नियमित हो चुके पांच हजार कर्मचारियों की नौकरी बचने की गुंजाइश नहीं
हरियाणा में हाई कोर्ट द्वारा कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने की नीति का रद करने के बाद पांच हजार कर्मियों की नौकरियां बचनी बेहद मुश्किल है।
जेएनएन, चंडीगढ़। प्रदेश में पिछली हुड्डा सरकार के कार्यकाल में बनी अलग-अलग नियमितीकरण नीति के तहत पक्के हुए करीब पांच हजार कर्मचारियों को हटाने की तैयारी है। हाईकोर्ट द्वारा नियमितीकरण नीति पर रोक लगा दिए जाने के बाद नियमित होने के इंतजार में बैठे करीब 50 हजार कच्चे कर्मचारियों की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है। दूसरी तरफ उन पांच हजार कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर ही संकट आ गया है, जो पक्के हो चुके हैं।
हरियाणा सरकार ने सभी विभागाध्यक्षों से मांगा पक्के हुए कर्मचारियों का ब्योरा
प्रदेश सरकार ने पिछली हुड्डा सरकार में बनी नियमितीकरण नीति के तहत पक्के हुए सभी कर्मचारियों का पूरा रिकार्ड तलब कर लिया है। श्रेणी बी, सी और डी के इन कर्मचारियों की संख्या हालांकि पांच हजार के आसपास है, लेकिन फिर भी सरकार ने हर विभाग से श्रेणीवार कर्मचारियों की पूरी डिटेल मुख्यालय मंगवाई है।
मुख्य सचिव डीएस ढेसी के कार्यालय की ओर से सभी विभागाध्यक्षों, मंडलायुक्तों, जिला उपायुक्तों, विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार तथा बोर्ड एवं निगमों के प्रशासक व प्रबंध निदेशकों को पत्र भेजकर एक दिन के भीतर पूरी डिटेल मुख्यालय भेजने के आदेश दिए गए हैं।
पिछली हुड्डा सरकार के कार्यकाल में चार नियमितीकरण नीतियां बनी थी, जिनके तहत श्रेणी बी, सी और डी के इन कर्मचारियों को पक्का किया गया था। सभी कर्मचारियों का श्रेणीवार डाटा जुटाने के बाद राज्य सरकार इन कर्मचारियों के भविष्य को लेकर कोई नीतिगत निर्णय लेगी। हाईकोर्ट के निर्देश हैं कि अगले छह माह के भीतर नियमित भर्ती की जाए तथा कच्चे कर्मचारियों को नियमित भर्ती में आयु की छूट दी जा सकती है।
सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार इन कर्मचारियों को शायद ही राहत प्रदान करे। हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक, इन कर्मचारियों को कच्चा भी उस स्थिति में रखा जा सकता है, जब उनका पद रिक्त हो। इन कर्मचारियों के नियमित होने के बाद अब सरकारी विभागों के पास पद रिक्त होना संभव नहीं है। लिहाजा पांच हजार कर्मचारी और उनसे जुड़े परिवार अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित हो गए हैं।
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'सरकार की नीयत में खोट, मजबूत पैरवी नहीं की'
'' मौजूदा भाजपा सरकार न केवल कर्मचारी बल्कि आम आदमी और किसान विरोधी है। हमारी सरकार ने कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने की नीति बनाई थी। इन नीतियों के तहत हजारों कर्मचारी पक्के हुए और अपना घर चला रहे हैं। इन नीतियों में कहीं कोई खामी नहीं है, लेकिन भाजपा सरकार की नीयत में ही खोट है, लिहाजा उसने कोर्ट में इन नीतियों को लेकर मजबूत पैरवी नहीं की। यदि मजबूत और वाजिब तरीके से बिना बदनीयती के पैरवी की जाती तो इन कच्चे कर्मचारियों को परेशानी नहीं उठानी पड़ती।
- भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री।
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'मजबूत पैरवी की, लेकिन नीतियां ही गलत बना रखी थीं'
'' पिछली सरकार ने सभी को बर्बाद करके रख दिया। ऐसी तमाम नीतियां बनाई गई, जिनमें खामियां ही खामियां रहीं। चुनावी लाभ हासिल करने के लिए यह भी नहीं सोचा गया कि ऐसी गलत नीतियां बनाने का क्या हश्र होगा। हमने कोर्ट में मजबूत पैरवी की और हरसंभव प्रयास किए। हमने चूंकि नीति नहीं बनाई थी, पुरानी नीतियों में खामियां थी, इसलिए मजबूत पैरवी भी काम नहीं आ सकी। हाईकोर्ट के फैसले का अध्ययन किया जा रहा है। शीर्घ ही निर्णय लिया जाएगा कि अब क्या कुछ किया जाए।
- मनोहर लाल, मुख्यमंत्री।