जीवनोपयोगी वस्तुओं की आपूर्ति करने वालों से भी कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका
कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा जीवनोपयोगी सामग्री की आपूर्ति कर रहे लोगों से भी है। उनका कोरोना टेस्ट नहीं हो रहा है इससे खतरा बढ़ रहा है।
चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। हरियाणा में पिछले तीन दिन से संक्रमितों की बढ़ती संख्या ने चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है। हालांकि प्रदेश सरकार कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है, लेकिन उन लोगो को जो लॉकडाउन में प्रदेश शासन की इजाजत और निर्देश पर लोगों को जीवनोपयोगी सामग्री की आपूर्ति कर रहे हैं, उनका कोरोना टेस्ट नहीं हो रहा है। सामान्य तौर पर केवल तापमान ही चेक कर उन्हेंं पास दे दिए जाते हैं। वैसे भी बहुत से कोरोना संक्रमित ऐसे मिल रहे हैं, जिनमें लक्षण ही नहीं नजर आए थे, इसलिए प्रबुद्ध वर्ग के लोगों का कहना है सरकार को जीवनोपयोगी वस्तुओं की आपूर्ति करने के लिए किसी को पास देने के पहले उसका कोरोना टेस्ट अवश्य करे। वे अपनी बात के समर्थन में बहादुरगढ़ का उदाहरण देते हैं, जहां सब्जी वाले ही सर्वाधिक संक्रमित हैं।
गुरुग्राम के रहने वाले एडवोकेट कमलदीप सेहरा ने इस मुद्दे पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर की थी, जिसके जवाब में सरकार ने बताया था कि पास देने से पहले लोगों की जांच की जा रही है। इस पर हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया था, लेकिन याची को इस बात की छूट दी गई थी कि अगर उसको लगता है कि मेडिकल स्क्रीनिंग सही तरीके से नहीं की जा रही तो वह हाई कोर्ट में दोबारा शिकायत कर सकता है।
एडवोकेट कमलदीप सेहरा के अनुसार सरकार ने कोर्ट में यह अवश्य कहा कि मेडिकल जांच की जा रही है, लेकिन हकीकत यह है कि जरूरी सेवाओं में लगे लोगों की न तो स्क्रीनिंग हो रही है और न ही उनके कोरोना टेस्ट किए जा रहे हैं। यही स्थिति दुकानदारों के मामले में है। अब लॉकडाउन में ढील चल रही है तो संक्रमण फैलने की आशंका बलवती होती जा रही है। इसे देखते हुए दोबारा इस बारे में याचिका दायर करने पर विचार विमर्श चल रहा है।
बता दें कि एडवोकेट कमलदीप ने अपनी जनहित याचिका में कहा था कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए दूध, फल, सब्जी बेचने वालों और समाज सेवी संस्थाओं से जुड़े लोगों को पास दिए गए हैं, लेकिन उनकी मेडिकल जांच नहीं की गई। उनकी जांच कराकर ही उन्हेंं इसकी इजाजत दी जाए।
हर किसी का कोरोना टेस्ट संभव नही: विज
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का कहना है कि देश में हर किसी का कोरोना टेस्ट करना संभव नहीं है, जिस मरीज में कोरोना के संकेत मिलते हैं, उनका ही प्राथमिकता के आधार पर टेस्ट किया जाता है। एक टेस्ट पर कम से कम चार हजार रुपये का खर्च आता है। वैसे भी हरियाणा में टेस्ट करने की क्षमता बढ़ रही है। दस लाख लोगों पर अब प्रदेश में 1504 टेस्ट किए जा रहे हैं। इसके लिए प्रदेश में आठ लैब हैं।
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