कामकाज से ज्यादा रामकाज पर जोर, आस्था से सराबोर रहा पूरा हरियाणा, हर तरफ जश्न
Ram Mandir Bhumi Pujan हरियाणा में श्रीराम मंदिर भूमि पूजन को लेकर हर तरफ जश्न का माहौल रहा। लोगों ने मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया।
नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। राम मंदिर निर्माण के लिए बुधवार को भूमि पूजन कार्यक्रम अयोध्या में हुआ, लेकिन आस्था में सराबोर पूरा हरियाणा रहा। आम दिनों में देर से उठने वाले लोगों की गलियों में बुधवार सुबह प्रभात फेरियों के भजन व संकीर्तन की आवाज गूंज रही थीं। जगह-जगह हवन के आयोजन किए गए और इनमें आहुुति डालने का आग्रह सोशल मीडिया साइट्स पर लोगों को अपनी रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन से लेकर मंदिर प्रबंधन कमेटी और अन्य सामाजिक-धार्मिक संस्थाओं से मिल रहे थे। रामकाज से पहले लोग तैयार होकर अपने कामकाज के लिए निकले तो रास्ते में भी उनका ध्यान राम मंदिर चर्चा पर ही केंद्रित रहा।
गुरुग्राम से प्रतिदिन दिल्ली जाने वाले विकास गुप्ता बताते हैं कि वह सुबह घर से चले तो सोसायटी के सुरक्षाकर्मी ने यह कहते हुए टोक किया- साहब, आज भी कामकाज पर जा रहे हो, आज तो टीवी पर रामकाज देखो। दिल्ली अपने संस्थान पहुंचा तो पूरे बाजार में राम मंदिर निर्माण के लिए हो रहे भूमि पूजन की ही चर्चा रही।
व्यापारी नेता जगदीश भाटिया के अनुसार बाजारों में लोगों ने इस मौके को ऐतिहासिक बनाने के लिए गुब्बारों से सजावट की और यज्ञ का आयोजन किया। भूमि पूजन के दौरान सामांतर यज्ञ हुआ और पूजन समाप्ति पर ही यज्ञ में पूर्णाहूति छोड़ी गई। बाजारों से लेकर धाॢमक स्थलों के बाहर भंडारों का आयोजन हुआ।
शाम ढलते ही लोग अपने घर,दुकान और संस्थानों पर मिट्टी के दीपक जलाने लगे। यह दृश्य ऐसा था कि मानो दीपावली का पर्व हो। राम मंदिर निर्माण की सभी अड़चने दूर होने के बाद मंदिर निर्माण का भूमि पूजन लोगों के लिए दीपावली पर्व से कम भी नहीं था। हर तरफ जय श्रीराम के नारे लग रहे थे। भूमि पूजन के बाद अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उद्बोधन हुआ तो इसके बाद जय श्रीराम के नारे सियावर रामचंद्र की जय में बदल गए। प्रधानमंत्री ने भी अयोध्या में अपना संबोधन शुरू करने से पहले सियावर रामचंद्र की जय के उद्घोष लगाए थे।
राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम
युवा देवेश कपूर बताते हैं कि राम मंदिर भूमि पूजन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब अपने उद्बोधन में यह कहा कि उनका अयोध्या आना तो स्वाभाविक था, क्योंकि राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां विश्राम। यह पंक्ति सुनने वालों के लिए महज एक प्रधानमंत्री के संबोधन का हिस्सा नहीं बल्कि आधुनिक भारतीय परिवेश में बड़े बदलाव के संकेत थे। युवा वर्ग ने भी इस पंक्ति की अलग-अलग तरीके से व्याख्या की है। देवेश के साथी लोकेश अग्रवाल का कहना है कि प्रधानमंत्री ने इस एक पंक्ति से यह तो स्पष्ट कर दिया कि उन्हेंं तब तक आराम करना था जब तक राम मंदिर निर्माण शुरू न हो जाए। इसके अलावा इस पंक्ति का यह भी अर्थ है कि प्रधानमंत्री देशवासियों के लिए रामराज्य की परिकल्पना कर रहे हैं।