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लॉकडाउन में चौटाला का सियासी पासा, हरियाणा में बसपा को तोड़कर मायावती को दिया झटका

पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला ने बसपा सुप्रीमो मायावती को बड़ा झटका दिया है। चौटाला ने बसपा के प्रमुख नेताओं को इनेलो शामिल कराया। इससे राज्‍य में बसपा के अस्तित्‍व पर सवाल उठ गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 15 Jun 2020 11:50 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 11:50 PM (IST)
लॉकडाउन में चौटाला का सियासी पासा, हरियाणा में बसपा को तोड़कर मायावती को दिया झटका

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा की राजनीति में सोमवार को पूर्व मुख्‍यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने बड़ा दांव चला। उन्‍होंने इनेलो से गठबंधन तोड़ने वाली बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमाे को बड़ा झटका दिया है। पांच बार हरियाण के मुख्यमंत्री रह चुके इनेलो सुप्रीम चौटाला ने बसपा की हरियाणा इकाई के सभी प्रमुख पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया। ऐसा कर चौटाला राज्‍य में जाट-दलित समीकरण बनाने की कोशिश में है।

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अभय चौटाला ने तैयार की भूमिका, दस माह तक रह चुका इनेलो व बसपा का गठजोड़

विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने बसपा नेताओं को पार्टी में शामिल कराने का तानाबाना बुना। प्रदेश में जाट मतदाताओं की संख्या करीब 22 फीसदी और दलित मतदाताओं की संख्या 21 फीसदी है। चौटाला पिता-पुत्र का मानना है कि हरियाणा में जाट व दलित राजनीति का यह नया गठजोड़ नया गुल खिला सकता है। प्रदेश में कुछ माह बाद सोनीपत जिले की बरौदा विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। इस उपचुनाव से पहले इनेलो ने बसपा की प्रदेश यूनिट में भयंकर तोड़कर कर भाजपा-जजपा गठबंधन तथा कांग्रेस को चुनौती देने का इरादा जाहिर किया है। विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा में इनेलो व बसपा का दस माह तक गठबंधन रहा है।

इनेलो के दोफाड़ होने के बाद बसपा ने इनेलो से अलग हुई जननायक जनता पार्टी के साथ भी गठबंधन किया, लेकिन यह गठबंधन भी ज्यादा दिन नहीं चल पाया। विधानसभा चुनाव में इनेलो और जजपा दोनों ने अपने-अपने दम पर ताल ठोंकी। जजपा को दस सीटें मिली, जबकि इनेलो को मात्र अभय सिंह चौटाला की एक ही सीट पर संतोष करना पड़ा। इसके बावजूद अभय चौटाला डिगे नहीं। अभय सिंह और दुष्यंत चौटाला को एकजुट करने की कई बार कोशिशें भी हुई, लेकिन इनमें सफलता नहीं मिल पाई। अब इनेलो ने नए सिरे से अपना जनाधार बढ़ाने के लिए पूरे प्रदेश में कवायद शुरू कर रखी है।

चंडीगढ़ स्थित आवास पर अभय सिंह चौटाला की मौजूदगी में इनेलो सुप्रीम ओमप्रकाश चौटाला ने बसपा के पूर्व प्रभारी प्रकाश भारती, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नरेश सारन, पूर्व उपाध्यक्ष चतर सिंह कश्यप और नरेंद्र प्रजापति, पूर्व महासचिव रामेश्वर दास, मंगत राम सैनी व कृष्ण कुटैल, पूर्व प्रदेश सचिव वेद सिंह, राजाराम, राजकुमार रेढ़ू, डा. रामेश्वर दास और रोहताश रंगा समेत 58 पदाधिकारियों को पार्टी में शामिल कराया।

हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, दिल्ली और राजस्थान के बसपा प्रभारी रह चुके प्रकाश भारती ने इनेलो में शामिल होने के बाद कहा कि हर जिले में अब उन प्रत्याशियों को इनेलो में शामिल किया जाएगा, जो लोकसभा व विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से चंडीगढ़ नहीं पहुंच पाए।

विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि नरवाना और इसराना में दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं की ज्वाइनिंग के बाद बसपा की पूरी प्रदेश यूनिट ने इनेलो में जो आस्था जाहिर की है, वह बदलते राजनीतिक माहौल की तस्वीर बयां कर रही है। अभय चौटाला ने कहा कि जल्द ही पूरे प्रदेश यूनिट और जिला इकाइयों का पुनर्गठन होगा, जिसमें मेहनती कार्यकर्ताओं को महत्व दिया जाएगा। संगठन को फिर उसी तरह नये सिरे से खड़ा किया जाएगा, जिस तरह से कभी इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने खड़ा किया था।

हरियाणा में अब बसपा का आधार नहीं : प्रकाश भारती

बसपा सुप्रीमो मायावती द्वारा इन पदाधिकारियों के पूर्व में निष्कासन से जुड़े सवाल पर पूर्व प्रभारी प्रकाश भारती व नरेश सारन ने कहा कि अब प्रदेश में बसपा का कोई आधार नहीं रह गया है। बसपा की पूरी प्रदेश यूनिट का विलय इनेलो में हो गया है। करीब दस माह तक इनेलो व बसपा का पहले भी गठबंधन रहा है। गठबंधन का इरादा प्रदेश में सरकार बनाने का था, लेकिन बसपा अध्यक्ष मायावती नहीं चाहती थी कि यह गठबंधन आगे बढ़े।

उन्‍होंने कहा कि इसके क्या कारण रहे होंगे, यह मायावती ही बेहतर बता सकती हैं। प्रकाश भारती के अनुसार मायावती बसपा के संस्थापक कांशी राम की नीतियों से भटक चुकी थी। प्रदेश में मौजूदा गठबंधन की सरकार जनआकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रही। इसलिए बसपा नेताओं ने पूरी यूनिट का इनेलो में विलय करने का निर्णय लिया है।

विधानसभा चुनाव 2014 और 2019 में राजनीतिक दलों का मत प्रतिशत

पार्टी  -     2014 में वोट (फीसद) -  2019 में वोट (फीसद) -  अंतर (फीसद)

भाजपा   -   33.20         -                   36.46    -              3.26 (बढ़ा)              -

कांग्रेस   -    20.60         -                   28.12    -             7.56 (बढ़ा) 

इनेलो    -   24.70         -                    2.45    -              22.25 (घटा)

जजपा   -   पार्टी नहीं थी    -                 14.84          -   

अन्य     - 21.50         -                       32.98     -            11.48  (बढ़ा)

(जजपा का वोट बैंक पहले इनेलो का ही वोट बैंक था। यदि इसे जोड़ लिया जाए तो यह साढ़े 17 फीसदी वोट बनते हैं)


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