तो बंद हो जाएगा हरियाणा रोडवेज, सरकार यह कदम उठाने की तैयारी में
हरियाणा रोडवेज के लगातार बढ़ते घाटे अौर अाए दिन कर्मचारियों की हड़ताल से राज्य सरकार परेशान हो चुकी है। ऐसे में वह इसे खत्म कर इसके लिए निगम बनाने की तैयारी कर रही है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा रोडवेज को लेकर राज्य सरकार बड़ा फैसला कर सकती है। हरियाणा रोडवेज के के बढ़ते घाटे और आए दिन की हड़ताल से निपटने के लिए वह इसे खत्म करने की तैयारी में है। वह इसके लिए निगम बनाने का विचार कर रही है। सरकार राज्य में परिवहन सेवाओं को निगम के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है। योजना परवान चढ़ी तो बिजली महकमे की तरह परिवहन विभाग के कर्मचारी भी निगमों के अधीन हो जाएंगे। इसके अलावा महकमे को स्पेशल पर्पज व्हीकल के तहत भी चलाने पर गंभीरता से विचार चल रहा है।
घाटे से उबरने को परिवहन महकमे ने बनाया प्रस्ताव, बिजली विभाग में सफल हो चुका प्रयोग
हरियाणा देश के उन गिने-चुने राज्यों में है जहां सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को सरकार संभाले हुए है। पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान सहित ज्यादातर राज्यों में परिवहन को निगम ही संचालित करते हैं। परिवहन महकमे ने सरकार को सुझाव दिया है कि रोडवेज बसों को निगम के तहत चलाया जाए तो न केवल घाटे से उबरा जा सकेगा, बल्कि लोगों को बेहतर परिवहन सुविधाएं भी मिल सकेंगी।
स्पेशल पर्पज व्हीकल से सुधारेंगे परिवहन व्यवस्था, सरकार की मुहर लगनी बाकी
हर साल पांच सौ करोड़ से सात सौ करोड़ रुपये के घाटे में चल रहे परिवहन विभाग को पटरी पर लाने में सबसे बड़ी समस्या आये दिन की हड़ताल है। तीन साल में सात बार हड़ताल हो चुकी जिससे 17 दिन बसों का संचालन नहीं हो सका। इससे अभी तक महकमे को 125 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका।
रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल के कारण हिसार बस स्टैंड पर परेशान यात्री।
परिवहन विभाग के बेड़े में कुल 4083 बसे हैं, जबकि 900 बसें सहकारी परिवहन समितियों की दौड़ रही हैं। प्रदेश में रोजाना करीब 30 लाख लोग सफर करते हैं। बसों की कमी से रोजाना साढ़े 17 लाख से अधिक लोगों को अवैध मैक्सी कैब में यात्रा करना मजबूरी है। सरकार की मुश्किल ये कि पहले जहां कर्मचारियों ने सहकारी परिवहन समितियों को नए रूट देने पर लंबे समय तक बवाल काटा और अब अनुबंध आधार पर बसें चलवाने के विरोध में अड़े हैं।
368 बसें जल्द शामिल होंगी बेड़े में
राज्य में परिवहन सेवाएं सुधारने के लिए 368 नई बसों के टेंडर निकाले गए हैं। जल्द ही ये बसें रोडवेज के बेड़े में शामिल होंगी। इसके अलावा किलोमीटर स्कीम के तहत रोडवेज बेड़े में 510 निजी बसें शामिल करने के लिए ट्रांसपोर्टरों से करार हो चुका है। सरकारी परमिट पर चलने वाली इन बसों का चालक ट्रांसपोर्टर का होगा तो परिचालक सरकारी होंगे।
झज्जर बस स्टैंड का हाल।
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'' रोडवेज बसों को परिवहन निगम के तहत संचालित करने का प्रस्ताव है। इससे न केवल विभाग को घाटे से उबारा जा सकेगा, बल्कि लोगों को बेहतर परिवहन सुविधाएं मिलेंगी। इसके अलावा महकमे को स्पेशल पर्पज व्हीकल के तहत चलाने पर भी विचार चल रहा है।
- धनपत सिंह, परिवहन सचिव, हरियाणा।
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हरियाणा रोडवेज एक नजर में
-4083 बसें हैं हरियाणा रोडवेज के बेड़े में।
-900 बसें सहकारी समितियों की दौड़ रही हैं सड़कों पर।
-30 लाख यात्री हर दिन करते हैं सफर।
-16 लाख सवारियों के लिए अवैध मैक्सी कैब में बैठना मजबूरी।
-12.50 लाख यात्री रोडवेज बसों पर निर्भर।
- 1.50 लाख लोगों को गंतव्य तक पहुंचाती हैं सहकारी बसें।
- तीन साल में छह बार हड़ताल कर चुके हैं कर्मचारी।
-18 दिन चढ़े हड़ताल की भेंट, रोडवेज को 50 करोड़ का फटका।
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रोडवेज का पांच सालों में घाटा
साल घाटा (करोड़ रुपये)
2014-15 482.48
2015-16 486.76
2016-17 597.79
2017-18 676.36
2018-19(जुलाई तक) 275.24