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World Environment Day: कोराेना से निपटने को नया कदम, हरियाणा के हर जिले में आक्सीजन पार्क, करनाल से शुरूआत

World Environment Day हरियाणा में कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए राज्‍य सरकार ने महत्‍वपूर्ण कदम उठाया है। अब राज्‍य के सभी जिलों में आक्‍सीजन पार्क बनाए जाएंगे। इसके साथ ही राज्‍य में लोगों का प्रकृ‍त‍ि से रिश्‍ता बढाया जाएगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 05 Jun 2021 02:02 PM (IST)Updated: Sat, 05 Jun 2021 02:02 PM (IST)
World Environment Day: कोराेना से निपटने को नया कदम, हरियाणा के हर जिले में आक्सीजन पार्क, करनाल से शुरूआत
हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल ने करनाल में 'आक्‍सी वन' योजना का शुभारंभ किया। (जागरण)

चंडीगढ़, [अनराग अग्रवाल]। कोरोना महामारी की भयावहता को देखते हुए हरियाणा ने लोगों को प्रकृति के साथ जोड़ने की अनूठी और दूरगामी पहल की है। प्रदेश सरकार राज्य के हर जिले में आक्सीजन पार्क बनाने जा रही है। इन आक्सीजन पार्क में चारों चरफ ऐसे पेड़-पौधे लगाए जाएंगे, जो सबसे ज्यादा आक्सीजन देते हैं। करनाल में इसकी शुरूआत आज मुख्‍यमंंत्री मनोहरलाल ने की।

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करनाल से हुई शुरुआत, अब पंचकूला में बनेगा, एक साल के भीतर हर जिले में आक्सी-वन

पेड़ों को धरती पर आक्सीजन का इकलौता बड़ा जरिया माना जाता है। लोगों ने अगर ज्यादा से ज्यादा से पेड़-पौधे लगाकर उनकी देखभाल की होती तो महामारी के दौरान आक्सीजन की इतनी कमी नहीं होती। पर्यावरण में आक्सीजन नहीं होने की स्थिति में किसी भी प्लांट में जरूरत के हिसाब से आक्सीजन का उत्पादन भी संभव नहीं है।

कोरोना सरीखी भयावह महामारी से निपटने की अनूठी और दूरगामी पहल

हरियाणा सरकार ने इस सत्य को समझते हुए राज्य के हर जिले में आक्सीजन पार्क बनाने का अहम निर्णय लिया है। आज विश्व पर्यावरण दिवस पर सीएम सिटी करनाल से इसकी शुरुआत हुई। यह आक्सीजन पार्क पांच एकड़ से 100 एकड़ तक जमीन में स्थापित किए जाएंगे। वन विभाग ने अपनी तकनीकी भाषा में इन्हें आक्सी-वन का नाम दिया है। करनाल में मुगल कैनाल पर बनने वाले आक्सीजन पार्क के चारों तरफ बरगद, नीम, बांस, अशोक, आंवला, बेल, पीपल और जामुन के सबसे ज्यादा आक्सीजन देने वाले पेड़-पौधे लगेंगे। बाकी जिलों में वन, पंचायत और शहरी निकाय विभाग की खाली जमीनों पर ये पार्क बनेंगे।

इन पार्कों में वाकिंग ट्रैक भी होगा, जहां लोगों के घूमने, व्यायाम करने और स्वास्थ्यवर्धक चीजों के खाने-पीने का इंतजाम रहेगा। ग्रहों और नक्षत्रों के हिसाब से भी कुछ पेड़-पौधे लगेंगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शनिवार को इस योजना की शुरुआत की। दूसरा आक्सीजन पार्क पंचकूला में बनेगा। इसके बाद हर जिले में एक साल के भीतर तक आक्सीजन पार्क की परिकल्पना को धरातल पर जीवंत कर देने की योजना है। हरियाणा के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वीएस तंवर के अनुसार मुख्यमंत्री मनोहर लाल की इन आक्सीजन पार्क के निर्माण में खास रुचि है। वह भविष्य में किसी भी महामारी तथा आक्सीजन की जरूरत की महत्ता को समझते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

इस साल तीन करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य

हरियाणा सरकार ने इस साल पूरे प्रदेश में करीब तीन करोड़ पौधे रोपित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। अभी तक औसत एक करोड़ पौधे ही हर साल रोपित किए जाते हैं। पौधारोपण का कार्य जून से सितंबर माह तक चलेगा। दो करोड़ पौधे वन विभाग की ओर से रोपित किए जाएंगे और एक करोड़ पौधे सामाजिक संगठन और आम लोगों के जरिये रोपित होंगे। पौधे मुफ्त में हासिल कर रोपित करने के लिए वन विभाग ने ई-पौधशाला नाम से एक एप बनाई है, जिस पर आवेदन किया जा सकेगा। प्रदेश का वन क्षेत्र फिलहाल छह प्रतिशत है, जिसे बढ़ाकर 10 फीसद तक ले जाने का लक्ष्य है।

 हर गांव में लगेगी पंचवटी, 48 कोस से शुरुआत

हरियाणा के प्रधान मुख्य वन संरक्षक वीएस तंवर के अनुसार मुख्यमंत्री और वन मंत्री के निर्देश पर इस बार विभाग ने पंचवटी पौधे रोपित करने की कार्य योजना बनाई है। कुरुक्षेत्र, करनाल, जींद, कैथल और यमुनानगर में 48 कोस में फैले 134 तीर्थ स्थलों पर पंचवटी लगाकर इस अभियान की शुरुआत होगी। फिर राज्य के सभी सात हजार गांवों में पंचवटी लगाई जाएगी। इनमें बरगद, पीपल, बेल, सीता अशोक और आंवले या नीम के पेड़ शामिल हैं। इस कार्य की शुरुआत भी विश्व पर्यावरण दिवस से होनी है। पंचवटी में शामिल पांचों पौधे आक्सीजन के बड़े स्त्रोत हैं।

आक्सीजन देने वाले मुख्य पेड़-पौधों के बारे में जानिये

आक्सीजन का सबसे बड़ा स्रोत बरगद का पेड है। इस पेड़ को राष्ट्रीय वृक्ष के रूप में मान्यता है। हिंदू धर्म में इसे पवित्र माना गया है। बरगद के पेड़ से उसकी छाया के आधार पर उत्पादित होने वाली आक्सीजन का अंदाजा लगाया जा सकता है। नीम के पेड़ को एवरग्रीन पेड़ कहा जाता है। यह नेचुरल एयर प्यूरीफायर है। यह पेड़ प्रदूषित गैसों कार्बन डाई आक्साइड, सल्फर और नाइट्रोजन को हवा से ग्रहण कर पर्यावरण में शुद्ध आक्सीजन छोड़ता है।

अशोक का पेड़ न सिर्फ आक्सीजन पैदा करता है, बल्कि इसके फूल पर्यावरण को सुगंधित रखते हैं और खूबसूरती बढ़ाते हैं। घर में अशोक का पेड़ हर बीमारी को दूर रखता है। अर्जुन का पेड़ हमेशा हरा-भरा रहता है। इसके बहुत ही आर्युवेदिक फायदे हैं। इस पेड़ का धार्मिक महत्व भी है। कहते हैं कि यह माता सीता का पसंदीदा पेड़ था। हवा से कार्बन डाई आक्साइड और दूषित गैसों को सोखकर अधिक आक्सीजन देने की इसमें पूरी क्षमता है। जामुन का पेड़ 50 से 100 फीट तक लंबा हो सकता है। इसके फल के अलावा यह पेड़ सल्फर आक्साइड और नाइट्रोजन जैसी जहरीली गैसों को हवा से सोख लेता है। आंवले का पेड़ औषधीय तो है ही, आक्सीजन उत्पादन में बड़ा कारक है।


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