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नदी पर पुल नहीं, जान जोखिम में डाल नदी पार करते हैं ग्रामीण

मोरनी क्षेत्र के बहुत से गांव ऐसे हैं जो नदी किनारे या आसपास बसे हैं। इन गांवों के लोगों को बरसात के मौसम में नदी आरपार जाने के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Aug 2019 06:33 PM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 06:31 AM (IST)
नदी पर पुल नहीं, जान जोखिम में डाल नदी पार करते हैं ग्रामीण

धर्म शर्मा, मोरनी : मोरनी क्षेत्र के बहुत से गांव ऐसे हैं जो नदी किनारे या आसपास बसे हैं। इन गांवों के लोगों को बरसात के मौसम में नदी आरपार जाने के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही घटनाक्रम कई सालों से मोरनी खंड के तलहटी में बसे गांव ढाडवाली, खोपर, बाग, अंदरवाला व खैरी में चल रहा है। यहां के ग्रामीणों को गांव से बाहर जाने के लिए नदी को पार करना किसी जंग से कम नहीं है क्योंकि बारिश होने पर नदी उफान पर होती है, जिसे पार करना ग्रामीणों के लिए आफत बन जाती है। खोपर गांव के पास बहने वाली नदी पर पुल न होने के कारण ग्रामीण, स्कूली बच्चे और मरीज, विशेषकर गर्भवती महिलाओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। खेतपुराली स्कूल व पंचकूला में पढ़ने जाने वाले स्टूडेंट्स आए दिन जान जोखिम में डालकर इस नदी को पार करते हैं। ज्यादा बारिश होने पर नदी में पानी का बहाव बढ़ जाता है जिस कारण छात्र स्कूल व कॉलेज नहीं जा पाते। वहीं, खोपर स्थित प्राइमरी स्कूल के अध्यापक भी नदी पार नहीं कर पाते। बावजूद ग्रामीणों व स्कूली छात्रों को नदी पर पूल बनाने की जहमत किसी ने नहीं उठाई। स्थानीय विधायक से ग्रामीण कई बार समस्या को लेकर मिल चुके हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं होता। प्रशासन व सत्ताधारी राजनीतिक पार्टियों की इच्छा शक्ति के अभाव व जानकारी होते हुए भी अनभिज्ञता दिखाने के कारण ग्रामीण आए दिन इस परेशानी को झेलते हैं। रस्सी के सहारे करते हैं नदी पार खंड के इन गांवों की बारिश में अन्य गांवों व शहरों से कनेक्टिविटी टूट जाती है। इन गांवों के ग्रामीण या तो बाहर जाते ही नहीं और अगर जाते हैं तो समय से वापस घर लौट आते हैं। क्योंकि रात होने पर नदी पार करना जान की बाजी लगाने जैसा है। ग्रामीणों ने बताया कि जब भी नदी में पानी बढ़ जाता है तो गांव के लोग इक्कठे होकर एक दूसरे को रस्सी के सहारे नदी पार करवाते हैं जिसमे कुछ लोग नदी के दोनों किनारों पर सुबह से शाम तक लोगों को नदी पार करवाने का काम करते हैं। यदि रस्सी टूट जाए या नदी पार कर रहे व्यक्ति के हाथ से रस्सी छूट जाए तो फिर जान बचना मुश्किल है। बारिश के मौसम से पहले जमा कर लेते हैं राशन गांव से बाहर जाने वाले मुख्य रास्ते पर लगने वाली नदी में पानी का बहाव बढ़ जाने से इन गांवों के ग्रामीण कई माह का राशन व सामान पहले ही घरों में जमा कर लेते हैं। क्योंकि बारिश में नदी के रास्ते सामान लाना मुश्किल होता है। खोपर व ढाडवाली के ग्रामीण मनीश कुमार, पंच कर्मचंद, रघुवीर, पवन, महेंद्र, जगजीत, गोपाल सिंह, नवनीत व नरसिंह ने बताया कि ग्रामीण खेतपुराली स्कूल में जाने वाले बच्चों को बारिश के बाद नाले में पानी अधिक आने पर स्वयं नदी पार करवाते हैं। बारिश में प्रतिदिन होने वाली इस समस्या से ग्रामीण व स्कूली छात्र काफी परेशान हैं और स्थायी हल की मांग करते है। विधायक भी कर चुकी है समस्या का सामना बीते वर्ष बारिश के समय में कालका विधायक लतिका शर्मा प्रशासनिक अधिकारियों व स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ उपरोक्त गांवों का दौरा करने पहुंची थी। मगर खोपर गांव के पास उन्हें नदी में आए पानी के तेज बहाव के कम होने का इंतजार करना पड़ा था। उस समय ग्रामीणों ने उन्हें समस्या का समाधान करने की गुहार लगाई थी, लेकिन आज तक खोपर नदी पर पुल लगाने जैसी कोई कार्यवाही होती दिखाई नहीं दी, जिससे ग्रामीणों में रोष पनपा है। नदी पर पुल न बना तो करेंगे बहिष्कार खोपर, ढाडवाली व अंदरवाला आदि गांवों के ग्रामीणों ने कहा कि उनको नदी पर पुल न होने के कारण काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। चुनाव के समय सभी राजनीतिक पार्टियों के लोग उनके हिमायती बनाकर उनके साथ खड़े होने का ढोंग करते हैं। मगर उनकी मूलभूत समस्या का समाधान करने के लिए इस समय कोई आगे नहीं आता है। ग्रामीण आने वाले विधानसभा चुनाव में इन पार्टियों व इनके नेताओं का बहिष्कार करेंगे। गांवों में कम वोट, समाधान में रोड़ा खोपर, खैरी, अंदरवाला, ढाडवाली व अंबोआ जैसे अनेकों गांव हैं जिनमें वोट बैंक कम होना समस्याओं के समाधान में रोड़ा है। इन गांवों की आबादी कम व विकास कार्यों के लिए बजट अधिक होने के कारण अकसर समस्याओं का हल नहीं होता। इन गांवों का कम वोट होना ही विकास की दिशा में अड़ंगा लगाता है।

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