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पंजाब में कांग्रेस की दलित राजनीति से करवट लेगी हरियाणा की सियासत, हाईकमान ने दिया खास संदेश

पंजाब में कांग्रेस द्वारा चरणजीत सिंह चन्‍नी को मुख्‍यमंत्री बनाकर दलित कार्ड खेला है। इसका हरियाणा की सियासत पर भी असर पड़ेगा और कांग्रेस में भी समीकरण बदलेंगे। ऐसे में कुमारी सैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा फिर एक मंच पर दिखाई दे सकते हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 02:11 PM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 02:11 PM (IST)
पंजाब में कांग्रेस की दलित राजनीति से करवट लेगी हरियाणा की सियासत, हाईकमान ने दिया खास संदेश
हरियाणा कांग्रेस की अध्‍यक्ष कुमारी सैलजा और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। पंजाब के नए मुख्यमंत्री के रूप में दलित सिख नेता चरणजीत सिंह चन्नी की ताजपोशी के साथ ही हरियाणा में कांग्रेस की सियासत नई करवट लेती दिखाई दे रही है। कांग्रेस हाईकमान ने जिस तरह कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया और दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को नई जिम्मेदारी सौंपी, उससे तय है कि हरियाणा को लेकर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व किसी तरह का दबाव स्वीकार करने के मूड में नहीं है। हाईकमान ने इस संबंध में हरियाणा कांग्रेस के नेताओं को खास संदेश भी दिया है।

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कैप्टन का इस्तीफा और चन्नी को सीएम बनाकर कांग्रेस नेतृत्व ने दिया दबावमुक्त रहने का संदेश

पंजाब में कांग्रेस के सियासी घटनाक्रम के चलते अब हरियाणा कांग्रेस के पदाधिकारियों व जिलाध्यक्षों की सूची भी जल्द आने की संभावना है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी सैलजा के बीच चल रही खींचतान की वजह से कांग्रेस हाईकमान ने पार्टी पदाधिकारियों व जिलाध्यक्षों की सूची रोकी हुई थी।

कांग्रेस नेतृत्व को आशंका थी कि इस लिस्ट के जारी होते ही हुड्डा और सैलजा खेमों में घमासान हो सकता है, लेकिन पंजाब में जिस तरह के राजनीतिक घटनाक्रम को अंजाम दिया गया, उससे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की छवि तो बोल्ड होकर उभरी ही, साथ ही हरियाणा के कांग्रेसियों के लिए पार्टी नेतृत्व के फैसलों को बिना ना-नुकूर के स्वीकार कर लेने का संदेश भी दिया गया है। ऐसा नहीं होने की स्थिति में कांग्रेस नेतृत्व हरियाणा में भी कड़े फैसले लेने से गुरेज नहीं करेगा, जैसा कि वह पहले हिचकता रहा है।

 पंजाब के बाद अब हरियाणा की सियासत पर गौर करेगा हाईकमान, अब जल्द घोषित होंगे पदाधिकारी

हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तूती बोलती है। पार्टी के 31 विधायकों में से 24 से 26 विधायक हुड्डा के साथ हैं। प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा का राजनीतिक कद भी कम नहीं हैं। उन्हें सोनिया गांधी के करीबियों में माना जाता है। हुड्डा भले ही जाट नेता हैं, लेकिन उन्होंने हमेशा खुद को सभी जातियों के नेता के रूप में पेश किया है। इसी तरह सैलजा दलित नेता हैं, लेकिन उन्होंने अपनी राजनीति को सिर्फ दलितों तक सीमित नहीं रखा। पंजाब में जिस तरह कांग्रेस ने दलित सिख नेता चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर दलित कार्ड खेला है, उसे देखते हुए सैलजा की प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी को पूरी तरह से सेफ जोन में माना जा सकता है।

 दलित नेता सैलजा और जाट हुड्डा समेत कई नेता दिखाई दे सकते हैं कांग्रेस के एक मंच पर

हरियाणा भले ही पंजाब से अलग होकर अस्तित्व में आया, लेकिन दोनों राज्यों का राजनीतिक मिजाज कुछ अलग ही तरह का है। पंजाब की तरह हरियाणा में कांग्रेस के कई धड़े हैं, लेकिन जब तक यह धड़ेबंदी कांग्रेस हाईकमान के लिए सिरदर्द नहीं बन जाती या फिर यूं कहें कि जब तक कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरह कांग्रेस हाईकमान को दबाव में लेने की कोशिश नहीं होती, तब तक हाईकमान सबको साथ लेकर चलता रहेगा, लेकिन अमरिंदर सिंह की राह पर चलने की भनक लगते ही ऐसे नेताओं के पर काटने से भी कांग्रेस हाईकमान चूकने वाला नहीं है।

पंजाब के घटनाक्रम के बाद दलित नेत्री सैलजा, जाट नेता भूपेंद्र हुड़्डा, गैर जाट नेता कुलदीप बिश्नोई, जाट नेत्री किरण चौधरी और अहीरवाल के नेता कैप्टन अजय यादव को साथ चलना मजबूरी बन गया है। केंद्रीय राजनीति में सक्रिय रणदीप सिंह सुरजेवाला भले ही राहुल गांधी का माइंड सेट करने में कामयाब हैं, लेकिन हरियाणा की राजनीति में उनकी रुचि उतनी ही है, जितनी बाकी नेताओं की है। ऐसे में यदि भविष्य में कांग्रेसियों को सिर जोड़े देखा जाए तो कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी।


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