हरियाणा में जमीन की रजिस्ट्रियों के गोलमाल में नपेंगे कई तहसीलदार और नायब तहसीलदार
हरियाणा रजिस्ट्री घोटाले में कई तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों पर गाज गिरेगी। रजिस्ट्रियों के गाेलमाल में शामिल इन अफसरों पर जल्द कार्रवाई होगी।
चंडीगढ़, जेएनएन। जमीन की रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े के मामलों में अगले दो सप्ताह में कई और तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों पर गाज गिरने वाली है। न सिर्फ गुरुग्राम बल्कि फरीदाबाद, अंबाला, बहादुरगढ़, झज्जर व सोनीपत में अवैध रजिस्ट्रियों की शिकायतें मिली हैं। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने मंडल आयुक्तों को इसकी जांच कर 14 दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं जिसके बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी।
गुरुग्राम के साथ ही फरीदाबाद, अंबाला, बहादुरगढ़, झज्जर व सोनीपत में मिल रही फर्जीवाड़े की शिकायतें
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि नौ नगर निगमों में अगले एक सप्ताह में तथा 15 नगर पालिकाओं व नगर परिषदों के अधीन आने वाले क्षेत्रों में आगामी 15 दिनों में प्रॉपर्टी आइडी तैयार कर दी जाएगी। कंट्रोल्ड एरिया में रजिस्ट्रियां करने का एक खास मैकेनिज्म बनाया जाएगा। राजस्व विभाग के अलावा हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, एचएसआइआइडीसी, वन विभाग जैसे संबंधित विभाग रजिस्ट्री के लिए अगर 14 दिन में अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं देते हैं तो उसे डीम्ड स्वीकृति समझकर रजिस्ट्री कर दी जाएगी।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि कृषि भूमि व खाली पड़ी जमीन की अलग-अलग श्रेणी की जाएंगी। कंट्रोल्ड एरिया में रजिस्ट्री के लिए वर्ष 2017 में कृषि भूमि के क्षेत्र को दो कनाल किया गया था जिसे अब फिर से एक एकड़ किया जाएगा। शहरों में प्रॉपर्टी टैक्स को ऑनलाइन भरने की सुविधा दी जाएगी ताकि रजिस्ट्री के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) स्वत: लिया जा सके।
रजिस्ट्री कार्यालय में मानव हस्तक्षेप कम से कम हो, इसके लिए सभी संबंधित विभागों को एक माह में लिंक कर दिया जाएगा। इससे तत्काल रजिस्ट्री हो सकेगी। भ्विष्य में कूपन लेने की आवश्यकता नहीं होगी। विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्री-डीड का एक नमूना अपलोड किया जाएगा ताकि कोई भी व्यक्ति इसे पढ़कर अपनी मर्जी अनुसार डीड करवा सके।
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि ऐसा फुल प्रूफ प्लान तैयार किया जा रहा है जिसमें नीयत में खोट रखने वाले अधिकारी चाहकर भी रजिस्ट्री करने में कुछ गड़बड़ नहीं कर पाएंगे। ऑनलाइन सिस्टम तैयार किया जा रहा है जिसमें न तो राजस्व की चोरी होगी और न किसी व्यक्ति से धोखाधड़ी होने की गुंजाइश बचेगी। रजिस्ट्री के समय खरीदार-विक्रेता व गवाह की प्रामाणिकता जांचने का भी पैमाना तय किया जाएगा ताकि जमीन के मूल मालिक के अलावा अन्य व्यक्ति फ्रॉड करके उसे बेच न पाए।