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ताऊ की वेबसाइट: हरियाणा कांग्रेस में देखने को मिल सकता है चमत्कारिक बदलाव, पढ़ें और भी खबरें...

हरियाणा कांग्रेस में भी पार्टी हाईकमान पंजाब वाला प्रयोग अपना सकता है। राज्य में कार्यकारी प्रधान बनाए जा सकते हैं। आइए हरियाणा से जुड़ी रोचक खबरों पर राज्य के साप्ताहिक कालम ताऊ की बेवसाइट के जरिये नजर डालते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 03:53 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 03:53 PM (IST)
हरियाणा कांग्रेस में देखने को मिल सकता है बदलाव। सांकेतिक फोटो

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे में अगले एक पखवाड़े के भीतर चमत्कारिक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। पहला बदलाव तो यही होगा कि पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में विधानसभा नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा समर्थकों की तमाम कोशिश के बावजूद कुमारी सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष के पद से बदला नहीं जा रहा है। हालांकि हुड्डा के विधायक दलील दे रहे हैं कि उन्होंने सैलजा को हटाने की मांग हाईकमान से कभी की ही नहीं, लेकिन वह संगठन में अपना अच्छा खासा वजूद जरूर चाहते हैं। हुड्डा समर्थक विधायकों की यह इच्छा संगठन में पूरी होती दिखाई दे सकती है। पंजाब की तर्ज पर हरियाणा में भी कांग्रेस के दो से तीन कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने पर विचार चल रहा है। यह सिरे चढ़ा तो विवाद खत्म करने के लिए हुड्डा, सुरजेवाला, किरण, कैप्टन और कुलदीप की पसंद की कांग्रेस को सैलजा कांग्रेस में मर्ज होते देर नहीं लगेगी।

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दादा के पोते अब सयाने हो गए

इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला के पोते दुष्यंत और दिग्विजय सयाने हो गए हैं। राजनीति उनके खून में रची-बसी है। भाजपा के साथ सरकार की साझेदारी दुष्यंत चौटाला निभा रहे तो जजपा के संगठन का काम दिग्विजय चौटाला के हवाले है। शुरू में भाजपा के साथ गठबंधन करने पर लोगों का विरोध झेल चुके दिग्विजय कहते हैं कि हमारा भाजपा के साथ नैचुरल अलाइंस है। प्रधानमंत्री मोदी के साथ हमारे दादा ओमप्रकाश चौटाला की दोस्ती है। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के साथ हमारे परदादा स्व. देवीलाल की दोस्ती थी। हरियाणा में लोकदल का नैचुरल अलाइंस हमेशा भाजपा के साथ हुआ। अलाइंस करने वाले दल का नाम पहले इनेलो था, आज जजपा है। हम कांग्रेस को साथ तो सात पीढ़ी भी नहीं जा सकते। चुनाव से पहले किसने किसके बारे में इसका कोई महत्व नहीं। महत्वपूर्ण यह है कि हम परदादा और दादा के नक्शे कदम पर चल रहे हैं।

नाम के युवराज दिल के भी युवराज

जो तन लागे, सो तन जाने। यह बात क्रिकेटर युवराज सिंह पर खरी उतर रही है। मैदान में चौके छक्के लगाने वाले युवराज सिंह कैंसर जैसी डरावनी बीमारी को मात देकर एक बार फिर क्रिकेट के मैदान पर उतरे और धूम मचा दी। अब उन्होंने ऐसा कार्य किया है कि वह हर हरियाणवी के दिलों के युवराज बन गए हैं। उन्होंने हरियाणा के रोहतक में पीजीआइएमएस को 100 बेड का आइसीयू भेंट किया है। यह इस माह के अंत तक काम करना चालू कर देगा। युवराज ने कैंसर से उबरने के बाद युवीकैन नाम से एक सामाजिक संस्था बनाई है। इसके बाद से उनका जीवन जीने का अंदाज बदल गया। यह संस्था कैंसर पीडि़तों के लिए काम करती है, लेकिन पिछले दो साल से जिस तरह कोरोना जानलेवा साबित हो रहा है, उसे देखते हुए युवराज मदद के लिए आगे आए हैं। उनके इस जज्बे को प्रदेश सलाम करता है।

कुलदीप का क्रिकेट प्रेम

राजनीति और क्रिकेट दोनों का अपना मजा है। क्रिकेट में कभी तेज शाट लगाना पड़ता है तो कभी बल्ले का मामूली कट मारकर गेंद बाउंड्री से बाहर पहुंचा दी जाती है, ठीक उसी तरह की ट्रिक राजनीति में भी अपनाई जाती है। भजनलाल के कुलदीपक इस ट्रिक में माहिर खिलाड़ी हैं। अपने पिता की तरह अक्सर गैर जाट राजनीति करने वाले कुलदीप बिश्नोई अपनी बात को धीरे से ऐसे कह देते हैं, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। काम भी बन जाए और हाईकमान को भी बुरा न लगे। सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ-साथ राहुल गांधी की मित्र मंडली के सदस्य कुलदीप ने अपने जनसंपर्क अभियान के दौरान धीरे से कह दिया- कांग्रेस हरियाणा में वापसी कर सकती है, बशर्ते कि हाईकमान सही फैसले ले। क्रीज से बाहर जाती हुई गेंद पर कुलदीप ने कलाइयों का इस्तेमाल करते हुए ऐसे बल्ला छुआया कि गेंद बाउंड्री से बाहर हो गई।


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