राज्यसभा चुनाव के बाद अब भाजपा नए प्रदेश प्रधान की नियुक्ति पर नजर, रेस में कई दिग्गज
हरियाणा में राज्यसभा की तीन सीटों के चुनाव के बाद भाजपा के नए प्रदेश प्रधान की नियुक्ति होगी। राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुनाव तय हो जाने के बाद अब सबकी नजर नए अध्यक्ष पर है।
नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा में राज्यसभा की तीन सीटों पर चुनाव निर्विरोध होने तय हैं। इसके बाद भाजपा के सामने विधानसभा चुनाव में पराजित नेताओं को संगठन में समायोजित करने की चुनौती बनी रहेगी। भाजपा नेताओं की नजर प्रदेश प्रधान पद पर है। दूसरी ओर, कांग्रेस नेताओं की नजर हुड्डा व सैलजा के संबंधों पर रहेगी।
तीसरी सीट हाथ से निकलने पर भाजपा को नए सिरे से साधन होंगे जातीय समीकरण
भाजपा हाईकमान को अगले एक दो दिन में प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्ति करनी है। यदि पार्टी ने पराजित नेताओं को संगठन में कोई अहम पद नहीं देना है तो फिर प्रदेश अध्यक्ष पद पर तीन ही नाम प्रमुख रूप से लिए जा रहे हैं। इनमें हिसार के विधायक कमल गुप्ता का नाम जातीय समीकरण के आधार पर सबसे आगे है।
फिलहाल पराजित नेताओं को संगठन में समायोजित करने की बनी हुई है चुनौती
इसके अलावा, पानीपत ग्रामीण से महीपाल ढांडा और कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सैनी का नाम शामिल है। सैनी का नाम अब इसलिए पीछे माना जा रहा है कि राज्यसभा की एक सीट पर पिछड़ा वर्ग के नेता रामचंद्र जांगड़ा को भाजपा ने उम्मीदवार बना दिया है। पार्टी के रणनीतिकार राज्यसभा और संगठन में इस बार जातीय समीकरण के आधार पर नेताओं को समायोजित करवा रहे हैं।
इसके अलावा यदि संगठन ने पराजित नेताओं को जिम्मेदारी दी तो प्रदेशाध्यक्ष पद पर सबसे पहला नाम मौजूदा अध्यक्ष सुभाष बराला का रहेगा। बराला के अलावा इस पद पर पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, पूर्व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ का नाम भी प्रमुख रूप से लिया जा रहा है। भाजपा को प्रदेशाध्यक्ष सहित जिलाध्यक्ष के भी 22 पदों पर नियुक्तियां करनी हैं।
ऐसे ही कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा के सामने अब 22 जिलों में संगठन की टीम खड़ी करने की चुनौती रहेगी। राज्यसभा की एक सीट पर सैलजा और हुड्डा के बीच चली खींचतान से यह भी माना जा रहा है कि इसका असर जिलों में टीम खड़ी करने पर पड़ेगा।
सैलजा शुक्रवार को प्रदेशाध्यक्ष के नाते राज्यसभा के लिए पार्टी के उम्मीदवार दीपेंद्र हुड्डा का नामांकन भरवाने भी चंड़ीगढ़ नहीं गईं। सैलजा ने अपना पूरा दिन संसद में बिताया। वे अपने निवास पर केवल कुछ ही लोगों से मिलीं।