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किरण चौधरी ने कहा- बेरोजगारी भत्ता और बुढ़ापा पेंशन बढ़ाने के वादे का हिसाब दे सरकार

किरण चौधरी ने भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार से उनके चुनावी वादों का हिसाब मांगा है। कहा कि बेरोजगारी भत्ता व बुढ़ापा पेंशन पर सरकार बजट में पूरी तरह से मौन धारण कर गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 02 Mar 2020 09:30 AM (IST)Updated: Mon, 02 Mar 2020 09:30 AM (IST)
किरण चौधरी ने कहा- बेरोजगारी भत्ता और बुढ़ापा पेंशन बढ़ाने के वादे का हिसाब दे सरकार
किरण चौधरी ने कहा- बेरोजगारी भत्ता और बुढ़ापा पेंशन बढ़ाने के वादे का हिसाब दे सरकार

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा विधायक दल की नेता रह चुकीं किरण चौधरी ने भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार से उनके चुनावी वादों का हिसाब मांगा है। किरण चौधरी ने कहा कि दोनों दलों ने बूढ़े लोगों की पेंशन 5100 रुपये प्रति माह करने का वादा किया था और बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलने तक 11 हजार रुपये मासिक भत्ता देने की बात कहकर भ्रमित किया गया, लेकिन इन दोनों ही चुनावी वादों पर सरकार बजट में पूरी तरह से मौन धारण कर गई है।

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चंडीगढ़ में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए तोशाम की कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने कहा कि प्रदेश पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। सरकार उधार के पैसे से काम चलाना चाह रही हैं। पिछले साल के बजट की अपेक्षा इस बार भले ही 10 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है, लेकिन घाटा 15 हजार करोड़ रुपये का दिखाया जा रहा है। यह बजट आंकड़ों की बाजीगरी से अधिक कुछ नहीं है।

किरण चौधरी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सरकार करीब 40 फीसदी पैसा उधार पर लेगी। यानी इस उधार की राशि से प्रदेश की योजनाओं को गति देने का सपना सरकार देख रही है। बड़ा सवाल यह है कि करीब 25 फीसदी पैसा उधार और ब्याज चुकाने में खर्च हो रहा है। यही वजह है कि अब राज्य पर करीब दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज हो गया है। सरकार को उधार के पैसे से काम चलाना बंद कर धरातल पर ऐसी योजनाएं तैयार करनी चाहिए, ताकि आम लोगों को इसका लाभ मिले और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सुधार हो पाए।

किरण चौधरी ने कहा कि बेरोजगार युवाओं और वृद्ध लोगों के कल्याण की योजनाओं के लिए एक रुपये का प्रावधान बजट में नहीं किया गया है। सरकार हर साल एसवाईएल नहर निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता जताती है और 100 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान करती है, लेकिन आज तक सरकार इस प्रतिबद्धता से आगे नहीं बढ़ पाई है। केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकार रहने तथा हरियाणा के हक में दो बार फैसला आने के बावजूद सरकार का नकारात्मक रुख चुनावी खेल से ज्यादा कुछ नहीं है। यदि भाजपा चाहे तो हम सारे विधायक मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एसवाइएल नहर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति से मिलने जाने को तैयार हैैं।

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