राहुल सुलझाएंगे हरियाणा कांग्रेस में छिड़ा घमासान, समन्वय समिति की बैठक बुलाई
इस्तीफे के बाद पार्टी की गतिविधियों में कम सक्रियता दिखा रहे राहुल गांधी ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य कांग्रेस की समन्वय समिति की बैठक बुलाई है।
नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। लोकसभा चुनाव में हार के बाद अपने पद से इस्तीफा दे चुके कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से आया एक बैठक का संदेश हरियाणा में पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं के लिए बड़े सुकून का साबित हो रहा है। इस्तीफे के बाद पार्टी की गतिविधियों में कम सक्रियता दिखा रहे राहुल गांधी ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य कांग्रेस की समन्वय समिति की बैठक बुलाई है।
बैठक राहुल ने अपने 12 तुगलक लेन स्थित आवास पर 27 जून को सायं 4.30 बजे बुलाई है। माना जा रहा है कि राहुल इस बैठक में राज्य कांग्रेस में अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर छिड़े घमासान को शांत करेंगे। इस बैठक की सूचना पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने समन्वय समिति के सभी 15 सदस्यों को दी है। समन्वय समिति के चेयरमैन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हैं।
समिति में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर, पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, विधायक दल की नेता किरण चौधरी, विधायक रणदीप सुरजेवाला, कुलदीप बिश्नोई सहित राज्य कांग्रेस के प्रमुख सभी नेता शामिल हैं। इन नेताओं के बीच प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने को लेकर घमासान मचा हुआ है। यह खुद गुलाम नबी आजाद ने 4 जून को नई दिल्ली में समिति की बैठक में देख चुके हैं।
23 दिन बाद होगी कांग्रेस समन्वय समिति की बैठक
प्रदेश कांग्रेेस समन्वय समिति की बैठक लोकसभा चुनाव में हार के बाद 4 जून को हुई थी। यह बैठक प्रदेश प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव गुलाम नबी आजाद ने ली थी। इसी बैठक में डॉ.अशोक तंवर और विधायक कुलदीप शर्मा के बीच करनाल लोकसभा चुनाव सबसे ज्यादा मतों से हारने के मुद्दे पर विवाद हुआ था। कांग्रेस विधायक जयतीर्थ दहिया ने भी इसी बैठक के बाद तंवर पर अपशब्द कहने का आरोप लगाया था।
पार्टी नेताओं के बीच हुई कहासुनी के कारण गुलाम नबी आजाद भी बैठक बीच में छोड़कर निकल गए थे। सूत्र बताते हैं कि गुलाम नबी आजाद ने इसी बैठक में तय कर लिया था कि अब वह अकेले राज्य कांग्रेस की बैठक नहीं करेंगे। यही कारण है कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव में महज 100 दिन ही बचे रहने के बावजूद पिछले 23 दिन में आजाद ने अधिकृत रूप से किसी प्रदेश स्तरीय नेता से मुलाकात नहीं की।
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