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थानों में धूल फांक रहे वाहनों को मालिकों तक पहुंचाएगी पुलिस

कंडम हो चुके वाहनों को अब उनके मालिकों तक पहुंचाने की पुलिस ने ठान ली है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 07:41 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 05:06 AM (IST)
थानों में धूल फांक रहे वाहनों को मालिकों तक पहुंचाएगी पुलिस
थानों में धूल फांक रहे वाहनों को मालिकों तक पहुंचाएगी पुलिस

राजेश मलकानियां, पंचकूला : वर्षो से पंचकूला के थानों में धूल फांक रहे और कंडम हो चुके वाहनों को अब उनके मालिकों तक पहुंचाने की पुलिस ने ठान ली है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वेबसाइट के माध्यम से अब तक पंचकूला पुलिस ने छह राज्यों के 49 मोटर वाहनों की जांच करके उनके मालिकों के बारे में पता लगाने में कामयाब हो चुकी है। 11 मोटर वाहन चंडीगढ़, तीन दिल्ली, 30 हरियाणा के अलग-अलग जिलों, एक बेंगलुरु, एक पंजाब और तीन हिमाचल प्रदेश के हैं। यह वह वाहन हैं, जोकि लावारिस मिले या जब्त किए हुए हैं, जिनकी पहचान करके संबंधित राज्यों व जिलों को पत्र लिखा जा चुका है। डीसीपी मोहित हांडा के मुताबिक सभी थानों में खड़े इंपाउंड, लावारिस मोटर वाहनों की जांच विश्लेषण करके कुछ वाहन उनका इंजन नंबर व चेसिस नंबर से सीआरओ पंचकूला द्वारा एनसीआरबी की वेबसाइट पर सर्च करके उन वाहनों का पता लगाया गया। नियमानुसार लावारिस जब्त वाहन के छह माह बाद निस्तारण की प्रक्रिया शुरू की जानी होती है। वाहन बरामद होने पर पुलिस पहले उसे धारा-102 के तहत पुलिस रिकॉर्ड में लेती है। बाद में न्यायालय में इसकी जानकारी दी जाती है, न्यायालय के निर्देश पर सार्वजनिक स्थानों पर पंफलेट आदि चस्पा कर उस वाहन से संबंधित जानकारी सार्वजनिक किए जाने का प्रावधान है, ताकि वाहन मालिक वापस ले सके। पुलिस की ओर से जब्त किए जाने वाले वाले वाहन थानों में लावारिस ही खड़े रहते हैं। इन वाहनों के रखरखाव की कोई सुविधा नहीं होती। यह बात ध्यान में रखने योग्य है कि दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा-102 सिर्फ वाहनों को जब्त करने की शक्ति से संबंधित नहीं है। इस धारा के अंतर्गत किसी भी प्रकार की संपत्ति का अभिग्रहण (जब्त) किया जा सकता है। हालांकि यह जरूर है कि यह केवल और केवल पुलिस अधिकारी की शक्ति से संबंधित धारा है। इसके अनुसार एक पुलिस अधिकारी द्वारा किसी ऐसी संपत्ति को अभिगृहीत (जब्त) किया जा सकता है, जिसके बारे में यह अभिकथन या संदेह है कि वह चुराई हुई है, अथवा जो ऐसी परिस्थितियों में पाई जाती है, जिनसे किसी अपराध के किए जाने का संदेह हो। जब्ती के दौरान वाहन की जो कीमत होती है, नीलामी के दौरान उसका 10 प्रतिशत भी पैसा मिलना मुश्किल हो जाता है। लावारिस या किसी मामले में जब्त वाहन का निस्तारण करने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है। पहले तो पुलिस थाना स्तर पर इंतजार करती है कि वाहन मालिक को अपना वाहन ले जाए। काफी इंतजार के बाद भी जब मालिक नहीं आता है, न्यायिक प्रक्रिया शुरू की जाती है, इससे काफी समय लगता है।

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