नदियों पर पुल नहीं, आफत में हजारों ग्रामीणों की जान
धर्म शर्मा, मोरनी : जिला प्रशासन आदेश जारी तो कर देता है, लेकिन जमीन पर काम करने में दि
धर्म शर्मा, मोरनी : जिला प्रशासन आदेश जारी तो कर देता है, लेकिन जमीन पर काम करने में दिलचस्पी नहीं है। बारिश के मौसम में हर साल मोरनी के कई गांववासियों को अपनी जान को आफत में डालना पड़ता है। नदी किनारे बसे गावों के लोगों को दूसरे गाव व शहर व विद्यार्थियों को स्कूल व कॉलेज जाते समय बरसात के दौरान खतरे का सामना करना पड़ता है। छोटे बच्चों को ज्यादा परेशानी आती है। जिनको सिर्फ नदी में पानी कम होने पर या फिर कई-कई दिन जब तक नदी में पानी का बहाव कम न हो, स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती है। इन गांवों में है समस्या
खंड की नाइटा व टिपरा पंचायत के गाव रेवाड़ी, बाग, खडूनी, चपलाना, काटली, कमहारू, दाबसु, खागड़ी तथा पलासरा पंचायत के खैरी, खोपर, अबोआ व अंदरवाला आदि ऐसे ही गाव हैं, जहा नदी-नालों में पानी का बहाव अधिक होने के कारण स्कूली बच्चों को स्कूल आने-जाने में समस्या आती है। इसी तरह कोटी पंचायत के पथरोटी, कोठी, चाकली, दंदोली, रुनजा ढाकर, सुखबाएं, देवरी, क्यारटा, बटोली, दागोह व थड़ आदि गावों के लगभग 150 स्कूल व कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राएं नदी से रास्ता होने के कारण बहुत अधिक प्रभावित हैं। रस्सी-पाइप ही एक सहारा
पलासरा पंचायत के खैरी, खोपर के ग्रामीणों ने बताया कि जब भी नदी में पानी आ जाता है तो गाव के लोग इकट्ठे होकर एक-दूसरे को रस्सी के सहारे नदी पार करवाते हैं, जिसमें कुछ लोग नदी के दोनों किनारों पर सुबह से शाम तक लोगों को नदी पार करवाने का काम करते हैं। कोटि नदी पर भी लोगों व स्कूली बच्चों को कई बार नदी में बहाव अधिक होने के कारण जनस्वास्थ्य विभाग की नदी के ऊपर लगी पाइप लाइन के सहारे नदी पार करने का जोखिम लेना पड़ता है। इस पाइप लाइन से पैर फिसलकर नदी में गिरने का खतरा हमेशा बना रहता है। नहीं हुआ समाधान
यूं तो ग्रामीण नदी पार करने के लिए रास्ता व पुल न होने की समस्या को लेकर संबंधित विभागों के अधिकारियों व मौजूदा विधायकों से अनेकों बार गुहार लगा चुके हैं। लेकिन समस्या अभी तक हल नहीं हो सकी। कोटि नदी पर पुल लगाने की प्रक्रिया अभी शुरू ही हुई है, लेकिन धरातल पर अभी पुल लगने में समय लगेगा। मात्र खोखले आदेश
जिला प्रशासन ने बारिश में नदियों में जाने पर सख्त पाबंदी लगाई हुई है। लेकिन मोरनी क्षेत्र के इन गावों के ग्रामीणों व विद्यार्थियों को बारिश के दिनों में प्रशासन के आदेशों को दरकिनार करके नदियों के तेज बहाव में कूदकर नदी पार करनी पड़ती है। इन गावों में स्थिति यह है कि घर से बाहर गए हुए सदस्य के घर सकुशल लौटने तक उस सदस्य के लिए सभी चिंतित रहते हैं। स्कूली छात्रों के लिए यह आए दिन का काम हो जाता है। अधिकतर अभिभावक बच्चों को नदी पार करवाने के लिए प्रतिदिन नदी तक आते हैं और स्कूल टाइम के बाद इन बच्चों को लेने आते हैं। आपके माध्यम से मेरे संज्ञान में मामला आया है। इन गांवों के लिए नदी पर पुल किसी के माध्यम से बनाया जाना है और इस पर कोई काम चल रहा है या नहीं, यह चेक करवाना पड़ेगा।
-जगदीप ढांडा, एडीसी, पंचकूला