चढ़ावे से भंग हुुई इस 'मंदिर' की पवित्रता, आस्था लौटाना बड़ी चुनौती
हरियाणा में भर्ती घोटाला सामने अाने से बेरोजगार दंग हैं अौर उनका भरोसा टूट गया है। 'चढ़ावे' के चलन ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग सरीखे रोजगार के मंदिर की पवित्रता भंग हुई है।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को बेरोजगार पढ़े लिखे युवाओं का मंदिर कहा जाता है, लेकिन 'चढ़ावे' के चलन ने इसकी पवित्रता भंग कर दी है। मोटे पैसे लेकर नौकरियां बांटने वाले बड़े रैकेट के पकड़े जाने से अब इस सवाल खड़े हो गए हैैं। अपनी योग्यता के बूते सरकारी नौकरियां हासिल करने का सपना देखने वाले युवाओं का कैरियर पूरी तरह से दांव पर है। वे मामने लगे है कि अब योग्यता की नहीं बल्कि चढ़ावे की अधिक कद्र है। जो युवा जितना अधिक चढ़ावा चढ़ाएगा, उसे उतनी बढिय़ा नौकरी मिलेगी।
भ्रष्टाचार से बेरोजगार युवाओं का हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की भर्तियों की प्रक्रिया से उठ रहा विश्वास
हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के आठ कर्मचारियों के भर्ती घोटाले में पकड़े जाने के बाद नौकरी हासिल करने की लाइन में लगे आम युवाओं में यही धारणा पनप रही है। इस धंधे में निचले कर्मचारियों से लेकर ऊपर के स्तर तक पूरा सिस्टम काम कर रहा है। बड़ी मछलियां अभी पकड़ से बाहर हैैं, लेकिन पूरे देश में जिस तरह से हरियाणा को शर्मसार होना पड़ा है, अब बरसों तक उसकी भरपाई शायद ही हो सकेगी।
भर्तियों में गड़बड़ी के मामले में एक पूर्व सीएम जेल में, एक अन्य पूर्व सीएम पर भी उठे सवाल
हरियाणा में सरकारी नौकरियां हमेशा से विवादों का कारण बनती आई हैैं। राज्य में चाहे किसी भी दल की सरकार रही हो, सरकारी नौकरियां बांटने में भेदभाव, क्षेत्रवाद तथा पैसे के खेल के आरोपों से कोई नहीं बच पाया है। ऐसे ही मामले में एक पूर्व मुख्यमंत्री फिलहाल जेल में हैं तो दूसरे पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यकाल में हजारों नौकरियों पर सवाल उठते रहे हैैं। मौजूदा भाजपा सरकार ने नौकरियों में भेदभाव, क्षेत्रवाद और पैसे के लेनदेन को खत्म करने का दावा किया था, लेकिन इस खुलासे से इस पर प्रश्नचिह्न लगा गया है।
हरियाणा की मौजूदा मनोहरलाल सरकार ने करीब 24 हजार सरकारी नौकरियां दी हैैं। कर्मचारी चयन आयोग में जो रैकेट पकड़ा गया है, वह बरसों से यहां चल रहा था। मनोहरलाल सरकार को जब इसकी भनक लगी तो पिछले आठ माह से उस पर नजर रखी गई। राज्य सरकार को लग रहा था कि इस रैकेट को पकड़ने के बाद युवाओं में एक अच्छा संदेश यह जाएगा कि भाजपा ने भ्रष्टाचार की जड़ पर हमला कर बड़ी सफलता हासिल की है। लेकिन, संदेह यह पैदा हो गया है कि अभी तक जितनी नौकरियां दी गई, उनमें भी जरूर कहीं न कहीं लेनदेन हुआ ही होगा।
भाजपा नेताओं के पास अपनी पीठ ठोंकने के लिए बहुत कुछ है। वे कह सकते हैैं कि भ्रष्टाचार खत्म करने की उनकी सोच अच्छी थी, मगर विपक्ष की दलीलों को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। विपक्ष का बड़ा सवाल यही है कि यह कैसे मान लिया जाए कि जिन 24हजार नौकरियों के रिजल्ट अभी तक निकाले जा चुके हैैं, वे पवित्रता की कसौटी पर खरे रहे होंगे। भर्ती रैकेट में खुलासा हुआ है कि नाैकरियों के लिए दो लाख से 20 लाख रुपये तक में सौदेबाजी की गई है।
इस रैकेट के तार नेताओं, अधिकारियों व आयोग के कर्मचारियों से सीधे तौर पर जुड़े थे, मगर अभी तक इसकी तह में नहीं पहुंचा जा सका है। विपक्ष लगातार हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन भारत भूषण भारती को पद से हटाकर सीबीआइ जांच का दबाव बना रहा है, लेकिन सरकार की जांच अभी तक भी सिर्फ सीएम फ्लाइंग टीम तक सिमटी हुई है, जिसका मतलब साफ है कि अभी सरकार कोई बड़ा रिस्क लेने के मूड में नजर नहीं आ रही है।
दरअसल, विपक्ष इसलिए भी सरकार और आयोग पर हमलावर है, क्योंकि विधानसभा के बजट सत्र में एक आडियो पर हंगामा हो चुका है। इस आडियो में भारत भूषण भारती के बेटे पर 50 लाख रुपये लेकर पिहोवा नगर परिषद का चेयरमैन बनवाने का आरोप है। इस मामले की गंभीर जांच कराने की बजाय सरकार ने आयोग के सभी सदस्यों को एक-एक साल तथा चेयरमैन को तीन साल का सेवा विस्तार दे दिया।
सवाल यहां भी खड़ा हो रहा है कि यदि सरकार की नीयत आयोग में बरसों से चली आ रही गंदगी की सफाई करने की नहीं होती तो रैकेट को दबोचने की बजाय उसे नजर अंदाज किया जा सकता था, मगर ऐसा हुआ नहीं। ऐसे में देर सबेर कई अहम और बड़े खुलासे होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
इन आठ कर्मचारियों ने दागदार बनाया हुआ था पूरा सिस्टम
सीएम फ्लाइंग ने छापेमारी के दौरान जिन कर्मचारियों तथा दलालों को गिरफ्तार किया है, उनमें हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग पंचकूला के कार्यालय अधीक्षक सुभाष पराशर, सहायक रोहताश शर्मा, सहायक सुखविंद्र सिंह, सहायक अनिल शर्मा, आइटी सेल में अनुबंधित कर्मचारी पुनीत सैनी, धमेंद्र कुमार, लिपिक बलवान सिंह और सिंचाई विभाग का सहायक सुरेंद्र कुमार शामिल हैैं। एक कर्मचारी जींद में भी पकड़ा गया, जो नरवाना का सुरेश कुमार है।
इस तरह से चलता था नौकरियों के लिए रकम हड़पने का धंधा
- हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग पंचकूला के कर्मचारी अपने पद का दुरुपयोग करते हुए मेरिट लिस्ट में शामिल ऐसे उम्मीदवारों को चिन्हित करते थे, जिन्हें साक्षात्कार में केवल पास नंबर की जरूरत होती थी।
- आयोग के कर्मचारी इन्हीं उम्मीदवारों से दलालों के माध्यम से संपर्क करते थे और पास कराने के पैसे लेते थे।
- इस साजिश में कर्मचारी चयन आयोग के कर्मचारियों के अलावा दूसरे सरकारी विभागों के कर्मचारी भी शामिल हैैं, जो आपस में जुड़े हैैं।
- सभी कर्मचारी मोबाइल के माध्यम से मेरिट में चयनित उम्मीदवारों से संपर्क करते थे और सौदेबाजी करते हुए उनसे पैसे तय करते थे।
- पुलिस रिमांड के दौरान चार दिन की पूछताछ में यह भी पता चला कि यह रैकेट ट्रांसफर कराने, नई पोस्टिंग दिलाने तथा मनपसंद सीट दिलाने के भी पैसे लेता था।
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' कम से कम हमने साहस तो दिखाया '
'' हमने बरसों से चले आ रहे एक रैकेट को पकड़ा है। नौकरियों में धंधेबाजी खत्म की। पारदर्शिता से नौकरी दी। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। कम से कम हमने नौकरियां बेचने वालों को पकड़ने का साहस किया है। आज तक कोई सरकार यह काम नहीं कर पाई। मैैं किसी भी सूरत में भ्रष्टाचार सहन नहीं करूंगा। दोषी चाहे मैैं स्वयं भी हूं, मेरे खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। वह चाहे कितना भी बड़ा और कोई भी क्यों न हो। आरोपितों से वसूली गई रकम भी वापस ली जाएगी। नौकरियों की पवित्रता तथा पारदर्शिता से कोई समझौता नहीं होगा।
- मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा।
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'हर जांच एजेंसी को सहयोग करने को तैयार'
'' हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग में पारदर्शिता व नियमों के अनुसार भर्तियां हुई हैैं। सरकार को यदि कुछ गड़बड़ की सूचना मिली तो उनकी जांच हो रही है। हम किसी भी जांच एजेंसी को पूरा सहयोग करने को तैयार हैैं। तब तक भर्ती प्रक्रिया सुचारू रहेगी। अब तक जितनी नौकरियां दी गई हैैं, सभी मैरिट के आधार पर दी हैैं। यदि किसी को कोई शिकायत है तो वह सामने आए।
- भारत भूषण भारती, चेयरमैन हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग, पंचकूला।
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'हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ करे जांच'
'' नौकरियां बेचने वालों को सरकार का खुला संरक्षण है। आयोग के छोटे कर्मचारियों और चंद दलालों को गिरफ्तार कर सरगनाओं को बचाया जा रहा है। युवाओं से रोजगार के नाम पर लूटे गए करोड़ों रुपये उन्हें वापस कराए जाएं। पिहोवा पालिका अध्यक्ष पद के लिए लाखों रुपये मांगने का ऑडियो वायरल होने पर भी चेयरमैन भारती के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब तक 19पेपर लीक हो चुके हैैं। इसलिए हाईकोर्ट के कार्यरत दो न्यायाधीशों की खंडपीठ से जांच करानी चाहिए।
- रणदीप सिंह सुरजेवाला, अध्यक्ष, मीडिया विंग आल इंडिया कांग्रेस।
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'भारती को सेवा विस्तार देने की वजह बताए सरकार'
'' आयोग के चेयरमैन भारत भूषण भारती के खिलाफ एफआइआर दर्ज होनी चाहिए। भर्ती घोटाले की सीबीआइ जांच कराई जाए। भारती के बेटे द्वारा चेयरमैन बनाने के लाखों रुपये मांगने के आडियो का मुद्दा विधानसभा में हमने उठाया पर सीएम ने जांच की बजाय गुपचुप तरीके से भारती को तीन साल का सेवा विस्तार दे दिया। उन पर कड़ी कार्रवाई बनती है।
- अभय सिंह चौटाला, नेता विपक्ष, हरियाणा विधानसभा।
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'नौकरियां बेचकर सरकार कह रही हम ईमानदार'
'' हरियाणा की वर्तमान भाजपा सरकार नौकरियों का व्यापार कर रही है। सरकार खुद नौकरियां बेचने में लगी है। इसके बावजूद सरकार कहती है कि हम ईमानदार हैं, लेकिन हर चीज का व्यापार हो रहा है। इस सरकार में कोई काम ऐसा नहीं है, जिसमें भ्रष्टाचार नहीं हो रहा है। नौकरियां बेचने की सीबीआइ जांच हो तथा तब तक आयोग भंग कर भारती व सदस्यों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जाए।
- दीपेंद्र सिंह हुड्डा, उप सचेतक, कांग्रेस संसदीय दल।
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'एफआइआर दर्ज कर सीबीआइ जांच कराए सरकार'
नौकरियों में भ्रष्टाचार का मुद्दा सबसे पहले हमने उठाया। आरटीआई में हमने जानकारी मांगी कि सदस्यों की योग्यता क्या है। वे लिपिक लगने लायक भी नहीं हैैं। आयोग के चेयरमैन व सदस्यों ने मुख्यमंत्री के संरक्षण में पढ़े लिखे बेरोजगार तथा जरूरतमंद युवाओं के साथ धोखा किया है। उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज हो तथा पूरे मामले की सीबीआइ जांच कराई जाए।
- नवीन जयहिंद, अध्यक्ष, आम आदमी पार्टी हरियाणा।
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'अब ईमानदारी का दावा नहीं करना चाहिए'
'' अगर मुख्यमंत्री खुद के ईमानदार होने का दावा करते हैैं तो उन्हें तुरंत आयोग के चेयरमैन को पद से हटाना चाहिए। भले ही दलालों को पकड़ा जा चुका, लेकिन असली दोषी मुखिया होते हैैं। मुख्यमंत्री आयोग के चेयरमैन को बचाने में लगे हैैं। अब मुख्यमंत्री को यह कहने का कोई अधिकार नहीं है कि हरियाणा में पारदरर्शी और भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था चल रही है।
- अशोक अरोड़ा, प्रदेश प्रधान, इनेलो।