गैर मुस्लिम पत्रकारों ने उर्दू पत्रकारिता को दिया नया मोड़ : केपी सिंह
हरियाणा उर्दू अकादमी की ओर से भारत की उर्दू पत्रकारिता में गैर-मुस्लिम पत्रकारिता पर की चर्चा।
जासं, पंचकूला : हरियाणा उर्दू अकादमी की ओर से भारत की उर्दू पत्रकारिता में गैर-मुस्लिम पत्रकारों का योगदान विषय पर एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया। इसकी अध्यक्षता प्रमुख लेखक एवं वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी केपी सिंह ने की और मुख्य अतिथि अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह रहे। इस अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ प्रोफेसर जियाउर रहमान सिद्दीकी ने उर्दू पत्रकारिता में गैर मुस्लिम पत्रकारों की भूमिका के विषय में 'हरियाणा के गैर मुस्लिम पत्रकारों का योगदान' शीर्षक पर एक दिलचस्प शोध पत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि जामे जहां नुमा नामक जो उर्दू का पहला अखबार था, उसके संपादक मुंशी सदासुख लाल थे, जिनका संबंध संयुक्त पंजाब से रहा। यह अखबार 1822 में प्रकाशित हुआ। भारतेंदु हरिश्चंद्र एक ऐसे पत्रकार थे कि जिन्होंने उर्दू और हिदी दोनों भाषाओं में समाचार पत्र जारी किए। भारतेंदु हरिश्चंद्र ही ऐसे प्रथम व्यक्ति थे कि जिन्होंने सबसे पहले देवनागरी लिपि में उर्दू के अखबार को प्रकाशित करना शुरू किया। इस मौके पर उन्होंने बताया कि देश के बटवारे के समय हरियाणा की सरजमीन से 22 उर्दू के अखबार निकलते थे जिनके संपादक सभी हिदू थे। गुमनाम पत्रकारों पर करें अधिक से अधिक शोध
सिद्दीकी ने सर छोटू राम के 'जाट गजट' और लाला लाजपत राय के समाचार पत्र का भी जिक्र किया। सबसे विशेष बात भाषण में ये कही कि हमारा फर्ज बनता है कि हम इन गुमनाम पत्रकारों पर अधिक से अधिक शोध करें और इनकी साहित्यिक व सामाजिक सेवाओं को लोगों के सामने लाए ताकि आने वाली नस्ले इनके कारनामों एवं सेवाओं से परिचित हों सकें। केपी सिंह ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं की उर्दू के गैर मुस्लिम पत्रकारों ने उर्दू पत्रकारिता को नया मोड़ दिया था। सेमिनार से मिलेगी नई दिशा
धनपत सिंह ने कहा कि हरियाणा उर्दू अकादमी ने इस अछूते विषय पर सेमिनार कराकर पत्रकारिता को एक नई दिशा प्रदान की है। एनएस परवाना ने भी उर्दू पत्रकारिता के क्षेत्र में हिन्दु पत्रकारों के योगदान के हवाले से प्रकाश डाला और कहा कि भारतीय पत्रकारिता में इनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। विशिष्ठ अतिथि और केन्द्रीय साहित्य अकादमी, दिल्ली के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने उर्दू और हिदी पत्रकारिता के संबंधों को महत्वपूर्ण ढंग से उजागर किया। कार्यक्रम का संचालन अकादमी के निदेशक डॉ. चंद्रत्रिखा ने किया। विशिष्ठ उपस्थिति में शिखर लेखक डॉ. अत्मजीत, बीडी कालिया 'हमदम', डॉ. आरपी सेठी कमाल, एसएल धवन मौजूद थे।