राेडवेजकर्मियों का विरोध दरकिनार, 64 ट्रांसपोर्टर्स को मिले 510 निजी बसों के परमिट
हरियाणा सरकार ने रोडवेज कर्मचारियों के विरोध को दरकिनार कर 520 निजी बसों को किलोमीटर स्कीम के तहत चलाने के लिए परमिट दिया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा रोडवेज के हड़ताली कर्मचारियों पर सख्ती के बाद अब प्रदेश सरकार ने किलोमीटर स्कीम के तहत रोडवेज बेड़े में 720 बसें शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पहले चरण में 64 ट्रांसपोर्टरों को 510 बसों का कांट्रेक्ट दिया गया है। परिवहन महानिदेशक ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। इन ट्रांसपोर्टरों को 19 से 21 सितंबर तक सभी जिलों में महाप्रबंधकों के पास बुलाया गया है। वहां कांट्रेक्ट पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। वहीं, फैसले के विरोध में हरियाणा रोडवेज ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने आपात बैठक बुलाई है। इसमें नए सिरे से आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।
रोडवेज महानिदेशक ने जारी किए आदेश, तीन दिन चलेगा रोडवेज महाप्रबंधकों से समझौते का सिलसिला
किलोमीटर स्कीम के तहत निजी बसों का चालक ट्रांसपोर्टर्स का होगा, जबकि परिचालक सरकारी। इसी तरह परमिट भी सरकार का रहेगा। पहले चरण में भिवानी में 68, झज्जर में 50, रोहतक में 48, सोनीपत में 42 और गुरुग्राम में 40 बसें चलाई जाएंगी। वहीं हिसार में 25, अंबाला, करनाल, पानीपत, फतेहाबाद और चंडीगढ़ के हिस्से 20-20, कुरुक्षेत्र, कैथल, फरीदाबाद नारनौल, चरखी दादरी और जींद में 15-15 और सिरसा में 17 बसें सड़कों पर दौड़ेंगी। यमुनानगर व पलवल को 10-10 और नूंह वरेवाड़ी को 5-5 बसें मिली हैं।
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ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने बुलाई आपात बैठक, नए सिरे से आंदोलन की तैयारी
ज्वाइंट एक्शन कमेटी के दलबीर सिंह किरमारा के मुताबिक राजस्थान परिवहन निगम ने भी अपने यहां यह प्रयोग किया था जो पूरी तरह विफल रहा। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग द्वारा 40 से अधिक श्रेणियों को मुफ्त व मामूली शुल्क पर यात्रा सुविधा देने व यात्री कर के रूप में 25 फीसद पैसा सरकारी खजाने में जमा कराने के बाद एक सरकारी बस की औसत आय 23 से 24 रुपये प्रति किलोमीटर आती है। इसके उलट अनुबंध पर ली जा रही बसों के संचालकों को 36 से 42 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से भुगतान परिवहन विभाग के लिए घाटे का सौदा साबित होगा।
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ज्वाइंट एक्शन कमेटी लगा रही घोटाले का आरोप
हरियाणा रोडवेज ज्वाइंट एक्शन कमेटी के पदाधिकारियों हरिनारायण शर्मा, अनूप सहरावत, बलवान सिंह दोदवा, जयभगवान कादियान, बाबूलाल यादव व रमेश सैनी ने दावा किया कि पूरे मामले में बड़े स्तर पर घोटाला हुआ है। उन्होंने कहा कि इन बसों के लिए पहले साढ़े 19 रुपये प्रति किलोमीटर का टेंडर निकाला गया। घाटा देख छोटे बस संचालक पीछे हट गए तो अफसरों ने 100 से 150 बसों वाली निजी कंपनियों के संचालकों से सांठगांठ कर गुपचुप तरीके से रेट को 36 से 42 रुपये प्रति किलोमीटर तक कर दिया। इस तरह बड़े ऑपरेटरों के लिए मोटी कमाई का रास्ता खोलते हुए उन्हें परमिट कर दिए गए।