हड़ताल में सरकार का साथ देने वाले चालक-परिचालकों ने मांगी नौकरी, मिली गिरफ्तारी
हरियाणा रोडवेज की हड़ताल के समय रखे गए चालक-परिचालकों ने हटाए जाने के बाद दोबारा नौकरी पर रखने की मांग को लेकर गिरफ्तारियां दी। बरसात के दौरान कर्मचारियों का गुस्सा पूरा उबाल पर था।
जागरण संवाददाता, पंचकूला : हरियाणा रोडवेज की हड़ताल के समय रखे गए चालक-परिचालकों ने हटाए जाने के बाद दोबारा नौकरी पर रखने की मांग को लेकर गिरफ्तारियां दी। बरसात के दौरान कर्मचारियों का गुस्सा पूरा उबाल पर था। प्रदर्शनकारी पैदल मार्च करते हुए सेक्टर-5 धरना स्थल से चंडीगढ़ हाउसिग बोर्ड चौक पहुंचे। वहां चंडीगढ़ पुलिस ने किसी भी प्रदर्शनकारी को चंडीगढ़ में घुसने नहीं दिया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर नोंकझोक भी हुई। पंचकूला-चंडीगढ़ बॉर्डर हाउसिग बोर्ड चौक पर प्रदर्शनकारियों ने धरना देकर रोष जताया। इस दौरान चंडीगढ़ एवं पंचकूला पुलिस बल मौजूद था। जब प्रदर्शनकारियों का आक्रोश बढ़ने लगा तो पंचकूला पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार करना शुरू कर दिया। पुलिस सभी प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर बसों में भरकर ले गए। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनकी बात नहीं सुनती, तो 2 अगस्त को हरियाणा विधानसभा का घेराव करेंगे। हमने बुरे समय सरकार का साथ दिया था
रोडवेज यूनियन के नेता बलवान सिंह ने बताया कि जब 18 दिन लंबी हरियाणा रोडवेज की हड़ताल चली थी और सरकार की नाक का सवाल बना हुआ था, तो इन युवाओं ने हरियाणा रोडवेज बसें चलाकर सरकार की राह आसान की थी। सरकार ने इन युवाओं को आश्वासन दिया था कि इन्हें पक्की नौकरी दी जाएगी, लेकिन हड़ताल खत्म हुई, तो इन सभी को धक्के मारकर नौकरी से निकाल दिया। यह कर्मचारी लगातार तीन-चार दिन से विरोध जता रहे हैं कि सरकार ने जो रोजगार छीना है, उसे सरकार वापस करे। बुरे समय में हमने सरकार का साथ दिया था। यह युवा पहले जहां काम करते थे, वहां से त्यागपत्र देकर रोडवेज को ज्वाइन किया था, अब यह लोग कहीं के नहीं रहे। परिवार भूखे मरने की कगार है और घर का ढांचा बिगड़ चुका है। बलवान सिंह ने बताया कि वीरवार को परिवहन मंत्री की कोठी पर एक प्रतिनिधिमंडल को बुलाया गया था, परंतु कोई बातचीत नहीं हुई।
बीते साल अक्टूबर में चली रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान सरकार ने करीब 36 सौ चालक-परिचालकों को लगाया था, ताकि बसें बंद होने के कारण लोगों को परेशानी न हो। हड़ताल खत्म होने के बाद इन्हें हटा दिया गया था। देवी लाल, अमित राजीव, आशीष, चेतन, राममेहर आदि ने बताया कि चालक-परिचालकों ने जींद के उप चुनाव, फिर करनाल के मेयर के चुनाव और अब लोकसभा चुनाव में भाजपा का साथ दिया। अधिकांश ने प्राइवेट नौकरी छोड़कर हड़ताल के दौरान रोडवेज को सेवाएं दी। सरकार पहले आचार संहिता का बहाना लेती रही। लेकिन अब उनकी मांग को पूरा नहीं किया जा रहा है।