृत्व में भाजपा ने निकाय चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया है। केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने एनसीआर के जिलों में भाजपा को शानदार जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।