इनेलो में घमासान जारी, पंचकूला में कइयों ने छोड़ी पार्टी
जागरण संवाददाता, पंचकूला : इंडियन नेशनल लोकदल में मचा तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक
जागरण संवाददाता, पंचकूला : इंडियन नेशनल लोकदल में मचा तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ पार्टी से इस्तीफे देने का दौर चल रहा है, वहीं, पार्टी की तरफ से कहा जा रहा है कि यह लोग तो पार्टी में थे ही नहीं, जबकि इनेलो के कार्यक्रमों में सक्रिय दिखने वाले चेहरे भी पार्टी छोड़ रहे हैं। वीरवार को सेक्टर-20 में सासद दुष्यंत चौटाला के पक्ष में इनेलो के नेता एवं कार्यकर्ता एकत्रित हुए, जिन्होंने इनेलो का दामन छोड़ने का फैसला किया। इनेलो किसान सेल के महासचिव दिलबाग सिंह नैन, व्यापार सेल के प्रधान हरबंस सिंगला, लीगल सेल के मदन जस्सल, सोनू हरयोली, जसविंद्र सिंह सहित कई नेताओं ने अपने त्यागपत्र दे दिए। वहीं पिछले लगभग साढ़े 4 साल से राजनीति से दूर इनेलो के जिला शहरी प्रधान रहे मनोज अग्रवाल ने भी पुन: सक्रिय राजनीति में उतरने की घोषणा कर दी। मनोज अग्रवाल ने कहा कि अब अजय सिंह चौटाला और दुष्यंत चौटाला के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि वह कई वर्षो तक इनेलो के लिए काम करते रहे, परंतु हमारी आस्था चौ. देवीलाल में है और उन्हीं के लिए काम करेंगे। सिहाग भी हुए दुष्यंत के
नगर निगम पंचकूला के पूर्व ईओ ओपी सिहाग ने भी दुष्यंत चौटाला के पक्ष में काम करने की घोषणा की है। सिहाग 1990 से पूर्व जनता दल में सक्रिय रहे, जोकि जनता दल के सचिव थे और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष रहे। ओपी सिहाग ने भी दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व में सक्रिय होने का फैसला किया है। मौके पर भाग सिंह दमदमा भी मौजूद थे। कुछ लोग बार-बार इस्तीफ देने का ढोंग कर रहे
वहीं, इनेलो के जिला प्रवक्ता एवं शहरी प्रधान एसपी अरोड़ा ने कहा कि ऐसे लोगों की पार्टी में कोई लंबे समय से गतिविधि नहीं है, ऐसे लोग इनेलो पार्टी के कैसे हो सकते हैं। इनेलो तो कर्मठ व मेहनती कार्यकर्ताओं का एक परिवार है। इनेलो की साइट पर पदाधिकारियों की लिस्ट अपलोड है और ऐसे लोगों को आज जनता नकार रही है तो फिर अपने आकाओं को खुश करने के लिए इनेलो पार्टी को बदनाम करने की कोशिशें की जा रही है। कुछ दिनों पहले भी इस्तीफे दिए गए थे और वो ही लोग बार-बार इस्तीफे देने का नाटक कर रहे हैं। इनेलो पार्टी स्व. चौ. देवीलाल एवं पूर्व मुख्यमंत्री चौ. ओमप्रकाश चौटाला की मेहनत का नतीजा है, जिन्होंने जनविरोधी सरकारों का डटकर सामना किया और जनता के हितों की आवाज उठाई।