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राज्यसभा में जाने के लिए भाजपा-कांग्रेस में लॉबिंग चरम पर, दावेदारों ने खोले तमाम 'घोड़े'

राज्यसभा के लिए भाजपा से ओपी धनखड़ कैप्टन अभिमन्यु रामबिलास शर्मा सुधा यादव और सुभाष बराला जबकि कांग्रेस में कुमारी सैलजा रणदीप सुरजेवाला व दीपेंद्र हुड्डा दौड़ में हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 07 Mar 2020 11:56 AM (IST)Updated: Sat, 07 Mar 2020 11:56 AM (IST)
राज्यसभा में जाने के लिए भाजपा-कांग्रेस में लॉबिंग चरम पर, दावेदारों ने खोले तमाम 'घोड़े'
राज्यसभा में जाने के लिए भाजपा-कांग्रेस में लॉबिंग चरम पर, दावेदारों ने खोले तमाम 'घोड़े'

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा से राज्यसभा में जाने के लिए तीन सीटों पर शुक्रवार को नामांकन की प्रक्रिया शुरू होते ही भाजपा-जजपा गठबंधन और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में लॉबिंग तेज हो गई है। विधानसभा में दलगत स्थिति के मुताबिक दो सीटें भाजपा-जजपा गठबंधन और एक सीट कांग्रेस की झोली में जा सकती है।

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भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक पार्टी के तीन जाट दिग्गजों में राज्यसभा में जाने के लिए 'खींचतान' चल रही है। पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, पूर्व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ व पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला जाट कोटे से राज्यसभा जाने की जुगत में हैं। पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा और सुधा यादव गैर जाट कोटे से राज्यसभा में जाने की दावेदारी ठोक रहे हैं।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक भाजपा में राज्यसभा टिकटों का फैसला पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी से जुड़ा है। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला का कार्यकाल पूरा हो चुका है। पार्टी इस पद पर सर्वसम्मति से नियुक्ति करने के मूड में है। चूंकि गठबंधन में सहयोगी जजपा के जाट नेता दुष्यंत सिंह चौटाला उपमुख्यमंत्री हैं, ऐसे में भाजपा में उधेड़बुन चल रही है कि पार्टी की कमान जाट को दी जाए या फिर गैर जाट को।

बताते हैं कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पहली पसंद सुभाष बराला हैं। वे चाहते हैं कि बराला को ही फिर से प्रधानी का मौका मिले। वहीं, दिल्ली से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जाट नेतृत्व के रूप में ओमप्रकाश धनखड़ का नाम सबसे ऊपर है। अगर यह गणित सही नहीं बैठता है तो फिर सीएम गैर-जाट प्रधान के रूप में कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी को आगे कर सकते हैं। करनाल के सांसद संजय भाटिया का नाम भी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में है, लेकिन उनके पंजाबी होने की वजह से उनकी राह मुश्किल नजर आ रही है, क्योंकि सीएम खुद पंजाबी हैं।

वहीं, कांग्रेस में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा लगातार दूसरी बार राज्यसभा जाने की कोशिश में हैं। गांधी परिवार से उनकी नजदीकियां उनकी राहें आसान करती हैं। कैथल से चुनाव हारने के बाद पूर्व मंत्री व कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन रणदीप सिंह सुरजेवाला और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पूर्व सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा भी राज्यसभा में जाने की कोशिश में हैं।

एक सीट पर जजपा की भी निगाह

राज्यसभा की दूसरी सीट के लिए जजपा भी दावा ठोक सकती है। हालांकि अभी तक खुलकर ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है, लेकिन दोनों पार्टियों के गठबंधन के समय यह मुद्दा उठा था कि भाजपा सहयोगी पार्टी को राज्यसभा में हिस्सेदारी दे सकती है। वैसे भी मनोहर कैबिनेट में अभी जजपा कोटे से एक और विधायक का एडजस्टमेंट होना बाकी है। बोर्ड-निगमों की चेयरमैनी भी अभी लटकी है। माना जा रहा है कि भाजपा के संगठनात्मक चुनावों और राज्यसभा चुनावों के बाद ही सरकार बोर्ड-निगमों में नियुक्तियां शुरू करेगी। जजपा अपने एक मास्टर माइंड के जरिये कांग्रेस की वोटों में सेंध लगाने की तैयारी में है।

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