रामपााल खुद अपराधी, वह कैसे दायर कर सकता है जनहित याचिका : हाई कोर्ट
रामपाल द्वारा दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की। कहा एक व्यक्ति जो जेल में है और अवमानना का अभियुक्त है, क्या वह जनहित याचिका दायर करने का अधिकारी है?
जेएनएन, चंडीगढ़। कथित संत रामपाल की तरफ से कुरुक्षेत्र में आयोजित गीता जयंती महोत्सव के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सवाल खड़ा कर दिया है। जस्टिस एसएस सारों एवं जस्टिस लीज गिल की खंडपीठ ने पूछा कि एक व्यक्ति जो जेल में है और हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना का अभियुक्त है, क्या वह जनहित याचिका दायर करने का अधिकारी है? हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिए कि वह 8 दिसंबर को अगली सुनवाई पर रामपाल के खिलाफ दर्ज सभी केसों की जानकारी दे।
हाई कोर्ट के सवाल पर रामपाल की वकील ने कहा कि भले ही उनका मुवक्किल जेल में है, लेकिन वह जनहित याचिका दायर कर सकता है। हाई कोर्ट ने पूछा कि क्या वह जनहित का कोई काम करता है, तो याची की वकील ने कहा कि रामपाल के आश्रम में हजारों लोगों को रोज निश्शुल्क भोजन और अन्य सुविधाएं दी जाती है। उसकी संस्था आध्यात्मिक संस्था है। इस दलील के बावजूद हाई कोर्ट ने कहा कि याची अपने पक्ष में किसी कोर्ट के फैसले की प्रति पेश करे कि वह जनहित याचिका दायर कर सकता है।
बता दें कि रामपाल ने अपनी याचिका में कहा है कि प्रदेश सरकार गीता जयंती महोत्सव का आयोजन कर रही है। भारत धर्मनिरपेक्ष देश है ऐसे में किसी एक धर्म या धर्मग्रन्थ को सरकार प्रमोट नही कर सकती है। इस आयोजन पर सरकार 95 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। यह करदाताओं से प्राप्त पैसे का दुरुपयोग है।
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