हरियाणा में आर्थिक रूप से कमजोरों को 10 फीसदी आरक्षण की याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित
हरियाणा में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण के मामले में दायर की गईं सभी याचिकाएं अब सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित होंगी। इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट एक साथ सुनवाई करेगा।
चंडीगढ़, [दयानंद शर्मा]। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में हरियाणा सरकार द्वारा सामान्य वर्ग के आॢथक रूप से पिछड़े व्यक्तियों (ईबीपीजी) को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाली हरियाणा सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं पर सुनवाई करने का निर्णय लिया है। अभी तक ये सभी याचिका पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में विचाराधीन थीं। हाई कोर्ट लंबे अरसे से इन याचिका पर सुनवाई नहीं कर रहा था।
शीर्ष अदालत करेगी हरियाणा ईबीपीजी मामले की सुनवाई
इसके खिलाफ एक अर्जी पर शीर्ष अदालत ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश दिया है कि वह ईबीपीजी कोटे से संबंधित सभी याचिकाओं को सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित करे। जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने गुजरात के समान विषय के एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि गुजरात का मामला और पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं में एक समान सवाल उठाए गए हैं। एक ही प्रश्न दो अलग-अलग राज्यों में उठाया गया है और मेरी राय यह है कि सामान्य महत्व के इस विषय पर एक ही जगह सुनवाई हो।
हरियाणा सरकार ने किया था विरोध, मगर हाईकोर्ट नहीं माना
याचिकाकर्ता के वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि हाई कोर्ट में यह मामला कई साल से विचाराधीन है। हाई कोर्ट इस मामले में बार-बार सुनवाई से इस बात पर इन्कार कर रहा है कि गुजरात का समान विषय का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में उसके निपटारे के बाद ही हाई कोर्ट इस पर सुनवाई करेगा।
2013 में ईबीपीजी को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की सरकार ने जारी की थी अधिसूचना
याची के वकील ने बताया कि राज्य में भर्ती चल रही है और 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के समक्ष लंबित सभी याचिकाओं को स्थानांतरित करने की मांग की थी। मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार द्वारा इस बात का विरोध किया गया कि हाई कोर्ट से मामला सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट बेंच ने हरियाणा सरकार की दलील को खारिज करते हुए सभी केस को स्थानांतरित करने का आदेश जारी कर दिया।
इस मामले में रोहतक जिले के गांव लाखनमाजरा निवासी सुनील राठी और अन्य ने बिजली विभाग में शिफ्ट अटेंडेंट के पद के लिए आवेदन किया था। 2426 पदों को भरने के लिए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा फरवरी 2016 में विज्ञापन निकाला गया। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, शिफ्ट अटेंडेंट के 2426 पदों में से 10 प्रतिशत पद ईबीपीजी श्रेणी के तहत आरक्षित थे, उनके अनुसार 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण कानून में स्वीकार्य नहीं है।
इस दस प्रतिशत आरक्षण देने के बाद राज्य में कुल आरक्षण 60 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जबकि इंदिरा साहनी मामले में शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ है। इस आरक्षण के खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन हाई कोर्ट इस मामले में केवल सुनवाई स्थगित कर रहा था। इस मामले में महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य में ईबीपीजी श्रेणी की जितनी भी भर्ती हुई है, वह इस याचिका के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगी।
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