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प्रणब दा ने धरातल पर उतारी थी स्मार्ट गांवों की परिकल्पना, हरियाणा व उत्तराखंड की धरती को चुना

प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति पद से अलग होने के बावजूद गांवों के विकास में जुटे रहे। उन्होंने फाउंडेशन के जरिये गांवों के विकास के लिए काम किया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Tue, 01 Sep 2020 09:54 AM (IST)Updated: Tue, 01 Sep 2020 04:44 PM (IST)
प्रणब दा ने धरातल पर उतारी थी स्मार्ट गांवों की परिकल्पना, हरियाणा व उत्तराखंड की धरती को चुना
प्रणब दा ने धरातल पर उतारी थी स्मार्ट गांवों की परिकल्पना, हरियाणा व उत्तराखंड की धरती को चुना

चंडीगढ़। यह वर्ष 2016 की बात है। उस समय देश में स्मार्ट सिटी की बात बहुत तेजी से हो रही थी। राष्ट्रपति रहते हुए प्रणब दा ने गांवों की चिंता की और उन्हेंं भी स्मार्ट विलेज की कैटेगरी में लाकर खड़ा करने की एक जबरदस्त मुहिम चलाई। प्रणब दा ने अपनी इस मंशा और अभियान को पूरा करने के लिए हरियाणा तथा उत्तराखंड की धरती को चुना।

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स्मार्ट ग्राम परियोजना की प्रणब दा की सोच का ही नतीजा है कि उन्होंने मेरे जैसे सामान्य युवा सरपंच को राष्ट्रपति भवन में आकर गांवों के विकास की दिशा में किए जाने वाले कामों की जानकारी देने का मौका दिया। तब तक जींद जिले की मेरे गांव बीबीपुर की पंचायत पूरी तरह से डिजिटल हो चुकी थी।

प्रणब दा ने जब मुझे राष्ट्रपति भवन बुलाया, उस समय मेरे पास न तो कोई एनजीओ था और न ही मेरे हाथों में किसी तरह का कोई दस्तावेज या कागज। इसके बावजूद मेरी कही हुई बातों पर पूरा विश्वास करते हुए उन्होंने मुझे अपने साथ जोड़कर गांवों के विकास की दिशा में काम करने की इच्छा जाहिर की। तभी प्रणब दा के दिमाग में एक फाउंडेशन बनाने का ख्याल आ गया था, जिसे उन्होंने राष्ट्रपति पद से अलग होने के बाद पूरी जिम्मेदारी, निष्ठा तथा समर्पण भाव से चलाया। उस फाउंडेशन का नाम है, प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन, जो आज भी संचालित है और उसका मुख्यालय गुरुग्राम में है।

प्रणब दा अक्सर कहते थे कि पूरे देश का विकास गांवों से होकर गुजरता है। उन्होंने स्मार्ट गांवों की कड़ी में मेरे बीबीपुर गांव के माडल को चुनकर मुझे धरातल पर काम करने का अविश्वनसीय मौका दिया। मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के शब्दों से तो हमेशा प्रशंसा मिलती रही, लेकिन बीबीपुर गांव के माडल को धरातल पर लागू करने के लिए जिन संसाधनों की जरूरत थी, वह संसाधन प्रणब दा ने पचास लाख रुपये के रूप में मुझे उपलब्ध कराए। मेरे पूरे परिवार को उन्होंने राष्ट्रपति भवन में बुलाकर विशिष्ट अतिथि का दर्जा दिया था। वह पल मेरे लिए बेहद अविस्मरणीय थे।

प्रोटोकाल के मुताबिक राष्ट्रपति भवन में बेहद छोटे बच्चे नहीं जा सकते थे, लेकिन जब उन्हेंं पता चला कि मेरी छोटी बेटी भी याचिका भी साथ है तो उन्होंने तुरंत दस मिनट के भीतर लिखित आदेश जारी कर हमें अंदर बुलवाया तथा बेटियों के साथ सेल्फी ली। प्रणब दा धरातल से जुड़े व्यक्तित्व थे, वह अपनी एक नजर से किसी की भी काबिलियत को पहचानने की क्षमता रखते थे।

उन्होंने मेरे सेल्फी विद डाटर अभियान को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति पद पर रहते हुए और तथा उसके बाद भी बार-बार कार्यक्रमों के आयोजन का मौका दिया। उन्हेंं बच्चों खासकर लड़कियों से बेहद लगाव था। वह मेवात की लड़़कियों के सामाजिक व शैक्षणिक उत्थान के लिए दिल से काम राष्ट्रपति रहते हुए जब मैंने उन्हेंं गुरुग्राम के किसी गांव का दौरा करने का न्यौता दिया तो वह सोहना ब्लाक के दौहला गांव में पहुंचे।

हमारे सेल्फी विद डाटर अभियान तथा बीबीपुर माडल की थीम को समर्थन देते हुए महिला सशक्तीकरण के माध्यम से प्रणब दा ने गांवों के विकास की परिकल्पना पेश की। तब उन्होंने बोला कि गांवों को बढ़ाने के लिए लड़कियों का आगे बढऩा जरूरी है। प्रस्तुतिः सुनील जागलान (लेखक जींद जिले के बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच तथा प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन के सलाहकार हैं)


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