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Phone Tapping पर मचा घमासान, किन नेता-अफसरों के फोन हो रहे टैप, गृह मंत्री ने तलब की रिपोर्ट

हरियाणा में राजनीतिक उद्देश्य से होने वाली Phone tapping पर अब रोक लग सकेगी। इसकी शुरुआत खुद राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने की है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 02 Jan 2020 09:32 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jan 2020 08:32 AM (IST)
Phone Tapping पर मचा घमासान, किन नेता-अफसरों के फोन हो रहे टैप, गृह मंत्री ने तलब की रिपोर्ट
Phone Tapping पर मचा घमासान, किन नेता-अफसरों के फोन हो रहे टैप, गृह मंत्री ने तलब की रिपोर्ट

जेेेेएनएन, चंडीगढ़। Phone tapping in haryana: हरियाणा में सियासी मकसद से होने वाली फोन टैपिंग पर अब रोक लग सकेगी। इसकी शुरुआत खुद राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने की है। गृह मंत्री ने राज्य में उन तमाम लोगों का ब्योरा तलब किया है, जिनके फोन टैपिंग पर लगे हुए हैैं। इसके साथ ही उन्होंने तमाम टेलीफोन कंपनियों को पत्र लिखा है, ताकि कोई बिना प्रक्रिया पूरी किए किसी का फोन टैप न कर सके।

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हरियाणा में राजनेताओं और अधिकारियों के साथ-साथ पत्रकारों के फोन टैपिंग पर लगाने का काम बरसों से चल रहा है। पिछली हुड्डा सरकार में जब गोपाल कांडा गृह राज्य मंत्री थे, तब भी फोन टैपिंग का मामला खासी चर्चा में रहा। पिछली मनोहर सरकार के दौरान खुद अनिल विज को इस बात की आशंका थी कि उनका फोन टैप किया जाता है।

फोन टैपिंग और जासूसी के मामले में अनिल विज का तत्कालीन सीआइडी चीफ शत्रुजीत कपूर से विवाद भी रहा है, जो अभी तक सुलझ नहीं पाया है। कपूर हाल फिलहाल बिजली निगमों में एमडी हैैं। गृह मंत्री ने राज्य के गृह विभाग के अधिकारियों व सीआइडी प्रमुख से कहा है कि उन्हें तमाम उन नंबरों तथा लोगों की जानकारी दी जाए, जिनके फोन टेप किए जा रहे हैैं।

गृह मंत्री ने टेलीफोन कंपनियों को पत्र लिखकर कहा है कि वे भी बिना प्रक्रिया पूरी किए कोई फोन टैपिंग पर न लगाएं। यानी साफ है कि जब तक गृह मंत्रालय की अनुमति न हो, तब तक किसी भी व्यक्ति अथवा राजनेता का फोन टैप नहीं होना चाहिए। गृह मंत्री के इस फरमान से गृह विभाग खासकर पुलिस अधिकारियों में हड़कंप के हालात बने हुए हैैं।

समझिए, क्या है फोन टैपिंग

किसी के फोन-मोबाइल पर होने वाली बातचीत को गुप्त ढंग से रिकॉर्ड करना फोन-टैपिंग कहलाता है। इसमें कोई तीसरा व्यक्ति दो लोगों के बीच हो रही बातचीत को रिकॉर्ड करता है या सुनता है। यह सरकार भी हो सकती है। किसी भी व्यक्ति का फोन टैप करना एक अपराध है, जब तक की फोन टैप कर रहे विभाग को इसकी अनुमति न मिल गई हो।

कैसे मिलती है फोन टैपिंग की अनुमति

फोन टैपिंग करने वाले विभाग को इसके लिए एक प्रपोजल तैयार करना पड़ता है। इसमें यह बताना पड़ता है कि वह किन कारणों से किसी व्यक्ति का फोन टैप करना चाहता है और इसमें कैसे उसे जांच में मदद मिलेगी। इस प्रपोजल को वह विचार के लिए गृह विभाग को भेज देता है। गृह विभाग इस पर विचार करता है और अगर उसे ठीक लगता है तो वह टैपिंग की अनुमति दे देता है। अगर जांचकर्ता को टैपिंग की अनुमति मिल जाती है तो वह जिस भी नेटवर्क का सिम यह कनेक्शन होता है, उस नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनी के पास जाकर अनुमति मिलने की जानकारी देकर फोन टैपिंग करते हैं।

केंद्रीय स्तर पर गृह विभाग के सचिव की अनुमति के बाद उसके निर्णय की समीक्षा के लिए भी कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में एक कैबिनेट सचिव, विधि सचिव और टेली कम्युनिकेशन सचिव होता है। प्रदेश स्तर पर बनी कमेटी में मुख्य सचिव, विधि सचिव और सचिव स्तर का एक अधिकारी होता है। इन तीनों का काम टैपिंग पर दिए गए निर्णय की समीक्षा करना होता है। 

इन बातों का समझना भी जरूरी

फोन टैपिंग के मामले में यह भी नियम है कि किसी भी व्यक्ति का फोन एक बार अनुमति मिलने के बाद दो महीने तक टैप किया जाएगा। इसके बाद समय अवधि बढ़ाने के लिए फिर से अनुमति लेनी होगी। किसी भी व्यक्ति का फोन अधिकतम छह महीने ही टैप किया जा सकता है। बिना अनुमति फोन टैपिंग करना किसी व्यक्ति के मानवाधिकार का हनन है। इसके खिलाफ मानवाधिकार आयोग में शिकायत हो सकती है। फोन-टैपिंग साबित होने पर थाने में एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है। व्यक्ति फोन टैपिंग के मामले में कंपनी के खिलाफ या फोन टैपिंग करने वाले के खिलाफ कोर्ट में केस हो सकता है।  

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