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कहीं, हनीप्रीत पर ट्रायल में कमजोर न पड़ जाए पुलिस की थ्योरी

पुलिस ने हनीप्रीत को लेकर अदालत में दो थ्‍योरी पेश की है। जानकारों का मानना है कि इससे मामले के ट्रायल के दौरान पुलिस को परेशानी हो सकती है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 05 Oct 2017 11:21 AM (IST)Updated: Thu, 05 Oct 2017 11:21 AM (IST)
कहीं, हनीप्रीत पर ट्रायल में कमजोर न पड़ जाए पुलिस की थ्योरी
कहीं, हनीप्रीत पर ट्रायल में कमजोर न पड़ जाए पुलिस की थ्योरी

पंचकूला, [राजेश मलकानियां]। डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत को लेकर पंचकूला पुलिस द्वारा पेश की गई थ्योरी ट्रायल के दौरान पुलिस के गले की फांस बन सकती है। जानकारों की मानें तो पुलिस द्वारा हनीप्रीत का रिमांड लेने के लिए दो तरह की थ्योरी कोर्ट में पेश कर दी गई। यह बाद में पुलिस के लिए मुश्किल पैदा कर सकती है। हालांकि पुलिस इस बात के लिए अपनी पीठ थपथपा रही है कि महिला आरोपी का छह दिन का रिमांड मिलना बहुत बड़ी बात है।

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पहले 25 अगस्त को षड्यंत्र रचने का लगा था आरोप,अब 17 अगस्त की बैठक में शामिल होने की दलील

पुलिस हनीप्रीत को 25 अगस्त को राम रहीम को दोषी करार दिए जाने  के बाद दंगे भड़काने की साजिश में शामिल बता रही थी। पुलिस ने एफआइआर में लिखा था कि एक पत्रकार ने हनीप्रीत को दंगे भड़काने की बात कहते हुए सुना था। साथ ही रिमांड के दौरान भी कई आरोपियों ने हनीप्रीत का नाम लिया है।

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अब पुलिस कहने रही है कि 17 अगस्त को डेरा में एक बैठक हुई थी। इसमें निर्णय लिया गया था कि पंचकूला में फैसले आने के बाद क्या कुछ करना है। हनीप्रीत उस बैठक में शामिल थी। हनीप्रीत के वकीलों द्वारा पंचकूला पुलिस को कोर्ट में जमकर घेरा गया। बचाव पक्ष के वकीलों द्वारा पुलिस की हर थ्योरी पर सख्त सवाल खड़े किए गए। जिस थ्योरी पर हनीप्रीत का पुलिस 14 दिन का रिमांड चाहती थी, उसे केवल छह दिन का ही रिमांड मिला है।

किसने सुना था हनीप्रीत को

एडवोकेट एसके गर्ग नवराना के अनुसार, हनीप्रीत के खिलाफ 25 अगस्त को दंगे भड़काने का जो केस दर्ज किया गया है, उसमें एक पत्रकार को मुख्य गवाह बनाया गया है। पुलिस की थ्योरी के अनुसार इस पत्रकार ने हनीप्रीत को डेरा प्रमुख को दोषी करार देने के बाद यह कहते हुए सुना है कि पंचकूला में आगजनी कर दी जाए।

नरवाना का कहना है कि 25 अगस्त हनीप्रीत कोर्ट परिसर में थी। वहां पर कोई भी पत्रकार मौजूद नहीं था। सभी के मोबाइल फोन बंद थे। कोई किसी को फोन नहीं कर सकता था, तो हनीप्रीत डेरा अनुयायियों को किस प्रकार पंचकूला में दंगे करवाने का आदेश दे सकती है। ऐसे में पुलिस की थ्योरी ट्रायल के दौरान फेल हो जाएगी।

डेरे में बनी रणनीति

अब पुलिस ने केस को मजबूत करने के लिए नई थ्योरी तैयार कर ली है। इसमें पुलिस दावा कर रही है कि 17 अगस्त को जब सीबीआइ कोर्ट मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद आदेश सुनाने के लिए 25 अगस्त की तिथि तय कर दी गई, तो एक बैठक डेरे में बुलाई गई। इसमें राम रहीम के अलावा डेरे के प्रमुख लोग शामिल थे। इस बैठक में हनीप्रीत भी मौजूद थी। डेरा सच्चा सौदा सिरसा में साजिश रची गई थी कि यदि कोर्ट द्वारा 25 अगस्त को डेरा प्रमुख के खिलाफ आदेश सुनाया जाता है, तो पंचकूला में दंगे कर दिए जाएं। जगह - जगह आग लगा दी जाए।

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गवाहों पर संशय

जब कोर्ट में पुलिस द्वारा यह थ्योरी पेश की गई, तो बचाव पक्ष ने इस मामले में कोई गवाह व सुबूत पेश करने के लिए कहा। पुलिस ने कोर्ट में कहा कि इस संबंध में हमारे पास गवाह मौजूद हैं। इसमें एक राम रहीम का निजी सचिव, तो दूसरा सुरक्षा गार्ड है। परंतु ट्रायल के दौरान ये दोनों गवाह अपनी बात पर अडिग़ रहेंगे, इस पर संशय बरकरार है, क्योंकि यह वही सुरक्षा गार्ड एवं सचिव हैं, जिन्होंने राम रहीम को कोर्ट से भगाने की कोशिश की थी।

क्या कहती है पुलिस

पत्रकारों से बात करते पंचकूला के पुलिस कमिश्‍नर एएस चावला।

25 अगस्त की बात तो हो रही है, लेकिन उससे पहले 17 तारीख को भी एक मीटिंग हुई थी, जिसमें 25 तारीख का एजेंडा तय किया गया था। हनीप्रीत इस बैठक में मौजूद थीं। पुलिस के पास पर्याप्त सबूत व गवाह राकेश और प्रीतम भी है। इसमें से एक बाबा का निजी सचिव, तो दूसरा बाबा का चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर है। दोनों पुलिस की गिरफ्त में हैं। बाबा आया, सारी प्लानिंग बनी, इसका भी पुलिस के पास सुबूत है। एक महिला को छह दिन की रिमांड मिलना बहुत बड़ी बात है। आम तौर पर महिला का छह दिन का रिमांड नहीं मिलता।

                                                                                          - एएस चावला, पुलिस कमिश्नर, पंचकूला।

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