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निजी स्कूलों के फीस दबाव के कारण सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला करा रहे अभिभावक

निजी स्कूल अभिभावकों पर लॉकडाउन की फीस देने का दबाव डालने लगे हैं। इससे परेशान अभिभावक बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिला रहेे हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2020 01:39 PM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 01:39 PM (IST)
निजी स्कूलों के फीस दबाव के कारण सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला करा रहे अभिभावक
निजी स्कूलों के फीस दबाव के कारण सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला करा रहे अभिभावक

नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। कोरोना के असर से बचने को लगाए गए लॉकडाउन की अवधि की स्कूल फीस से तंग अभिभावक अब अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में करा रहे हैं। शहरों व गांवों के मध्यम वर्ग की पहुंच वाले निजी स्कूलों के अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही दाखिला करा रहे हैं। बताया जा रहा है कि राज्य में अब तक निजी स्कूलों से आए दो लाख बच्चों ने सरकारी स्कूलों में दाखिला ले लिया है। इसके पीछे यह भी कारण है कि अभिभावकों को लगता है कि इस साल बच्चों की ऑनलाइन ही पढ़ाई होगी, इसलिए ऑनलाइन पढ़ाई के लिए वे निजी स्कूलों की महंगी फीस क्यों भरे। शिक्षा विभाग शिक्षा के अधिकार के कानून के चलते इनसे निजी स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र भी नहीं ले रहे हैं। हालांकि इसका निजी स्कूल विरोध कर रहे हैं। निजी स्कूल प्रबंधकों का कहना है कि सरकार उनके स्कूल बंद कराने की दिशा में काम कर रही है।

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स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र पर सरकार ने स्पष्ट कर दिया नजरिया

राज्य के सभी जिला शिक्षाधिकारियों को भेजे प्रपत्र में शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक (शैक्षणिक) ने साफ कर दिया है कि निजी स्कूलों से निकालकर अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में करा सकते हैं। इसके लिए अभिभावकों को निजी स्कूलों से स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र लेने की जरूरत नहीं है। बल्कि जिस सरकारी स्कूल में अभिभावक अपने बच्चे का दाखिला कराएंगे, वहीं से संबंधित स्कूल में इस प्रमाणपत्र के लिए 15 दिन के अंदर ऑनलाइन आग्रह भेजा जाएगा। यदि संबंधित स्कूल 15 दिन के अंदर ऑनलाइन ही स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र नहीं देता तो प्रमाण पत्र स्वत: लिया हुआ मान लिया जाएगा।

स्कूल छोड़ने के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं 

सर्व शिक्षा अभियान के सेवानिवृत्त समन्वयक डीसी चौधरी का कहना है कि सरकार ने शिक्षा के अधिकार के तहत बने नियम के अनुसार नया आदेश जारी किया है। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 5 से 14 साल तक की उम्र के बच्चे को उसके अभिभावक किसी भी सरकारी स्कूल में उसकी उम्र के अनुसार कक्षा में प्रवेश दिला सकते हैं। इसके लिए किसी अन्य स्कूल से स्कूल छोड़ने के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होती। यह व्यवस्था सरकारी स्कूलों में भी है कि छात्र से यह पूछा जाए कि वह पहले कहां पढ़ता था। यदि कोई नहीं बताना चाहे तो इसके लिए सरकारी नियमों के तहत बाध्य नहीं किया जा सकता। फीस या अन्य किसी कारण से हम छात्र को उसकी शिक्षा से वंचित नहीं रखते, इसलिए सरकार ने छात्र के दाखिले में दूसरे स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र की अनिवार्यता को खत्म करके अच्छा निर्णय लिया है।

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