हरियाणा में ठेकेदारी सिस्टम में फंसे 12 हजार से अधिक कच्चे कर्मचारी
सरकारी विभागों में कच्चे कर्मचारियों का आर्थिक शोषण जारी है। अकेले बिजली निगमों में 12 हजार से अधिक कच्चे कर्मचारी ठेकेदारी सिस्टम में फंसे हैं।
जेएनएन, चंडीगढ़। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद सरकारी विभागों में कच्चे कर्मचारियों का आर्थिक शोषण जारी है। अकेले बिजली निगमों में 12 हजार से अधिक कच्चे कर्मचारी ठेकेदारी सिस्टम में फंसे हैं। करोड़ों के कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) व कर्मचारी जीवन बीमा (ईएसआइ) के घोटाले उजागर होने के बावजूद कर्मचारियों के हिस्से का पैसा उन्हें नहीं दिलाया जा सका है।
सर्व कर्मचारी संघ के महासचिव सुभाष लांबा ने बताया कि ठेका प्रथा समाप्त कर अनुबंध कर्मियों को पक्का करने, आउटसोर्सिंग नीति पार्ट-1 में लगे कर्मचारियों के पद स्वीकृत कर पार्ट 2 में लाकर पक्का करने की मांग को लेकर बिजली कर्मचारी 18 सितंबर को सामूहिक गिरफ्तारियां देंगे।
सर्व कर्मचारी संघ ने कच्चे कर्मचारियों का मुद्दा उठाते हुए सरकार पर सवाल दागा है कि बिजली निगमों में आउटसोर्सिंग नीति पार्ट-2 की धज्जियां उड़ाते हुए ठेकेदारी सिस्टम क्यों लागू है। साल 2015 की आउटसोर्सिंग नीति पार्ट दो के अनुसार कर्मचारियों को सीधा अनुबंध पर लगाने का प्रावधान है।
इसके बावजूद उत्तरी हरियाणा बिजली वितरण निगम, दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम व हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम में करीब 12 हजार कर्मचारी सहायक लाइनमैन, ग्रिड सब स्टेशन सहायक (जीएसए), ग्रिड सब स्टेशन ऑपरेटर (जीएसओ), जूनियर इंजीनियर, चौकीदार, माली के स्वीकृत रिक्तपदों के विरुद्ध ठेकेदारों की मार्फत लगे हैं।
सर्व कर्मचारी संघ के महासचिव सुभाष लांबा के मुताबिक इन कर्मचारियों का मानसिक व आर्थिक शोषण हो रहा है। ठेकेदार उनके ईपीएफ व ईएसआइ का पैसा अदा नहीं कर रहे। मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने के बावजूद न तो ठेकेदार को बीच से हटाकर कर्मचारियों को सीधा निगम के रोल पर रखा जा रहा है और न ही उन्हें समान काम के लिए समान वेतन दिया जा रहा है।
ठेकेदारों की चूक से 300 लाइनमैन ने गंवाई जान
कर्मचारियों को रेगुलर सहायक लाइनमैन के प्रारंभिक वेतन का( ग्रेड-पे-बैंड व डीए का 50 फीसद या डीसी रेट, जो भी ज्यादा हो ) दिया जा रहा है। इन कर्मचारियों को उनकी आठ-दस साल की सेवा का कोई लाभ वेतन में नहीं दिया जा रहा है। चालू लाइनों पर काम करते हुए पिछले दस साल में करीब 300 सहायक लाइनमैन हादसे का शिकार हो चुके। इसके पीछे बड़ी वजह ठेकेदारों द्वारा उन्हें पूरे सुरक्षा उपकरण मुहैया नहीं कराना है।