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नए साल में नया कदम: हरियाणा की जेलों में होंगे रेडियो स्टेशन, कैदी ही होंगे आरजे और रिपोर्टर

हरियाणा में नए साल 2021 में नया कदम उठाया जा रहा है। राज्‍य की प्रमुख जेलों में रेडियाे स्‍टेशन होंगे। इन रेडियाे स्‍टेशन से कैदी कार्यक्रम पेश करेंगे। इस अभिनव रेडियो स्‍टेशन के आरजे और रिपोर्टर कैदी ही होंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Fri, 01 Jan 2021 09:18 AM (IST)Updated: Fri, 01 Jan 2021 10:47 AM (IST)
नए साल में नया कदम: हरियाणा की जेलों में होंगे रेडियो स्टेशन, कैदी ही होंगे आरजे और रिपोर्टर
हरियाणा की प्रमुख्‍ जेलों में रेडियाे स्‍टेशन शुरू होंगे। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, [सुधीर तंवर]। हरियाणा की जेलों में बंद कैदियों के सर्वांगीण विकास में लगी संस्था तिनका-तिनका फाउंडेशन ने अब कैदियों के लिए जेल में ही न केवल मनरंजन का साधन तैयार कर लिया है, बल्कि कैदियों के हुनर को सामने लाने की अनोखी पहल की है। प्रदेश की इन जेलों में अब पहली बार उनका अपना जेल रेडियो होगा। इस जेल रेडियो को नाम दिया गया है टीजेआर यानी तिनका जेल रेडियो। इसकी शुरुआत अंबाला, पानीपत और फरीदाबाद जेलों से होने वाली है। पानीपत के पांच, अंबाला के छह और फरीदाबाद जेल के 10 कैदियों को इसकी ट्रेनिंग दी जा चुकी है।

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हरियाणा की अंबाला, पानीपत और फरीदाबाद की जेलों से होगी रेडियो स्टेशन की शुरुआत

तिनका-तिनका फाउंडेशन हर साल जेलों में बंद कैदियों की प्रतिभा और उनके हुनर को सामने के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन कराती है। जेल में रहते हुए अच्छा काम करने वाले तथा हुनरमंद कैदियों को जेल अधिकारियों तथा मनोवैज्ञानिकों की मौजूदगी में पुरस्कृत किया जाता है। प्रदेश में कुल 19 जेल हैं, जिनमें तीन सेंट्रल और 16 ज़िला जेल शामिल हैं। फिलहाल हरियाणा की जेलों में कुल 20 हजार 423 बंदी हैं, जिनमें 900 से अधिक महिला बंदी शामिल हैं।

बंदियों को मिली ट्रेनिंग, रोजाना एक घंटे के होंगे कार्यक्रम, जेल की खबरें और फरमाइशी गाने भी

प्रदेश में जेल रेडियो की शुरुआत सेंट्रल जेल अंबाला, ज़िला जेल पानीपत और ज़िला जेल फरीदाबाद से की जाएगी। दिसंबर में आडिशन के बाद इन तीनों जेलों के 21 बंदियों का जेल रेडियो के लिए चयन हुआ था। इनमें बंदियों में फरीदाबाद जेल की 5 महिला बंदी भी शामिल हैं। इन्हें यह ट्रेनिंग तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक डा. वर्तिका नंदा ने दी है।

वर्तिका नंदा के अनुसार, अब जेल परिसर में रेडियो स्टेशन स्थापित किया जाएगा। बाहर के लोग इससे नहीं जुड़ सकेंगे। बैरक के बाहर लगे स्पीकर के जरिये सभी रेडियो को सुन सकेंगे। इसमें रोज़ाना एक घंटे का कार्यक्रम होगा, जिसमें कानून, सेहत और संगीत से जुड़े कार्यक्रम होंगे। बंदी अपनी कविताएं और कहानियां भी सुना सकेंगे।

बंदी अपनी फरमाइश या सवाल लिखकर दे सकेंगे, जिसका जवाब अगले कार्यक्रम में दिया जाएगा। जेल में रेडियो के जरिए बंदी अपनी प्रतिभा को तराशेंगे। जेल में कलाकारों की लिस्ट तैयार की जा रही है, जो जेल रेडियो में अपनी भागीदारी करेंगे। खास बात यह है कि तीनों जेल के बंदियों ने ही परिचय गान और धुन तैयार की है। जेल के सीमित संसाधनों में उन्होंने इस ऐतिहासिक कदम को संगीतबद्ध किया है।  

इन तीनों जेल के चयनित बंदी पांच दिवसीय रेडियो ट्रेनिंग का हिस्सा बन चुके हैं। यह सभी बंदी अलग-अलग उम्र, शैक्षणिक योग्यता और हुनर के माहिर हैं। ट्रेनिंग का मकसद इन बंदियों को रेडियो की जरूरत और उसके महत्व को समझाते हुए रेडियो के मुताबिक कार्यक्रम बनाने के लिए प्रेरित करना है।

ट्रेनिंग का समापन फरीदाबाद  जेल में किया गया और इस दौरान हरियाणा के जेल महानिदेशक के. सेल्वाराज, जिला जेल फरीदाबाद के अक्षीक्षक जयकिशन छल्लर, केंद्रीय जेल अंबाला के सुपिरिटेंडेट लखबीर सिंह बरार और जिला जेल पानीपत के अधीक्षक देवी दयाल जूम पर मौजूद रहे। सभी प्रतिभागी बंदियों को सर्टिफिकेट भी सौंपे गए। ऐसे रेडियो स्टेशन पूरे प्रदेश की जेलों में स्थापित करने की है।

हरियाणा के जेल महानिदेशक के. सेल्वाराज का कहना है कि यह जेलें बहुत जल्द अपने रेडियो के जरिए बंदियों के लिए संवाद का जरिया बनेंगी। फरीदाबाद जेल  अधीक्षक जय किशन छिल्लर के मुताबिक बंदी हर रोज अपनी ट्रेनिंग क्लास का इंतजार करते थे। क्लास में उन्हें होमवर्क दिया जाता था। वे खुद रिपोर्टर भी थे। जेल रेडियो की तैयारी भर ने इन बंदियों को बहुत बदल दिया है।

फाउंडेशन की संस्थापक वर्तिका नंदा का कहना है कि अब बंदी एक-दूसरे को आरजे कहने लगे हैं। खुलकर एक-दूसरे की सरहाना कर रहे हैं। पहली बार तीन जेलों के बंदियों की एक-दूसरे से मुलाकात हुई। उन्हें जेल में उदास बंदियों से संवाद कायम करने के लिए कहा गया। कलाकारों की लिस्ट बनाई गई। माइक को पकड़े यह बंदी अब अपनी नई पहचान के साथ खड़े हैं। वे अपने साथियों के लिए काउंसलर बन रहे हैं। कोरोना में मुलाकातों के बिना इन बंदियों में उदासी भर रही थी लेकिन अब रेडियो उनके अकेलेपन का साथी बन गया है।

तिहाड़ जेल से शुरुआत हुई थी रेडियो की

भारत में जेल रेडियो की शुरूआत सबसे पहले 2013 में तिहाड़ जेल दिल्ली में हुई थी। उस समय इस समारोह को देखने के लिए खुद वर्तिका नंदा मौजूद थीं। 31 जुलाई 2019 को तिनका तिनका ने जिला जेल आगरा में जेल रेडियो की शुरुआत की, जो भारत की सबसे पुरानी जेल इमारत में संचालित है। इस जेल रेडियो की शुरुआत में उदय और तुहिना नामक दो बंदी जुड़े और इसके जाकी बने। बाद में रजत संजय ने इस रेडियो की कमान संभाली। आगरा जेल रेडियो ने उत्तर प्रदेश में पहली बार एक महिला बंदी को रेडियो जाकी के तौर पर स्थापित किया।


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