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जो अधिसूचना जारी ही नहीं, उसे आधार बना दशकों होता रहा कर्मचारियों का प्रमोशन

विद्युत वितरण निगम में जो अधिसूचना जारी हुई ही नहीं उसकी आड़ में वर्षों से प्रमोशन होते रहे। हाई कोर्ट ने अब पदोन्नति वापस लेकर नए सिरे से वरिष्ठता सूची तैयार करने के आदेश दिए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 05 Jan 2018 12:52 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jan 2018 12:52 PM (IST)
जो अधिसूचना जारी ही नहीं, उसे आधार बना दशकों होता रहा कर्मचारियों का प्रमोशन
जो अधिसूचना जारी ही नहीं, उसे आधार बना दशकों होता रहा कर्मचारियों का प्रमोशन

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। विद्युत वितरण निगम में केंद्र की जिस अधिसूचना का हवाला देकर वर्षों से पदोन्नतियां दी जा रही थीं, वह कभी जारी ही नहीं हुई। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया है। केंद्र की कथित अधिसूचना के मुताबिक हरियाणा में सेवानिवृत्त सैनिकों के डिप्लोमा और दस वर्ष के अनुभव को डिग्री के बराबर माना जाता है। इस जानकारी के बाद कोर्ट ने निगम को पदोन्नति वापस लेकर नए सिरे से वरिष्ठता सूची तैयार करने के आदेश दिए हैं।

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इंजीनियरिंग डिग्री धारकों की ओर से दायर याचिका के अनुसार हरियाणा विद्युत वितरण निगम में असिस्टेंट इंजीनियर पद भरने की प्रक्रिया के दौरान साढ़े 12 फीसद पद डिग्री धारकों के लिए रखे गए थे। सेवानिवृत्त सैनिकों के कोटे से 2004-05 में जूनियर इंजीनियर के तौर पर भर्ती हुए डिप्लोमा धारकों ने दस वर्ष के अनुभव के आधार पर दावा पेश किया।

उन्होंने केंद्र सरकार की 26 मई 1977 की अधिसूचना का हवाला दिया था, जिसके आधार पर उन्हें मेरिट सूची में शामिल कर इन पदों के लिए योग्य माना गया। इसे चुनौती देते हुए इंजीनियरिंग की डिग्री वाले आवेदकों ने हाई कोर्ट की शरण ली। याचियोंं के अनुसार डिप्लोमा और 10 वर्ष के अनुभव के आधार पर सेवानिवृत्त सैनिकों को बतौर इंजीनियर नहीं पदोन्नत किया जाना चाहिए। सुनवाई की प्रक्रिया में हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा।

केंद्र की ओर से मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के सचिव ने शपथ पत्र देकर कहा कि जिस अधिसूचना की बात की जा रही है, वैसी अधिसूचना कभी जारी ही नहीं हुई। इस पर सेवानिवृत्त सैनिकों की ओर से कहा गया कि यह अधिसूचना नहीं, बल्कि ऑफिस मेमोरेंडम है।

हाई कोर्ट ने हस्ताक्षर न होने के कारण इसे ऑफिस मेमोरेंडम मानने से भी इन्कार कर दिया। इस दौरान सेवानिवृत्त सैनिकों की ओर से कहा गया कि इसी दस्तावेज को आधार बनाकर हजारों लोगों को पदोन्नति और नियुक्ति मिली है। इसमें केंद्र सरकार की गलती है। इसलिए उन्हें मिलने वाला पदोन्नति का लाभ वापस नहीं लिया जाना चाहिए, हालांकि कोर्ट उनकी बात से सहमत नहीं हुआ।

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