कोरोना से निपटने में नेता बेपरवाह, आखिर सम्मान बड़ी चीज है..., पढ़ेें हरियाणा की सियासत की और भी खबरें
कई ऐसी खबरें होती हैं जो अक्सर सुर्खियां नहीं बन पाती। आइए हरियाणा के साप्ताहिक कॉलम सत्ता के गलियारे से... के जरिये हरियाणा की कुछ ऐसी ही खबरों पर नजर डालते हैं।
चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। हरियाणा में कोरोना संक्रमितों का ग्राफ फिर से बढ़ने लगा है। मजबूरन प्रदेश सरकार ने सप्ताह के अंतिम दो दिनों में अनिवार्य सेवाओं को छोड़कर तमाम गतिविधियों पर रोक लगा दी है। आमजन पर इसका असर दिखा भी, लेकिन कई राजनेता इससे बेपरवाह हैं। वे शारीरिक दूरी और और मास्क लगाने के निर्देश को भाव नहीं देते। ताजा-ताजा प्रधान बने कुछ नेताओं को सम्मानित होने का ऐसा चाव चढ़ा है कि जहां भी जाते हैं, फूल-मालाओं से लदने में गौरवान्वित महसूस करते हैं। इस दौरान मास्क जहां मुंह के बजाय गले में लटका दिखाई देता है तो वहीं गलबहियां करते हुए शारीरिक दूरी का ख्याल भी नहीं रहता। यह स्थिति तब है जब कहीं पर भी भीड़ जमा होने पर पाबंदी है। सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल हो रहे इन नेताजी और उनके समर्थकों में कौन कोरोना के प्रसार का वाहक बन जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता, पर इसकी फिक्र उन्हेंं कहां।
फिर कचोटेगी आवाज, हां पक्ष की जीत हुई
हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र में सब कुछ बदला हुआ होगा। बस एक चीज पुरानी होगी और वह होगी विधानसभा अध्यक्ष की आवाज, हां पक्ष की जीत हुई... हां पक्ष की जीत हुई। विधानसभा में बिल पेश होते ही मिनटों में पास होने की रवायत पुरानी है, क्योंकि विधायकों को इन्हेंं पढ़ने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। बजट सत्र में सदन के नेता और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की गुजारिश पर विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने घोषणा की थी कि अब बिल पेश करने से पांच दिन पहले ही विधायकों को ड्राफ्ट दे दिया जाएगा। इससे संबंधित विषय पर सार्थक चर्चा होगी। लोकतंत्र मजबूत होगा। तभी से विधायक सपना संजोए थे कि अब वह प्रस्तावित कानूनों के पक्ष-विपक्ष में खुलकर बैटिंग कर सकेंगे। फिलहाल उनकी हसरत पूरी नहीं होने जा रही, क्योंकि उन्हेंं बिलों का ड्राफ्ट सौंपा नहीं गया है। फिर से हां पक्ष की जीत की औपचारिकता उन्हेंं कचोटेगी।
गोलमाल है भई, कुछ गोलमाल है
मानवता की सेवा में अग्रिम पंक्ति में रहने वाले संगठन रेडक्रॉस में आजकल सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। रोहतक रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा चहेतों को औने-पौने दामों में लाखों रुपये की जमीन लीज देने का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि मुख्यालय के एक और फैसले पर अंगुली उठने लगी है। रेडक्रॉस सचिवों की भर्ती के लिए नियमों को दरकिनार कर एक प्राइवेट एजेंसी से अनुबंध किया गया है, जिसमें धांधली की आशंका है। अमूमन रेडक्रॉस सचिव की भर्ती प्रक्रिया विशेष कमेटी की देखरेख में होती है, मगर इस बार यह जिम्मा निजी एजेंसी उठाएगी। ऐसे में पूरी पारदर्शिता से भर्ती की उम्मीद कम है। रेडक्रॉस मुख्यालय में पहले भी एक उच्चाधिकारी ने अपने कई चहेतों को नौकरी दिलाई है। उच्च स्तरीय बैठकों में भी कई बार यह मामला उठ चुका है। लिहाजा अब निजी एजेंसी की आड़ में चहेतों को आसानी से कुर्सियों पर फिट किया जा सकेगा।
कढ़ी बिगाड़ने में जुटे जेबीटी और पीटीआइ
हरियाणा में पुरानी कहावत है-कढ़ी बिगाड़ना। यानी कि जब अपनी दाल नहीं गले तो दूसरे का बनता काम बिगाड़ दो। कुछ ऐसा ही बरोदा के चुनावी दंगल में दिखाई दे रहा है। उपचुनाव को लेकर जहां क्षेत्र में डेरा डाले सियासी दलों के दिग्गज दिन-रात एक किए हुए हैं, वहीं ऐसे पहलवान भी हैं जो लंगोट बांधकर सियासी अखाड़े में कूद पड़े हैं। ये हैं नौकरी की जिद्दोजहद में लगे युवा, जिन्हेंं मांगों को पूरा कराने के लिए यह माकूल समय लग रहा है। नौकरी से निकाले गए शारीरिक शिक्षक (पीटीआइ) पहले ही हलके में सक्रिय हैं, जबकि हरियाणा शिक्षक पात्रता (एचटेट) पास 90 हजार जेबीटी पास युवा सोमवार को बरोदा कूच करेंगे। आठ साल से भर्ती नहीं निकलने से रद्दी हुए प्रमाणपत्रों से दुखी ये युवा चेतावनी दे रहे कि अगर जल्द भर्ती निकाल उन्हेंं मौका नहीं दिया तो वे घर-घर जाकर गठबंधन प्रत्याशी के खिलाफ झंडा बुलंद करेंगे।