पुरानी खेल नीति के ग्रेडेशन सर्टिफिकेट के आधार पर लगे कर्मियों को हटाने के मामले में फैसला सुरक्षित
हाई कोर्ट ने पुरानी खेल नीति के ग्रेडेशन सर्टिफिकेट के आधार पर लगे कर्मचारियों के खिलाफ एक अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पुरानी खेल नीति के ग्रेडेशन सर्टिफिकेट के आधार पर लगे कर्मचारियों के खिलाफ एक अपील पर लगभग तीन घंटे तक चली बहस के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। मामले में जींद निवासी मनोज पूनिया व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर हरियाणा सरकार के उस आदेश को रद करने की मांग की है जिसके तहत पुरानी खेल नीति के ग्रेडेशन सर्टिफिकेट के आधार पर ग्रुप डी में लगे कर्मचारियों को हटाया जा रहा था।
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील जसबीर मोर ने जस्टिस दया चौधरी की बेंच को बताया कि ग्रुप डी के पदों की भर्ती का विज्ञापन 24 अगस्त 2018 को जारी हुआ था और भर्ती का परिणाम 19 जनवरी 2019 को जारी किया। इस दौरान काफी संख्या में युवक पुरानी खेल नीति के अनुसार ग्रेडेशन सर्टिफिकेट बनाकर नौकरी लगे थे। सरकार ने इन ग्रेडेशन सर्टिफिकेट के आधार पर इनको नियुक्ति दे दी। इस बीच राज्य खेल विभाग ने नई खेल नीति बना दी थी।
याची के वकील ने कहा कि जब भर्ती का विज्ञापन जारी हुआ उस समय नई पुरानी खेल नीति का कोई जिक्र नहीं था। कुल 18218 पदों में से 1518 पद खेल कोटे के तहत आरक्षित थे, लेकिन अब सरकार ने केवल नई खेल नीति के तहत ग्रेडेशन सर्टिफिकेट लेने वाले उम्मीदवारों को रखने का फैसला किया। जिनके पास नई नीति के तहत ग्रेडेशन सर्टिफिकेट नहीं है उनको नौकरी से बर्खास्त किया जा रहा है जो उचित नहीं है। इस मामले में अपील विचाराधीन रहने तक हाई कोर्ट ने पुरानी खेल पालिसी के ग्रेडेशन सर्टिफिकेट के आधार पर लगे कर्मचारियों को हटाने पर रोक लगा दी थी। अब इन कर्मचारियों का भविष्य हाई कोर्ट के इस याचिका के फैसले पर निर्भर करेगा।
सिपाहियों के रिक्त बचे 221 पदों को भरने के लिए नई मेरिट लिस्ट बनाएं
वहीं, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक याचिका का निपटारा करते हुए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को आदेश दिया है कि हरियाणा पुलिस के 5000 जवानों की भर्ती मामले में रिक्त बचे 221 पदों को सामान्य श्रेणी में रखकर परिणाम संशोधित करने के खिलाफ याची के मांग पर पंद्रह दिन के भीतर विचार कर उचित निर्णय ले।
मामले में गुरुग्राम निवासी चंदन ने अपनी याचिका में बेंच को बताया कि आयोग ने साल 2015 में 5000 सिपाहियों की भर्ती निकाली थी जिसका फाइनल परिणाम 2018 में जारी किया गया। लेकिन स्पेशल बैकवर्ड क्लास कोटा रद होने के कारण इस कोटे के 500 पद रिक्त रह गए। जब 500 पदों को मिलाकर नए सिरे से रिजल्ट जारी किया गया तो विभिन्न श्रेणियों की कटऑफ में काफी परिवर्तन आया। इस सब के बीच अब 221 पद रिक्त हैं।
याचिकाकर्ता ने बताया कि हरियाणा सरकार इन 221 पदों को सीधे सामान्य श्रेणी से भरने जा रही है जो गलत है। यदि इन्हेंं सामान्य श्रेणी से भी भरा जाए तो इन्हेंं उन 5000 पदों में शामिल कर नए सिरे से रिजल्ट जारी किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने बताया कि अपनी इस मांग को लेकर उन्होंने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को एक मांग पत्र भी सौंपा है। हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को इस मांग पत्र पर 15 दिन के भीतर निर्णय लेने के आदेश दिए हैं।